कोरोना वायरस अपने साथ ढेर सारी समस्याएं लेकर आया है। कोई भी इसे अभी तक ठीक तरह से समझ नहीं पा रहा। मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि हम इससे बच नहीं सकते। इससे बचाव के साथ ही उपचार में भी बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत है। खासतौर से तब जब आप डायबिटीज जैसी किसी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति से जूझ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने ब्लैक फंगस के बारे में कुछ जरूरी गाइडलाइंस जारी की हैं। जिन्हें हम सभी को जानना जरूरी है।
दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के चलते स्वास्थ्य जगत सतर्क हो गया है। कोरोना वायरस के उपचार के साथ ब्लैक फंगस का खतरा दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों में बढ़ने लगा हैं। यह असल में म्यूकोर्मिकोसिस नाम का एक फंगल इंफेक्शन है, जिसे ब्लैक फंगस कहा जा रहा है।
कोरोनाकाल में ही अब एक नई बीमारी सामने आयी है, जो भारत के कई राज्यों में फैल गई है। दरअसल कोरोना मरीजों में म्यूकोर्मिकोसिस नाम का एक फंगल इन्फेक्शन सामने आया है। जो अब ब्लैक फंगस के नाम से चर्चा का विषय बना हुआ है। ये खतरा खास तौर से उन मरीजों में दिखाई दे रहा है, जिनको कोविड से ठीक हुए दो हफ्ते हुए हैं। साथ ही जिन्होंने कोविड के दौरान स्टेरॉयड लिए थे।
माना जा रहा है कि स्टेरॉयड लेने के कारण मरीजों का शुगर लेवल बढ़ जाता है और इम्युनिटी कम हो जाती है।
डॉ गुलेरिया ने ट्वीट में लिखा है कि COVID मरीजों में फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। एसएआरएस के प्रकोप के दौरान कुछ हद हमें ये भी पता चला है कि COVID के मरीजों की डायबिटीज अगर संतुलित नहीं होगी, तो उन्हें म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) हो सकता है।
नाक से खून बहना, पपड़ी जमना, नाक का बंद होना या काला-सा कुछ निकलना, चेहरे का सुन्न हो जाना या झुनझुनी-सी महसूस होना, आंख को खोलने-बंद करने में दिक्कत होना, सिर और आंख में दर्द, आंखों के पास सूजन, आंखों का लाल होना, धुंधला दिखना, कम दिखाई देना, मुंह को खोलने में या कुछ चबाने में दिक्कत होना, दांतों का गिरना और मुंह के अंदर या आसपास सूजन होना।
दिल्ली-200 (30 लोग गंभीर)
महाराष्ट्र-2000 (90 लोगों की मृत्यु)
गुजरात-1700
राजस्थान-750 से ज्यादा
मध्यप्रदेश-585
डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज करें। अगर मरीज को डायबिटीज है, तो उसके ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहें। कोशिश करें कि रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहे। अगर कोई अन्य बीमारी हो, तो उसकी दवाई लेते रहें और खुद को मॉनिटर करें। जहां तक संभव हो खुद ही स्टेरॉयड या किसी अन्य दवा के सेवन बचें और नाक-आंख की जांच भी करते रहें।
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