गुजरते वक्त के साथ लोग अपने खाने-पीने की आदतों को लेकर जरूरी एहतियात बढ़ा रहे हैं। डाएटीशियन की जरूरत जो पहले फिल्मी सितारों या एथलीट्स तक महदूद हुआ करती थी, अब हमारे जिंदगियों में भी दखल दे रही है। यह सही भी है क्योंकि तेजी से बदलते पर्यावरण और हमारी लाइफस्टाइल में हमें क्या खाना है और कैसे खाना है – इसकी जानकारी होनी बहुत जरूरी है। कैसे खाना है की बहस में आते हैं दो तरीके जिन पर अक्सर नतीजे नहीं मिल पाते। वो है, कम बार लेकिन ज्यादा खाना, सही है या फिर बार बार लेकिन कम खाना ज्यादा (small meal vs large meal) सही? आज हम इसी सवाल का जवाब लेंगे, एक्सपर्ट की मदद से।
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम में हेड न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटीशियन डॉक्टर नीति शर्मा के अनुसार, खाने का यह तरीका आजकल चलन में है। हम भी बहुत सारे केसेस में यह सजेस्ट करते हैं, जैसे कि दिन में 5-6 बार खाना लेकिन बार बार खाना।
कम लेकिन बार बार खाने से शरीर का मेटाबोलिज्म हमेशा सक्रिय रहता है। जब आप बार-बार खाते हैं, तो शरीर को पचाने के लिए कम समय मिलता है जिससे शरीर में एनर्जी लेवल भी बना रहता है और आपका मेटाबोलिज़्म हमेशा एक्टिव रहता है। इससे शरीर कैलोरी को अच्छे से बर्न कर पाता है और आप वजन कंट्रोल कर सकते हैं।
कम मात्रा में भोजन करने से शरीर में ब्लड शुगर अचानक से नहीं बढ़ता। यह खासतौर पर डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि अगर वे ज्यादा खाएंगे और उनके शरीर में ब्लड शुगर बढ़ गया तो उन्हें समस्याएं हो सकती हैं।
कम खाना खाने से शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलता है और वो खाना अच्छे तरीके से पचा पाता है। इससे आपका मेटाबोलिज़्म मजबूत होता है।
बार बार लेकिन कम खाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपकी भूख कंट्रोल में रहती है। इससे ओवरईटिंग से बचा जा सकता है, क्योंकि हर बार थोड़ी-थोड़ी भूख शांत होती रहती है।
बार-बार खाने का मतलब यह नहीं कि कोई भी खाना खाया जा सकता है। जब लोग (small meal vs large meal) छोटे-छोटे भोजन खाते हैं, तो वे कभी-कभी ज्यादा कैलोरीज वाले खाने का चुनाव कर लेते हैं। आपको इससे बचना है। इसके अलावा बार बार और कम खाने का मतलब ये नहीं है कि आप दिन भर फास्ट फूड्स ही खाते रहिए। इससे आपको कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नुकसान ही ज्यादा होंगे।
ऐसी स्थिति में इंसान केवल 2 या मैक्सिमम तीन बार खाना खाता है लेकिन भरपूर खाना खाता है। इसके भी अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं
डॉक्टर नीति के अनुसार ये ऐसे ही व्यक्ति के लिए फायदेमंद है जिन्हें कम समय में ज्यादा एनर्जी चाहिए। पूरे दिन काम करने वाले लोग अक्सर ऐसा तरीका (small meal vs large meal) अपनाते हैं ताकि उनके शरीर में पर्याप्त एनर्जी बरकरार रहे और उनका समय भी बचा रहे।
एक और बात है जिन्हें हम इस तरह के खाने के फ़ायदों में गिन सकते हैं वो ये कि ज्यादा खाने से हमारे खाने के बीच का अंतराल बड़ा होता है और हमारे शरीर के पाचन तंत्र को खाना पचाने के लिए ज्यादा वक्त मिलता है, इससे होता ये है कि अगर हमारा पाचन दुरुस्त है तो हम आसानी से खाने को पचा पाते हैं। हालांकि इस तरह के खाने के नुकसान ज्यादा बड़े हैं।
एक बार में ज्यादा खाना खाने से हमारेपाचन तंत्र पर दबाव पड़ सकता है। इस वजह से पेट में गैस, भारीपन, कब्ज़ और अपच जैसी समस्याएँ होती हैं।
ज्यादा खाने के बाद ब्लड शुगर स्तर में अचानक वृद्धि हो सकती है, जो डायबिटीज या इंसुलिन रेजिसटेन्स से पीड़ित लोगों में समस्याएं बढ़ा देता है। कई बार इन बीमारियों से पीड़ित लोगों की स्थिति गंभीर हो सकती है।
अगर आप ज्यादा खाते (small meal vs large meal) हैं लेकिन एक लंबे अंतराल पर खाते हैं तो आपको भूख ज्यादा लगती है। इससे ओवरइटिंग का खतरा ज्यादा होता है। ये पेट में समस्याएं तो पैदा ही करता है लेकिन अगर आप ज्यादा खाते हैं तो आपके शरीर में कैलोरीज भी ज्यादा जा रही होती हैं जिनसे वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टर नीति के अनुसार, दोनों तरीकों के फायदे देखने के बाद मेरे समझ में कम खाना लेकिन कई बार खाने का तरीका ही अच्छा है, अगर मुमकिन है तो। अगर आप वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं, तो छोटे-छोटे खाने से भूख और कैलोरी कंट्रोल आसान हो सकता है।
इसके अलावा, छोटे भोजन मेटाबोलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे कैलोरी जलती है और वजन घटाने में मदद मिलती है। न सिर्फ इतना ही बल्कि आप अगर डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त हैं तो कम खाने से आपका ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहेगा।
ऐसी स्थिति में ज्यादा खाना और कम बार खाना (small meal vs large meal) तब ही सही ऑप्शन है, जब आप इतने ज्यादा व्यस्त हों कि आपको बार-बार खाने का समय न मिले। तब आपकी ये मजबूरी भी है और जरूरत भी क्योंकि अंततः खाना तो जरूरी ही है, तरीके भले अलग-अलग हों।
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