scorecardresearch

वैज्ञानिकों ने ढूंढा ओमिक्रोन का तोड़, तीसरी लहर की दशहत के बीच राहत भरे हैं ये दो शोध

कोरोनायरस के संदर्भ में नए दिशानिर्देश जारी हो चुके हैं। यकीनन आपको भी महामारी की तीसरी लहर का डर सता रहा होगा, पर ये दो स्टडी आपको कुछ राहत देने वाली हैं।
Published On: 30 Dec 2021, 05:07 pm IST
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
kya hai deltacron
डेल्टा और ओमिक्रोन से बना है डेल्टाक्रोन। चित्र : शटरस्टॉक

भारत में जैसे-जैसे कोरोना वायरस संक्रमण का नया वैरिएंट ओमिक्रोन फैल रहा है, तीसरी लहर का डर सताने लगा है। दक्षिण अफ्रीका से निकलने के बाद यह नया वैरिएंट अब तक दुनिया के 90 से भी ज्यादा देशों में अपनी पकड़ बना चुका है। 

भारत में अब तक इस नए वेरिएंट के 800 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं। विश्व स्वास्थ संगठन के इसे वैरिएंट ऑफ कन्सर्न बताए जाने के बाद से यह वैज्ञानिक समुदाय के लिए चिंता का कारण रहा है। हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण के इस भय के बीच वैज्ञानिकों द्वारा 2 ऐसी रिसर्च की गईं, जो पूरी दुनिया के लिए राहत की खबर साबित हुईं।

varient of concern
‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ ओमिक्रॉन भारत में तेजी से पैर पसार रहा है! चित्र:शटरस्टॉक

चलिए उन दोनों रिसर्च के बारे में जानते हैं

 1.वैज्ञानिकों ने ढूंढा ओमिक्रोन वेरिएंट का तोड़ 

ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरे के बीच वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने उन एंटीबॉडीज की पहचान कर ली है, जो इस नए वैरिएंट और कोरोना वायरस संक्रमण के अन्य वैरिएंट को बेअसर करने में सक्षम होगी। शोधकर्ताओं के अनुसार एंटीबॉडी वायरस के उस हिस्से को निशाना बनाती हैं जिनमें म्यूटेशन के दौरान कोई बदलाव नहीं होता है। 

वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस स्टडी को नेचर जर्नल में पब्लिश किया गया है। इस रिसर्च के बाद वैक्सीन और एंटीबॉडीज को विकसित करने में काफी मदद मिल सकती है। जो न केवल नए वैरिएंट ओमीक्रोन पर प्रभावी होंगी, बल्कि कोरोना के हर वैरिएंट पर इसका असर देखने को मिलेगा।

यानी अगर इसके बाद कोरोना वायरस संक्रमण का कोई अन्य वैरिएंट भी सामने आता है, तो यह एंटीबॉडीज हमारे शरीर को उस वायरस से लड़ने में सहायता प्रदान करेंगी।

क्या है यह  अध्ययन 

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में प्रोफेसर डेविड वेस्लर के अनुसार, एक दूसरी रिसर्च में सामने आया है कि कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन के सबसे सुरक्षित हिस्से को टारगेट करने वाली एंटीबॉडी इस पर ध्यान देकर, खुद को नए रूप में ढालने की क्षमता से लड़ सकती हैं।

यह बात बहुत पहले ही सामने आ चुकी है कि नए वैरिएंट ओमिक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की संख्या 37 है। दरअसल स्पाइक प्रोटीन किसी भी वायरस का वह नुकीला हिस्सा होता है जिसके जरिए शरीर की कोशिकाओं में वायरस प्रवेश करता है। उनसे जुड़ कर संक्रमण फैलाता है। इन एंटीबॉडी से वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?
bharat me omicron ke 800 maamle
ओमीक्रोन के मामलें भारत में 800 से ज्यादा दर्ज। चित्र:शटरस्टॉक

इस बात को बखूबी समझा जा सकता है कि आखिर ओमिक्रोन वैरिएंट के यह बदलाव वैक्सीन लगावाने वाले और पहले से संक्रमित हो चुके लोगों को कैसे दोबारा संक्रमित करने में सक्षम है। वेस्लर ने कहा, “हम जिन सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे थे, वे थे कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन ने कोशिकाओं से जुड़ने और इम्यूनिटी की एंटीबॉडी से बचने की क्षमता को कैसे प्रभावित किया है। 

कैसे की गई स्टडी ? 

शोधकर्ताओं ने चीजों को बेहतर ढंग से समझने के लिए  स्यूडोवायरस बनाया जिसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट जैसे स्पाइक प्रोटीन थे। वहीं दूसरी तरफ़ उन्होंने शुरुआती वैरिएंट वाला स्यूडोवायरस बनाया। शोधकर्ताओं ने वायरस के अलग-अलग वेरिएंट्स का कंपैरिजन किया और पाया कि महामारी के शुरुआती वायरस में पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन 2.4 गुना बेहतर ढंग से खुद को कोशिकाओं से जकड़ने में सक्षम है।

2 ओमिक्रोन के संक्रमण के बाद बढ़ जाती है इम्युनिटी 

दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि जो लोग कोरोनावायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट से संक्रमित हुए हैं, उनमें पुराने डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले रोग प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। डरबन स्थित अफ्रीका स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान में किए गए एक नए अध्ययन के परिणाम के अनुसार, अध्ययन में 33 टीकाकरण और बिना टीकाकरण वाले लोग शामिल हैं।  वैज्ञानिकों ने पाया कि संक्रमण के लगभग दो सप्ताह बाद ओमिक्रोन के और अधिक संपर्क के खिलाफ प्रतिरक्षा 14 गुना बढ़ गई। जबकि यह भी पता चला कि डेल्टा के खिलाफ प्रतिरक्षा में 4.4 गुणा सुधार हुआ।

corona ka naya varient
वैज्ञानिकों का कहना है कि तेजी से म्यूटेशन होने की वजह से यह नया वेरिएंट डेल्टा, डेल्टा प्लस और बाकी वेरिएंट से खतरनाक है। चित्र : शटरस्टॉक

इन अध्यानों के निष्कर्ष से आप राहत की सांस ज़रूर ले सकते हैं, मगर लापरवाही करने की भूल बिल्कुल भी न करें। इसलिए मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

यह भी पढ़े : तैयार है भारत की पहली डीएनए वैक्सीन, जानिए इसकी कीमत, लेने का तरीका और वायरस पर इसका प्रभाव

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
अक्षांश कुलश्रेष्ठ
अक्षांश कुलश्रेष्ठ

सेहत, तंदुरुस्ती और सौंदर्य के लिए कुछ नई जानकारियों की खोज में

अगला लेख