अमेरिका की राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हार्ट अटैक से दिल की कोशिकाओं को पहुंचे नुकसान की भरपाई का नया उपाय खोज निकाला है। उन्होंने स्टेम सेल से लैस एक ऐसा कैप्सूल ईजाद किया है, जो ढाई गुना तेज रफ्तार से दिल की मरम्मत करने में सक्षम होगा। अध्ययन के नतीजे ‘रॉयल सोसायटी ऑफ जर्नल बायोमैटेरियल साइंस’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
राइस यूनिवर्सिटी और बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने चूहों में कैप्सूल का असर आंका। उन्होंने दस चूहों में कैप्सूल में संरक्षित स्टेम कोशिकाएं प्रतिरोपित कीं। वहीं, दस अन्य चूहों के हृदय में ऐसी स्टेम कोशिकाएं डालीं, जिन पर कैप्सूल रूपी सुरक्षा कवच नहीं चढ़ा हुआ था।
चार हफ्ते बाद उन्होंने एमआरआई के जरिये सभी चूहों के हृदय में नई कोशिकाओं और ऊतकों के विकास की गति देखी। इस दौरान कैप्सूल में संरक्षित स्टेम कोशिकाएं हासिल करने वाले चूहों में नई कोशिकाएं और ऊतक ढाई गुना तेज रफ्तार से बनते नजर आए।
मुख्य शोधकर्ता वेसेह घांटा के मुताबिक अमेरिका में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है। ज्यादातर मामलों में हृदय में खून की आपूर्ति करने वाली धमनी में वसा जमना इसकी प्रमुख वजह होता है। दरअसल, धमनी ब्लॉक होने से हृदय की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और वे दम तोड़ देती हैं।
उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक के शिकार व्यक्ति का दिल धीमी गति से खून पंप करता है। पूर्ण क्षमता से काम करने के लिए उसमें नए ऊतकों का उत्पादन सुनिश्चित करना जरूरी होता है। स्टेम कोशिकाएं इस दिशा में सर्वाधिक असरदार साबित होती हैं।
स्टेम सेल शरीर की मास्टर कोशिकाएं होती हैं। इनमें हड्डियों, मांसपेशियों और ऊतकों से लेकर पूरे के पूरे अंग का विकास करने की क्षमता पाई जाती है।
घांटा के अनुसार ताजा अध्ययन में देखा गया है कि अगर स्टेम कोशिकाओं को जैविक तत्वों से तैयार एक कैप्सूल में कैद कर दिया जाए तो नए ऊतकों के विकास की उनकी क्षमता ढाई गुना बढ़ जाती है।
कोशिकाओं का लंबे समय तक बाहरी तत्वों से सुरक्षित रहना इसकी मुख्य वजह है। यही नहीं, शरीर उन्हें बाहरी तत्व समझकर उनके खिलाफ प्रतिरोधी कोशिकाएं भी पैदा नहीं कर पाता है। अध्ययन के नतीजे ‘रॉयल सोसायटी ऑफ जर्नल बायोमैटेरियल साइंस’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
(एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के साथ)