पिछले कुछ वर्षो से फैले कोविड के संक्रमण के बाद किसी तरह अपनी मनोदशा सही कर के बैठे लोगों के लिए लगातार समस्याएं बढ़ती ही चली जा रही है। कोविड के प्रचार-प्रसार के बाद उसके नए वैरिएंट को लेकर तो लोग चिंतित हैं ही लेकिन वहीं, अब यूके की तरफ से भी एक स्वास्थ्य चिंता सामने आ रही है। दरअसल, यूके में पहली बार ‘स्वाइन फ्लू’ के नए वैरिएंट ‘H1N2′ का एक केस देखने को मिला है। सूअर से फैलने वाली इस बीमारी में इस बार सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जिस व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण देखे गए, उसका सूअरों के साथ काम करने या उनसे किसी भी तरह का संपर्क नहीं था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2009 में स्वाइन फ्लू के H1N1’ वैरिएंट में भारी तबाही मचाई थी, जिसके कारण इसे ‘महामारी’ घोषित कर दिया गया था। वहीं, 2009 से पहले, इन्फ्लूएंजा A(H1N1) वायरस की पहचान कभी भी लोगों में संक्रमण के कारण के रूप में नहीं की गई थी। इस वायरस की जेनेटिक एनालिसिस से पता चला था कि इसकी उत्पत्ति पशु इन्फ्लूएंजा वायरस से हुई, जो कि मूलतः सूअर में पाया जाता है।
इसके साथ ही WHO ने यह जानकारी भी दी थी कि, स्वाइन फ्लू का मौसमी वायरस से कोई संबंध नहीं है। जून 2009 में जब डब्ल्यूएचओ ने जब इसे महामारी घोषित किया, तब तक कुल 74 देशों में यह फैल चुका था।
इसके फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यूएस सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (USCDC) और नीदरलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ सर्विस रिसर्च (NIVEL) के साथ मिलकर एक डेटा तैयार किया, जिसमें इस वायरस से पीड़ित लोगों के बारे में बताया गया।
इस रिपोर्ट में दो चीजें सामने आईं, जिसमें WHO-US CDC के अनुसार वैश्विक स्तर पर 284000 की इस बीमारी की वजह से जान गई, तो वहीं WHO-NIVEL के अनुसार वैश्विक स्तर पर 148000 से 249000 लोगों की जान गई।
यूके सरकार ने स्वाइन फ्लू के नए वैरिएंट की जानकारी देते हुए बताया कि, यूके हेल्थ सेक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने बीते सोमवार को पहला स्वाइन फ्लू का केस डिटेक्ट किया था। UKHSA के अनुसार इस मामले का पता यूकेएचएसए और रॉयल कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर्स (RCGP) द्वारा की गई नियमित राष्ट्रीय फ्लू निगरानी के हिस्से के रूप में चला था।
साथ ही यह भी बताया गया कि संक्रमित व्यक्ति को सांस की समस्या थी, जिसके बाद उसका परीक्षण किया गया। इसके साथ ही संबंधित व्यक्ति को हल्की बीमारी का अनुभव हुआ और वह पूरी तरह से ठीक हो गया है।
इसके साथ ही इस केस पर UKHSA की इंसिडेंट डायरेक्टर मीरा चंद ने बताया कि संक्रमण के स्रोत का अभी तक पता नहीं चला है और जांच जारी है। चूंकि यह एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए हम निकट संपर्कों का पता लगाने और किसी भी संभावित प्रसार को कम करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, स्वाइन फ्लू एक इन्फ्लुएंजा से फैलने वाली बीमारी है जो कि संक्रमित व्यक्ति के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में संक्रमण का कारण बनती है। साथ ही इसके लक्षण भी किसी आम मौसमी बीमारी जैसे होते है, जिसमें बुखार, खांसी, छींक आना, शरीर का तापमान बढ़ना या घटना, सिरदर्द, थकान और कमज़ोरी शामिल है।
भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में 13 मई 2008 को स्वाइन फ्लू का पहला केस मिला। इसके बाद उस साल 12604 लोगों का परीक्षण किया, जिसमें 2401 लोग पॉजिटिव पाए गए।
पिछले कुछ वर्षों में स्वाइन फ्लू के भारत में कई मामले सामने आए। वर्ष 2022 में स्वाइन फ्लू के 13202 मामले देखने को मिले, जिसमें 410 लोगों की मौत हो गई। जबकि वर्ष 2021 में स्वाइन फ्लू से 12 लोगों की मौत हुई थी। इसलिए यूके में मिला स्वाइन फ्लू का नया वैरिएंट भारत के लिए भी एक चिंता का विषय है।
स्वाइन फ्लू से बचने के तरीकों पर नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ पिग की एक रिपोर्ट बताती है कि, कुछ आम लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठाकर हम स्वाइन फ्लू से अपना बचाव कर सकते है।
बचाव के तरीकों में खांसते या छींकते समय अपने मुंह को ढंकना, लोगों से कम से कम 1 मीटर को दूरी बना कर रखना, हाथ को नियमित तौर पर साबुन से धोना, समय-समय पर हाथ सैनिटाइज़ करना, किसी से भी हैंडशेक, हग या किस न करना और अपने हाथों से बार-बार आंख व नाक पर न लगाना शामिल है। यदि व्यक्ति इन सभी चीज़ों को अपनाता है तो उसका स्वाइन फ्लू से बचाव हो सकता है।
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