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Tele Manas: 7 महीनों में एक लाख लोगों ने बताई मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याएं, शहरी महिलाएं हैं ज्यादा तनावग्रस्त

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को देखते हुए भारत सरकार ने मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन शुरू की है। पिछले सात महीनों में 1 लाख से अधिक लोग इस पर संपर्क कर चुके हैं। कुछ उपाय अपनाकर मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाया जा सकता है।
Updated On: 23 Oct 2023, 09:20 am IST
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अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं, तो इससे न सिर्फ आपकी सेहत, बल्कि आपके रिश्ते और आपका कॅरियर भी प्रभावित हो सकते हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक

हमारे भावनात्मक (Emotional), मनोवैज्ञानिक (Psychological) और सामाजिक कल्याण (Social well being) के लिए हमारे मानसिक स्वास्थ्य का दुरुस्त होना बहुत जरूरी है। इसके बावजूद लंबे समय तक भारत में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जादू-टोने, झाड़-फूंक और ऊलजुलूल शब्दों के साथ टैग किया जाता रहा। जबकि ये मन की बातें हैं, जिनका सुलझना बहुत जरूरी है। अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं, तो इससे न सिर्फ आपकी सेहत, बल्कि आपके रिश्ते और आपका कॅरियर भी प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को हल किया जाना जरूरी है। अच्छी बात यह है कि लोग अब इसके प्रति जागरुक हो रहे हैं। यही वजह है कि भारत सरकार द्वारा शुरू की गई 24 घंटों फ्री मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन टेली मानस (tele manas) पर सात महीने में ही एक लाख से ज्यादा लोगों ने मदद मांगी।

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में क्या है भारत की स्थिति

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, भारत में प्रति 100 00 जनसंख्या में 2443 लोग किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। लैंसेट में प्रकाशित एक शोध के अनुसार अक्टूबर 2021 में भारत में मानसिक स्वास्थ्य विकारों में 35% की वृद्धि पाई गई। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 1990-2017 के अनुसार, 19.73 करोड़ भारतीय या हर सात में से एक किसी न किसी मानसिक समस्या से पीड़ित है।

मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के लिए टेली मानस  (tele manas) 

बचपन और किशोरावस्था से लेकर वयस्क होने तक, जीवन के हर चरण में मानसिक स्वास्थ्य को कई चीजें प्रभावित करती हैं। इसलिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele Mental Health Programme) की शुरुआत की। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शुरू करने के बाद पिछले सात महीनों में 1 लाख से अधिक लोग इस हेल्पलाइन पर संपर्क कर चुके हैं।

टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग एक्रॉस स्टेट्स यानी टेली मानस (Tele Mental Health Assistance and Networking Across States -Tele MANAS) नाम से है। टेली मानस के विशिष्ट लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (National Technical Advisory Group) और तीन तकनीकी सलाहकार उप-समिति काम करती है।

ऑडियो विजुअल परामर्श के लिए ई-संजीवनी

टेली मानस दो स्तर पर काम करता है। टीयर 1 में स्टेट (State) टेली मानस सेल शामिल होंगे, जिसमें प्रशिक्षित परामर्शदाता (trained counsellors ) और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (mental health specialists) शामिल होंगे। टीयर 2 में फिजिकल कन्सल्टेशन के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम या मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ और ऑडियो विजुअल परामर्श के लिए ई-संजीवनी भी काम कर रहे हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी समस्या के निदान के लिए टेली मानस पर उपलब्ध टोल फ्री नंबर या शॉर्ट कोड डायल करके टेली मानस हेल्पलाइन तक पहुंच सकता है।

कौन लोग होते हैं अधिक प्रभावित (mental health effect) 

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अवसाद और एंग्जायटी दोगुनी है। यह पच्चीस प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। भारत में दो-तिहाई विवाहित महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार बनती हैं। महिलाओं में मेंटल प्रॉब्लम के लिए सबसे अधिक घरेलू हिंसा जिम्मेदार है।

15 -24 वर्ष की उम्र के लड़के-लडकियां अवसाद ग्रस्त

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 -24 वर्ष की उम्र के लड़के-लडकियां मानसिक अवसाद का सामना अधिक करते हैं। इस उम्र के सात में से एक अक्सर उदास महसूस करते हैं और कोई भी काम करने में बहुत कम रुचि रखते हैं। भारत में कोविड महामारी ने भी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को बढाया है।

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शहरी क्षेत्रों की महिलाएं मानसिक समस्या से अधिक जूझती हैं (Urban Woman Problem) 

इंडियन सायकियेटरी जर्नल के अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण आबादी के मुकाबले 2-3 गुना अधिक शहरी क्षेत्रों की महिलाएं मानसिक समस्या से जूझती हैं। घरेलू हिंसा के अलावा, परिवार की देखभाल का बोझ, परिवार में महत्व नहीं दिया जाना और फाइनैनशियल क्राइसिस का योगदान अधिक होता है।

शहरी क्षेत्रों की महिलाएं मानसिक समस्या से अधिक जूझती हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक

जानिए क्यों जरूरी है मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना

मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर ही हम जीवन के तनावों का सामना करने, अपनी क्षमताओं को पहचानने, किसी भी चीज़ को अच्छी तरह से सीखने, सही ढंग से काम करने और सोसाइटी को अपना योगदान देने में सक्षम हो पाते हैं। भारतीय आयुर्वेद के अनुसार मन से ही तन जुड़ा हुआ है, इसलिए मन का स्वस्थ होना जरूरी है। मन स्वस्थ रहने पर घबराहट नहीं होती है और हमारा मूड बेहतर हो पाता है। हमारी सोच स्पष्ट हो पाती है।आंतरिक तौर पर शांत होने पर आत्मबल बढ़ता है। अवसाद और एंग्जायटी का खतरा कम रहता है। हम घर-ऑफिस-समाज में बेहतर रिश्ते बना पाते हैं।

इस तरह कर सकती हैं आप मेंटल हेल्थ में सुधार (How to be mentally fit)

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, मेंटल हेल्थ को मजबूत करने के लिए सिर्फ 5 बातों पर ध्यान देना होगा।

1 स्वस्थ रिश्ते बनाएं (Healthy Relation)

अपने आस-पास के लोगों, सगे-संबंधियों से जुड़ने की कोशिश करें। मेंटल हेल्थ के लिए अच्छे रिश्ते महत्वपूर्ण हैं।

मेंटल हेल्थ के लिए अच्छे रिश्ते महत्वपूर्ण हैं। चित्र :शटरकॉक

2. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें (physical Activity)

सक्रिय होने पर फिजिकल हेल्थ और फिटनेस के साथ-साथ मेंटल हेल्थ के लिए भी जरूरी है।

3. नई स्किल सीखें (Learn new skill)

हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश करें। नया स्किल मेंटल तौर पर हमें मजबूत बनाता है। यह मनोरोगों से बचाव कर सकता है

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नई स्किल सीखना है दिमाग के लिए जरूरी। चित्र : शटरस्टॉक

4. दूसरों को देना

भारत की संस्कृति है परोपकार, दान देना। जरूरतमंदों की मदद करने से आप मानसिक तौर पर मजबूत होते हैं

5. वर्तमान क्षण पर ध्यान दें (Mindfulness)

भविष्य के बारे में सोचने की बजाय वर्तमान में जीयें। दूसरों के बारे में सोचने की बजाय स्वयं पर ध्यान केंद्रित करें। खुश रहने की कोशिश करें। योग-ध्यान से जुड़कर मन की स्थिति को मजबूत करें।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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