बरसात का मौसम (Rainy season) बहुत सारी बीमारियों का भी मौसम होता है। वातावरण में मौजूद नमी बैक्टीरिया को फैलने में मदद करती है। अगर आपके घर में पालतू जानवर हैं या आप मांसाहार करते हैं तो आपको इस मौसम में और भी सावधान रहने की जरूरत है। कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनका संक्रमण पशुओं द्वारा मनुष्यों में फैलता है। इन्हें जूनोटिक डिजीज की श्रेणी में रखा जाता है। इनसे बचने का सबसे पहला उपाय है इनके बारे में सही जानकारी होना। आइए जानते हैं वे उपाय (How to avoid zoonotic disease) जो आपको जूनोटिक बीमारियों से बचा सकते हैं।
जैसा कि कहावत है कि ‘इलाज से बेहतर बचाव है’, यह वास्तव में, हमें कई रोगों से बचाता है। लेकिन किसी बीमारी को फैलने से रोकने के लिए जरूरी है कि उसके सामान्य लक्षणों और अन्य पहलुओं को समझा जाए, और उसकी पैथोलॉजी तथा यह जानना सबसे महत्वपूर्ण है कि कोई रोग कैसे और क्यों फैलता है।
जूनोटिक रोग (या जूनोज) उन रोगों को कहते हैं जो ऐसे रोगाणुओं की वजह से होते हैं जो कि जानवरों और लोगों के बीच फैलते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मताबिक, ऐसा कोई भी रोग या संक्रमण जो वर्टिब्रेट जानवरों से मनुष्यों में या मनुष्यों से जानवरों में फैलता हो, जुनोसिस (Zoonoses) कहलाता है। मनुष्यों को संक्रमित करने वाले रोगाणुओं में करीब 61% जुनोटिक (Zoonotic) होते हैं।
ये रोग कई किस्म के हानिकारक रोगाणुओं जैसे वायरस, बैक्टीरिया, परजीवियों और कवक आदि के कारण फैलता है। ये रोगाणु मनुष्यों एवं जानवरों में अलग-अलग प्रकार के रोगों को फैलाते हैं। जिनमें हल्की किस्म की बीमारियों से लेकर कई बार घातक रोग भी शामिल होते हैं। ध्यान देने की बात है कि कई बार दिखने में स्वस्थ जानवर भी ऐसे हानिकारक रोगाणुओं को फैला सकते हैं, जिनसे मनुष्य बीमार पड़ सकते हैं, और यह जूनोटिक रोगों पर निर्भर करता है।
कुछ सामान्य जुनोटिक रोगों में प्लेग, रेबीज़, एंथ्रैक्स, मलेरिया, डेंगू, एच1एन1, इंफ्लुएंज़ा और हाल में नियो कोरोना वायरस द्वारा फैलाया जाने वाला कोविड-19 शामिल है।
मनुष्य और जानवर आदिकाल से एक-दूसरे के साथ रहते आए हैं, जब मनुष्यों ने पशुओं को पालतू बनाना शुरू किया था। हाल में यह नजदीकी कई गुना बढ़ चुकी है। ऐसा बड़े पैमाने पर जंगलों के कटाव और अंधाधुंध शहरीकरण की वजह से हुआ है, जो कि आधुनिक युग की देन है।
इसलिए, इन रोगाणुओं के प्रसार के सामान्य कारणों और तौर-तरीकों के बारे में जागरूक होना जरूरी है। सीडीसी के मुताबिक, ऐसा इन कारणों के चलते हो सकता है:
किसी संक्रमित जानवर को दुलारते वक्त या उनके संपर्क में आने पर लार, रक्त, पेशाब, म्युकस, मल तथा शरीर के अन्य तरल पदार्थ के जरिए, जानवरों के काटने या खरोंचने अथवा कच्चा या बिना पका भोजन करने पर।
ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां जानवर रहते या घूमते हों, या फिर ऐसी वस्तुओं, सतहों आदि के संपर्क में न आएं जो रोगाणुओं द्वारा दूषित हों। जैसे कि पालते जानवरों के घरों, मुर्गियों के बाड़ों, पेड़-पौधों, मिट्टी और जंगली जानवरों के ठिकानों से दूर रहें।
किसी टिक, या मच्छर और फ्ली आदि के काटने के कारण।
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कस्टमाइज़ करेंअसुरक्षित भोज्य पदार्थ या पेय पदार्थों का सेवन करने से बचें। दूषित भोजन से पालतू पशुओं समेत जानवरों और मनुष्यों को बीमारी होने का खतरा रहता है।
दूषित जल पीने या संपर्क में आने पर।
असल में, हर किसी को रोगों का खतरा है लेकिन कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक जोखिमग्रस्त होते हैं और उनका बचाव करना चाहिए तथा उनके आसपास सावधानी बरती जानी चाहिए। इनमें शामिल हैं:
5 साल से कम उम्र के बच्चे
65 साल से अधिक उम्र के वृद्धजन
कमजोर इम्यून सिस्टम और कोमॉरबिडिटीज़ वाले लोग
गर्भवती महिलाएं
हम अपने आपको और अपने परिजनों को जूनोटिक रोगों से कई तरीकों से बचा सकते हैं। सीडीसी का सुझाव है –
वनों एवं जानवरों के प्राकृतिक पर्यावासों के संरक्षण में सहयोग करें।
शहरों के आसपास अंधाधुंध तरीके से पेड़ों के कटाव से बचें।
पृथ्वी के बचाव के लिए कार्यरत पर्यावरणविदों को सपोर्ट करें।
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