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सिकल सेल एनीमिया को ज्यादा बढ़ने से रोक सकता है प्रीमेरिटल चेकअप, यहां है इस बीमारी के बारे में सब कुछ

सिकल सेल रोग में शरीर में खून बनना धीरे धीरे कम होने लगता है और रेड ब्लड सेल्स पर प्रभाव नज़र आने लगता है। जानते हैं, वर्ल्ड सिकल सेल जागरूकता दिवस के मौके पर इस समस्या का कारण और इससे निपटने के उपाय भी।
Published On: 19 Jun 2023, 05:15 pm IST
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Sickle cell anemia se kiase bachein
जानते हैं, वर्ल्ड सिकल सेल जागरूकता दिवस (World sickle cell awareness day) के मौके पर इस समस्या का कारण और इससे निपटने के उपाय भी। चित्र- अडोबी स्टॉक

जीवन जीने के लिए बॉडी में ब्लड का फ्लो नियमित होना बहुत ज़रूरी है। खून से हमारे शरीर का ऑक्सीजन (Oxygen) मिलती है। अगर शरीर में खून की कमी होती है, तो उससे हमारा शरीर कई तरह की समस्याओं से जूझने लगता है। साथ ही खून की कमी हमारे शरीर को कई प्रकार की परेशानियों से घेरने में कारगर साबित होते हैं। खून की ऐसी ही एक समस्या है सिकल सेल एनीमिया, जो एक ऐसा जेनेटिक डिजीज (Genetic disease) है। जो हेमोलिसिस और क्रानिक ऑर्गन डैमेज (Chronic organ damage) का कारण बन जाता है।

सिकल सेल एनीमिया सिकल सेल रोग का ही एक रूप है। इस समस्या में शरीर में खून बनना धीरे धीरे कम होने लगता है। इससे रेड ब्लड सेल्स पर प्रभाव नज़र आने लगता है। जानते हैं, वर्ल्ड सिकल सेल जागरूकता दिवस (World sickle cell awareness day) के मौके पर इस समस्या का कारण और इससे निपटने के उपाय भी।

विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस (World sickle cell awareness day 2023)

हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस जागरूकता दिवस का मकसद लोगों को सिकल सेल रोग यानि एससीडी (SCD) के बारे में जानकारी प्रदान करना है। साथ ही इस बीमारी के दौरान होने वाली चुनौतियों के बारे में लोगों को सतर्क करना भी है। दरअसल, सिकल सेल रोग एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है। ये बीमारी संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 100,000 लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है।

विश्व स्वस्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल लगभग 300,000 शिशु हीमोग्लोबिन से जुड़े डिजीज के साथ जन्म लेते हैं। अफ्रीका में सिकल सेल एनीमिया के 200,000 मामले पाए जाते हैं। विश्व स्तर पर सिकल.सेल से प्रभावित लोगों के चलते नवजात शिशुओं में इसकी दर तेज़ी से बढ़ रही है।

sickle cell anemia se kaise bachn
सिकल सेल एनीमिया से जुड़े लोगों में लाल रक्त कोशिकाएं कठोर, चिपचिपी और सिकल के शेप में हो जाती हैं।

सिकल सेल रोग क्या है

नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के मुताबिक सिकल सेल रोग यानि एससीडी एक इनहैरिट ब्लड कंडीशन है। इस कंडीशन में हमारी बॉडी एबनॉर्मल हीमोग्लोबिन प्रोडयूस करने लगती है। दरअसल, हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। जो पूरे शरीर के विभिन्न अंगों में मौजूद टीशूज को ऑक्सीजन पहुंचाने में कारगर साबित होता है।

इस स्थिति में शरीर में पाया जाने वाला हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन का लेवल कम होने से शरीर में फाइबर बनाने लगता है। इसके चलते शरीर में रेड ब्ल्ड सेल्स की डिस्क को असामान्य आकार में परिवर्तित कर देते हैं। शरीर में आने वाले इन परिवर्तनों को सिकल बीमारी के लक्षणों के तौर पर देखा जाता है।

जानिए सिकल सेल एनीमिया के कुछ सामान्य लक्षण

हड्डियों में दर्द और ऐंठन की शिकायत होना

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

हाथ, पैरों और घुटनों में सूजन की समस्या बने रहना

सिर में भारीपन महसूस होना और चक्कर आना

हर वक्त कमज़ोरी महसूस होना, ज्यादा देर तक खड़े न रह पाना

काम में फोकस करने में दिक्कत होना और परेशान रहना

सिकल सेल रोग कैसे करता है प्रभावित

नेशनल सिकल सेल एनीमिया एलिमिनेशन प्रोग्राम के मुताबिक सिकल सेल रोग रोगी के जीवन को प्रभावित करता है। भारत की ट्राइबल जनसंख्या में यह समस्या आमतौर पर पाई जाती है। ये जेनेटिक रोग न केवल बॉडी में एनीमिया का कारण बनता है। इससे शरीर में दर्द, लंग्स, हार्ट, हड्डियों और माइंड जैसे इंटरनल ऑर्गंस भी प्रभावित होते हैं।

भारत में विश्व स्तर पर जनजातीय आबादी की तादाद सबसे ज्यादा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में ट्राइबल आबादी 8.6 फीसदी है। जो भारतीय राज्यों में 67.8 मिलियन माने जाते हैं।

कैसे हाे सकता है इस बीमारी से बचाव

इस बारे में एमडी एंड डी एन बी, मेडिकल लेबोरेटरी डायरेक्टर, रेडक्लिफ लैब्स, डॉ सोहिनी सेनगुप्ता का कहना है कि इस बीमारी के चलते शरीर में मौजूद रेड ब्ल्ड सेल्स अलग तरीके से बदलने लगते हैं। इसके चलते वो बॉडी में आर्टरीज़ को ब्लाक कर सकते हैं। इससे जोड़ों में दर्द, चेस्ट पेन और सूजन व ऐंठन की समस्या बढ़ने लगती है। इससे व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो सकता है।

kya hota hai sickle cell anemia
सिकल सेल एनीमिया बॉडी में दर्द, पूर्ण विकास न होना, लंग्स, हार्ट, हड्डियों और माइंड जैसे इंटरनल ऑर्गंस भी प्रभावित होते हैं। चित्र : अडोबा स्टॉक

सिकर सेल एनीमिया को फैलने से रोकने के लिए रखें इन बातों का ख्याल

प्री मेरिटल स्क्रीनिंग करवाएं। इससे आप शरीर में सिकल सेल की उपस्थिति की जानकारी पा सकते हैं।

बच्चे में लक्षण नज़र आने पर फौरन उसकी स्क्रीनिंग करवाएं। इससे आप सिकल डिजीज की जानकारी पा सकते हैं।

लो ऑक्सीजन वाली जगहों पर जाने से बचें। घूमने-फिरने के लिए उन जगहों का रुख न करें।  जिन क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी न हो।

दिनभर पानी पीते रहें और खुद को निर्जलीकरण की स्थिति से बचाकर रखें।

बच्चो को वैक्सीनेशन अवश्य दिलवाएं। सिकल सेल की समस्या से ग्रस्त होने पर एडिशनल वैक्सीनेशन भी लगवाएं।

हेल्दी डाइट लें और खाने में सभी पोषक तत्वों को शामिल करें।

इस समस्या से बाहर आने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट और स्टेम सेल थेरेपी का रूख कर सकते हैं।

हाइजीन का पूरा ख्याल रखें। शरीर की स्वच्छता बनाए रखें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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