अमेरिकन साइकेट्रिक असोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के एक तिहाई वयस्क किसी ना किसी तौर पर नींद आने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। यह सच है कि मेडिकल फील्ड में लगातार दवाओं के आविष्कार ने उनकी राह आसान की है लेकिन क्या यह दवाएं सेफ हैं? तब जब उनमें से कुछ दवाएं लोगों के लिए नशे की तरह बनती जा रही हैं जिनके बगैर उन्हें नींद ही नहीं आती। आज सोने की इन्हीं दवाओं(Sleeping Pills) पर करेंगे बात, कैसे काम करती हैं ये और इनके फायदे क्या और नुकसान क्या हैं?
स्लीपिंग पिल्स वह दवाईयां हैं जो नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए बनाई गई हैं। ये दवाईयां नींद लाने में या फिर नींद को बेहतर बनाने के लिए डॉक्टर्स मरीजों को देते हैं जिन्हें इस तरह की समस्याएं होती हैं।।स्लीपिंग पिल्स दरअसल, दिमाग के केमिकल्स पर अपना असर दिखाते हैं,जिनकी वजह से नींद आने में बाधा हो रही होती है। ये पिल्स उन केमिकल्स को कंट्रोल कर उन्हें शांत करते हैं जिसके बाद नींद में कोई बाधा नहीं रह जाती।
स्लीपिंग पिल्स या नींद की गोलियां उन लोगों के लिए ज़रूरी हो सकती हैं जो सोने में नींद लाने में परेशानी का सना कर रहे हैं। नींद से सम्बंधित कोई भी बीमारी में ये काम आती है, चाहे वो अनिद्रा हो या फिर बार-बार नींद खुल जाने की समस्या। यहां यह बात भी समझनी ज़रूरी है कि डॉक्टर उन्हें ही नींद की गोली खाने की राय देते हैं जिनकी नींद की समस्या ज़्यादा सीरियस हो और जिसका असर उनकी दिनचर्या पर पड़ रहा हो। अगर किसी को नींद कम आ रही या फिर आ ही नहीं रही है तो इसका असर उसके हेल्थ पर पड़ना लगभग तय है। जैसे अगर आपको रात में केवल 3-4 घण्टे ही नींद आती है तो आप की समस्या गम्भीर है। डॉक्टर आपको कुछ समय के लिए ही सही लेकिन नींद की दवाई दे सकता है।
उजाला सिग्नस फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉक्टर शुचिन बजाज के अनुसार, स्लीपिंग पिल्स के असर के हिसाब के उन्हें तीन तरह से बांटा जा सकता है। जैसे-
1.बेंजोडायजेपाइन
ये गोलियां तुरन्त असरदार होती हैं और जल्दी नींद लाने के लिए खाई जाती हैं। हाँ लेकिन इनका लंबे समय तक इस्तेमाल आपको इसके साइडइफ़ेक्ट्स ( Sleeping pills side effects) दे सकता है और एक वक्त आएगा जब नींद के लिए पूरी तरह से इसी पर निर्भर हो जाएंगे।
2.नॉन बेंजोडायजेपाइन
ये गोलियां बेंजोडायजेपाइन की तुलना में कम असरदार होती हैं। इन गोलियों के इस्तेमाल स इसपर निर्भरता के कम खतरे हैं और इसके साइडइफेक्ट्स(Sleeping pills side effects) भी कम हैं।
3.हिस्टामाइन-2 रिसेप्टर एंटागोनिस्ट्स
ये गोलियां डायरेक्ट नींद लाने में मदद ना कर नींद को प्रोत्साहित करती हैं। यह पहले दो गोलियों के मुकाबले कम हानिकारक और कम नशे के खतरे के सारे पैरामीटर को पूरा करती हैं।
1. नींद पर असर
अगर आप स्लीपिंग पिल्स ले रहे हैं तो मुमकिन है कि आप नॉर्मल नींद ना ले सकें। कभी ये हो सकता है कि आप रात में नींद से उठकर चौंक पड़ते हैं और खूब सोने के बावजूद आपको नींद ना पूरी होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ये इसके साइडइफ़ेक्ट्स (Sleeping pills side effects) में से प्रमुख है।
2. बहुत ज्यादा नींद
जाहिर है स्लीपिंग पिल्स इसीलिए बनी हैं कि खाने वाले को नींद आए। लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के अगर आप नींद की गोली ले रहे हैं तो आपको बहुत ज्यादा नींद लगने की भी शिकायत हो सकती है।
3.दिमागी समस्याओं का जन्म
स्लीपिंग पिल्स का लंबे समय तक इस्तेमाल आपके दिमाग की सेहत के लिए ठीक नहीं है। आपमे चिड़चिड़ापन, गुस्सा जैसी समस्याएं सिर उठा सकती हैं। इसके अलावा,आपको याददाश्त की भी दिक्कतें हो सकती हैं।
3. मानसिक समस्याएं
स्लीपिंग पिल्स के सेवन से रात भर नींद की गहरीता पर असर पड़ सकता है, जिससे व्यक्ति का चौंकने, रात भर जागने, या नींद न पूरी होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
4. लिवर और किडनी को बड़ा डैमेज
बिना डॉक्टरी सलाह के अगर आप रोज की नींद की गोली खाने लगे हैं तो रुक जाइये। इसके परिणाम आपके लिवर और किडनी तक भी जा सकते हैं। रोज़ नींद की गोली आपके किडनी और लिवर को फेल्योर तक भी ले जा सकती है।
डॉक्टर शुचिन बजाज ने हम से दो चार परिस्थितियों को साझा किया जब नींद की गोली खाने से लोगों को बचना चाहिए क्योंकि डॉक्टर से मिलने का वक्त आ गया उनका। जैसे-
1. जब आपको लग रहा हो कि आप रोज़ स्लीपिंग पिल्स खाने लगे हैं और इसके बगैर आपको नींद नहीं आ रही।
2. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद उल्टी और चक्कर आ रहा हो तो तुरन्त डॉक्टर से मिल लें।
3.स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद भी अगर जगे हुए रहते हैं तो यह बड़े खतरे की आहट है। इसका मतलब नींद की गोली का असर आप पर नहीं हो रहा है। ऐसे में लोग डोज़ बढ़ा देते हैं लेकिन ज्यादा अच्छा और सुरक्षित ऑप्शन डॉक्टर से मिल लेना ही है।
4.जिन्हें पहले से ही हार्ट, लिवर या किडनी जैसी कोई समस्या हो वे डॉक्टर से पूछे बगैर स्लीपिंग पिल्स इस ना खाएं।
कुल मिला कर नींद की गोली का ईजाद आसानी बनने के लिए किया गया था ना कि उनका ओवरयूज आपको नुकसान पहुँचा जाए। डॉक्टर की सलाह के बगैर नींद की गोली लेना मतलब अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। इसलिए अपने जीवन का ख्याल रखिये।
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