Motor Neuron Disease : आखिर क्या है यह बीमारी जिससे स्टीफन हॉकिंग ने किया था मुकाबला

शारीरिक क्षमता आपकी गति को सीमित कर सकती है, पर इरादों की रफ्तार नहीं रोक सकती। स्टीफन हॉकिंग का जीवन एक प्रबल इच्छा शक्ति का प्रतीक है।
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21 साल की उम्र में स्टीफन हॉकिंग को गया था मोटर न्यूरॉन डिज़ीज। चित्र : शटरस्टॉक
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आज के दिन यानी 8 जनवरी को सन 1942 में दुनिया के प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का जन्म हुआ था और आज उनके जन्मदिन (stephen hawking birthday) के अवसर पर उन्हें फिर से याद किया जा रहा है। दुनिया में उनकी छवि एक महान वैज्ञानिक के रूप में है और दुनिया भर के लोग उनके बारे में जानना और पढ़ना पसंद करता है। स्टीफन हॉकिंग विल पावर (stephen hawking will power) का एक बड़ा उदाहरण हैं। जब 21 साल की उम्र में वह दुनिया बदलने का ख्वाब देख रहे थे, तब उन्हे ऐसी बीमारी ने अपना निशाना बनाया, जिससे कोई भी पस्त हो सकता था। पर उन्होंने हार नहीं मानी। आइए जानते हैं मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली इस बीमारी के बारे में। 

डॉक्टरों ने उनको ऐसी बीमारी के बारे में बताया जिसके बाद एक चीज साफ कर दी गई थी कि उनकी उम्र मात्र दो-तीन साल ही बची है। उस बीमारी का नाम है मोटर न्यूरॉन (Motor neuron disease)! इसके बाद भी स्टीफन हॉकिंग विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक बने और साल 2018 में उनकी मृत्यु हुई। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर गूगल ने भी डूडल के रूप में उन्हें याद किया।

चलिए पहले स्टीफन हॉकिंग के बारे में कुछ और जानते हैं 

“लाइफ बहुत दुखी होगी अगर हम फनी नहीं होंगे”, यह बात 50 साल तक व्हीलचेयर पर गुजारने वाले स्टीफन हॉकिंग द्वारा कही गई। वह उस दौर की लाइलाज बीमारी मोटर न्यूरॉन (Motor neuron disease) से जूझ रहे थे। साल 1942 में उनका जन्म ऑक्सफोर्ड में हुआ था और उनके पिता एक रिसर्च और बायोलॉजिस्ट थे। जो जर्मनी में हुई बमबारी से बचने के लिए लंदन में आकर बस गए थे। 

कहा जाता है कि शुरू से स्टीफन हॉकिंग को ब्रह्मांड में रुचि थी। ऑक्सफ़ोर्ड से फ़िजिक्स में डिग्री हासिल करने के बाद वे कॉस्मोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट रिसर्च करने के लिए कैम्ब्रिज चले गए। जहां 1963 में उन्हें इस बीमारी का पता चला।

गूगल ने डूडल के जरिए दर्शाया स्टीफन हॉकिंग का सफर 

स्टीफन हॉकिंग के 80 वें जन्मदिन के अवसर पर सर्च इंजन गूगल ने शनिवार को ऑथर और वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग पर एक डूडल (Google Doodle) तैयार किया है। इसमें गूगल द्वारा स्टीफन के पूरे जीवन काल के सफर को दिखाया गया है। डूडल में जो वीडियो है उसने उनके योगदान की झलक भी दिखाई गई है।

आखिर क्या होती है मोटर न्यूरॉन बीमारी 

यह एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को पूरी तरह से अपाहिज कर देती है। NHS के अनुसार, इसमें दिमाग की नसें और रीढ़ की हड्डी की नसें पूरी तरह से काम करना बंद कर देती हैं। शरीर की नसों पर लगातार हमला होता है और धीरे-धीरे शरीर का हर एक अंग काम करना बंद कर देता है। 

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इसके कारण व्यक्ति पूरी तरह से उठने-चलने में नाकाम होता है। दरअसल मोटर न्यूरॉन नर्व सेल ( Nerve cell  ) होते हैं जो हमारे मसल्स को इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजते हैं। जिसके कारण हमारी मसल्स काम कर पाती हैं और हमारे शरीर में मूवमेंट होती है।

क्या मोटर न्यूरॉन डिजीज का उम्र से कोई संबंध है?

मोटर न्यूरॉन बीमारी ( MND) किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि ज्यादातर मामले 40 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों में देखे जाते हैं। आंकड़ों की बात करें तो महिलाओं से ज्यादा पुरुष इस बीमारी से ग्रस्त हैं। 

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इस बीमारी में दिमाग की नसें और रीढ़ की हड्डी की नसें पूरी तरह से काम करना बंद कर देती हैं। चित्र : शटरस्टॉक

इस बीमारी का एक ही मुख्य रूप है जिसे एम्योट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (amyotrophic lateral sclerosis (als)) के नाम से जाना जाता है। हालांकि इसके कई प्रकार हैं जिसमें प्रगतिशील बल्बर पाल्सी (PBP), प्रोग्रेसिव मस्कुलर एट्रोफी (PMA), प्राथमिक पार्श्व काठिन्य (PLS), स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी शामिल हैं।

आखिर क्या होते हैं इस बीमारी के शुरुआती लक्षण 

इस बीमारी में सबसे बड़ी समस्या यह है कि शुरुआत में इसके लक्षण पता करना काफी मुश्किल हो जाता है। हालांकि कई समस्याएं इस बीमारी के संकेत को दर्शाती है जैसे :

  1. बोलने में दिक्कत होना
  2. खुद की भावनाओं पर काबू न कर पाना
  3. जुबान का लड़खड़ाना
  4. एड़ी कमजोर महसूस होना
  5. मांसपेशियों में क्रैम्प ज्यादा होना
  6. हाथ पैर पतले होना और अचानक वजन गिरने लगना

क्या मुमकिन है इस बीमारी का इलाज ? 

nerve cell hote hain Motor Neuron
मोटर न्यूरॉन नर्व सेल होते हैं जो हमारे मसल्स को इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

इस बीमारी का कोई सफल इलाज अभी तक नहीं है। हालांकि इसके लक्षणों को कम करने के लिए कई प्रयास और उपचार किए जा सकते हैं। जिसमें : 

  1. ऑक्यूपेशनल थेरेपी
  2.  फिजियोथेरेपी और व्यायाम
  3. स्पीच और लैंग्वेज थेरेपी
  4. स्वस्थ खानपान
  5. मांसपेशियों के लिए कुछ दवा
  6. मेंटल सपोर्ट आदि का सुझाव दिया जा सकता है।

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