एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि 16 से 24 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों में मिर्गी से संबंधित मृत्यु का खतरा छह गुना बढ़ सकता है। यह मस्तिष्क में होने वाला ऐसा विकार है जिसमें तंत्रिका कोशिकाओं का फंक्शिन गड़बड़ा जाता है, जिससे दौरे पड़ने लगते हैं।
यूरोपीय एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (ईएएन) के वर्चुअल कांग्रेस में प्रस्तुत अध्ययन में पाया गया कि मिर्गी-संबंधी मौतों में मृत्यु दर 2009 (6.8 प्रति 100,000) और 2015 (9.1 प्रति 100,000) हो गया। इस समय के दौरान उपचार में प्रगति के बावजूद मौतों की संख्याो में इजाफा हुआ।
20 से 30 वर्ष की आयु के युवा वयस्क रोगियों में मृत्यु का सबसे अधिक जोखिम पाया गया। जिसमें 55 वर्ष से कम उम्र के मिर्गी से संबंधित 78 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनमें मौतों को संभावना से बचा जा सकता है।
स्कॉटलैंड में किए गए इस अध्यंयन का उद्देश्य मिर्गी से संबंधित मौत के आंकड़ों की पहचान करना है। इनमें से किस अनुपात में मृत्यु की संभावना से बचा जा सकता है और कितने मरीज ज्यापदा जोखिम में हैं।
स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ता गशीराई एमबीबिज़ो कहते हैं, “मिर्गी के मरीज़ों को सामान्य आबादी की तुलना में शुरुआती मौत का अधिक खतरा होता है, लेकिन इसके कारण स्पष्ट नहीं हैं,”
“हमें उम्मीद है कि हम इस डेटा का उपयोग सबक सीखने के लिए कर सकते हैं और भविष्य में मिर्गी से संबंधित मौतों के बोझ को कम कर सकते हैं, जिनमें से कई का मानना है कि इससे बचने की संभावना है।”
मिर्गी मस्तिष्क की एक पुरानी बीमारी है, जो विश्व भर में लगभग 50 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है, जिससे यह दुनिया भर में सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक है।
इस अध्य यन के लिए, शोधकर्ताओं ने 2009 और 2016 के बीच मरीज़ों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स से अनाम डेटा एकत्र किया, जिससे 2,149 मिर्गी-संबंधी मौतों की पहचान हुई।
इन रोगियों में से कम से कम 60 प्रतिशत (1,276) मृत्यु से पहले के वर्षों में एक दौरे-संबंधी या मिर्गी-संबंधी उपचार के लिए अस्पताल में आए। फिर बाद में एक चौथाई (516) से कम ही न्यूरोलॉजी क्लिनिक में देखे गए।
अध्ययन के सामने आया कि मौत के सबसे आम कारणों में मिर्गी (sudden unexpected death in epilepsy (SUDEP)), एस्पिरेशन निमोनिया, कार्डियक अरेस्टम, जन्मजात विकृति और शराब से संबंधित मौत शामिल थी। डेटा की तुलना मिर्गी के जीवित रोगियों के डेटा से की जाएगी जो उसी उम्र और लिंग के हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा, “मिर्गी से होने वाली मौतों के बारे में पता लगा कर हम ऐसे जोखिम वाले कारकों पर प्रकाश डाल सकते हैं। ताकि उन लोगों की पहचान की जा सके, जो सबसे ज्यासदा जोखिमग्रस्तो हैं। अंततः भविष्य में हम मिर्गी से होने वाली मौतों में कमी ला सकते हैं।”