भारत में की गई गर्भवती अफगानी महिला की व्हिपल्स सर्जरी,पैंक्रियाटिक कैंसर से थी पीड़ित

भारत में पहली बार गर्भवती और पैंक्रियाटिक कैंसर ग्रस्‍त मरीज़ की जान बचाने के लिए दिल्ली के एक निजी अस्पताल में व्हिपल्‍स सर्जरी की गई।
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पैंक्रियाटिक कैंसर की शिकार महिला गर्भवती भी थी। चित्र: शटरस्टॉक
Published On: 14 Aug 2021, 12:00 pm IST
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अफगानिस्‍तान से भारत इलाज के लिए आयी पांच माह की गर्भवती और पैंक्रियाटिक कैंसर ग्रस्‍त मरीज़ की फोर्टिस अस्‍पताल वसंत कुंज में हाल में सफल सर्जरी की गई। मरीज़ को उनके अपने देश में उपचार नहीं मिल पाया था और ऐसे में डॉ अमित जावेद, डायरेक्‍टर, गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल ओंकोलॉजी ने अपनी टीम के साथ इस गर्भवती महिला का सफल उपचार किया। मरीज़ और उनका गर्भस्‍थ शिशु अब ठीक हैं। दुनियाभर में व्हिपल्‍स सर्जरी की मदद से गर्भवती महिलाओं के इलाज के गिने-चुने मामले ही सामने आए हैं और भारत में संभवत: यह पहला मामला है।

क्या है व्हीपल्स सर्जरी

व्हिपल्‍स ऑपरेशन में कैंसर ट्यूमर को पैंक्रियाज़ के मुख के साथ ही निकाला जाता है और इसमें पेट, छोटी आंत, गॉल ब्‍लैडर, बाइल डक्‍ट का कुछ हिस्‍सा तथा लिंफ नोड्स हटाए जाते हैं और अन्‍य अंगों को दोबारा जोड़ा जाता है (ताकि भोजन का पाचन सही प्रकार से चलता रहे)। कैंसर ग्रस्‍त (पैंक्रियाज़ के करीब) प्रभावित भाग तथा गर्भ आपस में काफी नज़दीक थे और इसीलिए यह सर्जरी काफी जटिल प्रक्रिया थी।

”मरीज़ के शरीर से उपचार के दौरान कैंसर को पूरी तरह से निकालने, तथा गर्भस्‍थ शिशु को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचाते हुए मां को भी पूरी तरह से सुरक्षित रखा गया।‘’

अफगानिस्तान से आई थी महिला 

मरीज़ (फाहिमा) पांच माह की गर्भवती थीं, जब यह पता चला कि वह पैंक्रियाटिक कैंसर से ग्रस्‍त हैं। पहली प्रमुख चुनौती तो रोग का निदान ही थी। यह इसलिए क्‍योंकि गर्भावस्‍था के दौरान पेट में असहजता, मितली आना और उल्‍टी की शिकायत आम होती है और कुछ को तो जॉन्डिस भी हो सकता है।

Pancreatic cancer ki shikar mahila ka yaha safal upchar kiya gaya
पैंक्रियाटिक कैंसर की शिकाल महिला का भारत में उपचार किया गया। चित्र: फोर्टिस हेल्थ केयर

पैंक्रियाटिक कैंसर का पता लगाने के लिए पेट का सीटी स्‍कैन किया जाता है, लेकिन गर्भावस्‍था के दौरान आमतौर पर इससे बचने की कोशिश की जाती है। क्‍योंकि यह भ्रूण के लिए नुकसानदायक हो सकता है। निदान होने के बाद शीघ्र सर्जरी करना बेहद महत्‍वपूर्ण था।

बेहद जटिल थी सर्जरी 

ऐसे मामले में प्रसव के लिए इंतजार करना उचित नहीं था क्‍योंकि इससे कैंसर फैलने का डर था। एडवांस्‍ड प्रेग्‍नेंसी की वजह से सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण हो गई थी। इसके अलावा, प्रेग्‍नेंसी की वजह से मरीज़ की कीमोथेरेपी भी नहीं की जा सकती थी। शरीर में या पैंक्रियाज़ में पनपने वाले कैंसर को डिस्‍टल पैंक्रियकटॅमी से निकाला जाता है।

इसके लिए, पैंक्रियाज़ के मुख पर या निचली बाइल डक्‍ट, एंपुला तथा ड्यूडनम के दूसरे हिस्‍से में स्थित कैंसर को व्हिपल्‍स पैंक्रियाटिकोड्यूडेनेक्‍टमी (pancreaticoduodenectomy) की मदद से हटाया जाता है।

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सर्जरी काफी कठिन थी और इससे मां एवं भावी शिशु दोनों के लिए खतरा था। इसके अलावा, मरीज़ का गर्भ पहले ही काफी बढ़ चुका था और अंबलीकस से ऊपर था। उसकी वजह से पैंक्रियाज़ (सर्जिकल फील्‍ड) तक एक्‍सेस बंद था, इन सब चुनौतियों को ध्‍यान में रखकर ही डॉ जावेद तथा उनकी टीम ने व्हिपल्‍स सर्जरी करने का फैसला किया।

ट्यूमर को हटाने में रहे कामयाब 

डॉ जावेद ने कहा, ”यह काफी बड़ा ऑपरेशन था, जिसके लिए कई पहलुओं पर ध्‍यान देने की जरूरत थी। आईसीयू की उन्‍नत क्षमताएं, पोस्‍ट ऑपरेटिव केयर यूनिट और हाइ लेवल एनेस्‍थीसिया टीमें सभी एक साथ मिलकर काम कर रही थीं। सर्जरी में 4 घंटे लगे। हम इसे गर्भस्‍थ शिशु को हिलाए बगैर कर पाए और पोस्‍टऑपरेटिव नतीजों से पता चला है कि ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया है।

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चार घंटे तक चली सर्जरी काफी जटिल थी। चित्र: शटरस्टॉक

अब शिशु भी स्‍वस्‍थ है। फाहिमा ऑपरेशन के बाद स्‍वास्‍थ्‍यलाभ कर रही हैं और उन्‍हें सात दिनों के बाद अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई।

मरीज़ फाहिमा ने कहा, ”व्हिपल सर्जरी मेरे लिए जीवनदायी साबित हुई है। मैं अपनी प्रेगनेंसी को लेकर काफी संवेदनशील थी क्‍योंकि यह मेरे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण थी। डॉ जावेद और उनकी टीम ने उम्‍मीद की किरण दिखायी और उनकी विशेषज्ञता, कौशल तथा भरोसे का ही नतीजा है कि आज मेरा बच्‍चा जीवित है। मैं हमेशा उनकी और आभारी रहूंगी कि उन्‍होंने न सिर्फ मुझे नया जीवनदान दिया बल्कि मेरे बच्‍चे को भी बचाया।‘’

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