जोड़ों के दर्द से परेशान हैं? पर किडनी या लिवर को नुकसान पहुंचने के डर से ज्यादा पेनकिलर भी नहीं खाना चाहते? अगर हां तो खाने में हल्दी की मात्रा बढ़ा दीजिए। ऑस्ट्रेलिया स्थित तसमानिया यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन में हल्दी को ऑस्टियोआर्थराइटिस का रामबाण इलाज करार दिया गया है। इसमें मौजूद ‘करक्युमिन’ दर्द के एहसास में कमी लाने में बेहद कारगर साबित हो सकता है।
शोधकर्तओं के मुताबिक हल्दी ‘करक्युला लोंगा’ नामक पौधे की सूखी जड़ को पीसकर तैयार की जाती है। इसमें पाया जाने वाला ‘करक्युमिन’ नाम का पॉलीफेनॉल अपने संक्रमण और सूजन रोधी गुणों के लिए मशहूर है। यही वजह है कि जो लोग नियमित रूप से हल्दी का सेवन करते हैं, उन्हें न सिर्फ जोड़ों में सूजन की शिकायत से निजात मिलती है, बल्कि दर्द का एहसास जगाने वाले सिग्नल भी ब्लॉक होते हैं।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने ऑस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रहे 70 मरीजों को दो समूह में बांटा। पहले समूह में शामिल प्रतिभागियों को रोजाना हल्दी से तैयार दो कैप्सूल का सेवन करवाया। वहीं, दूसरे समूह को दर्दनिवारक दवा बताकर साधारण मीठी गोली खिलाई। 12 हफ्ते बाद पहले समूह के प्रतिभागियों ने दूसरे समूह के मुकाबले जोड़ों के दर्द में कहीं ज्यादा राहत मिलने की बात कही। उन्होंने पेनकिलर की खुराक घटाने की भी जानकारी दी।
शोधकर्ताओं ने दावा किया कि ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज के लिए फिलहाल पेनकिनर के अलावा कोई और असरदार दवा नहीं है। ऐसे में डॉक्टर हल्दी को एक बेहतरीन साइडइफेक्ट रहित उपचार के रूप में सुझा सकते हैं। प्रतिभागियों के जोड़ों के स्कैन से पता चलता है कि हल्दी उनकी संरचना में कोई बदलाव नहीं लाती, पर सूजन घटाकर पेन सिग्नल को जरूर बाधित कर देती है, जिससे दर्द के एहसास में कमी आती है। अध्ययन के नतीजे ‘एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिकल जर्नल’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
-ऑस्थियोऑर्थराइटिस ‘कार्टिलेज’ में क्षरण से जुड़ी एक स्वास्थ्य समस्या है। इसमें हड्डियों के सिरों को ढंकने वाली परत पतली, जबकि हड्डियां मोटी होने लगती हैं। नतीजतन व्यक्ति को जोड़ों में असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है।
-दुनियाभर में 2017 में 30.3 करोड़ से ज्यादा ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले सामने आए
-60 साल से ऊपर के लगभग 20 फीसदी बुजुर्गों के इस बीमारी से जूझने का है अनुमान
-33% मामलों में ऑस्टियोआर्थराइटिस के शिकार बुजुर्ग चलने-फिरने में असमर्थ हो जाते हैं
-मेयो क्लीनिक के अध्ययन में हल्दी को ट्यूमर के विकास पर लगाम लगाने और कैंसर कोशिकाओं का खात्मा करने में कारगर पाया गया था।
-सटर मेडिकल ग्रुप के शोध में हल्दी क्लॉटिंग (खून के थक्के जमना) की रोकथाम में कारगर मिली थी, इससे हार्ट अटैक से मौत का खतरा घटता है।
-अमेरिकन जर्नल ऑफ गेरियाट्रिक साइकेटरी में छपे रिसर्च में हल्दी को तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने से रोकने में मददगार करार दिया गया था, इससे ढलती उम्र में याददाश्त-तर्क शक्ति नहीं पड़ती कमजोर।
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