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विश्व को कोविड-19 जैसी किसी और माहामारी से बचाना है, तो चमगादड़ों पर करनी होगी स्टडी, मानते हैं वैज्ञानिक

वैज्ञानिक चमगादड़ों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ताकि भविष्य में कोविड-19 जैसी माहामारी कसे होने से रोका जा सके।
Published On: 16 Dec 2020, 06:00 pm IST
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चमगादड़ पर केंद्रित है वैज्ञानिकों की रिसर्च। चित्र- शटरस्टॉक
चमगादड़ पर केंद्रित है वैज्ञानिकों की रिसर्च। चित्र- शटरस्टॉक

साल 2020 अपने अंत पर आ चुका है और इस वर्ष पूरे विश्व ने कोविड-19 के रूप में ऐसा ऐतिहासिक अनुभव किया जिसने पूरी दुनिया की दिशा और दशा को बदल कर रख दिया। कई महीनों तक लोग अपने घरों में बन्द हो गए, नौकरियों-व्यवसायों में भारी नुकसान हुआ और अब भी देश इसके प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। वैश्विक स्तर पर इतनी बड़ी माहामारी हर तरह से खतरनाक है।

ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि कोविड-19 जैसी एक और माहामारी न हो, इसके लिए आवश्यक कदम आज से ही उठाए जाने जरूरी हैं। वैज्ञानिक यही कर रहे हैं। कोरोनावायरस के स्ट्रेन को चमगादड़ से मिलने वाले वायरस तक ट्रेस किया गया था। यही कारण है कि वैज्ञानिकों का ध्‍यान अब चमगादड़ों की ओर है।

ब्राज़ील में हो रही है चमगादड़ों पर रिसर्च

रियो डी जेनेरियो के फियोक्रज़ इंस्टीट्यूट में सरकारी स्तर की रिसर्च में चमगादड़ समेत कई जंगली जानवरों पर रिसर्च की जा रही है, जिन्हें कोविड-19 से लिंक किया जा रहा है।

विश्व को कोविड-19 जैसी माहामारी से बचाने के लिए वैज्ञानिक कर रहे हैं रिसर्च। चित्र- शटरस्टॉक

ब्राजील के जंगलों में रात को वैज्ञानिक चमगादड़ों की लार का सैम्पल इकट्ठा करते हैं जिस पर आगे शोध किया जा सके। इसके लिए वे नेट में चमगादड़ को पकड़कर दस्तानों वाली उंगलियों पर उनके दांत लगाते हैं। इस अध्ययन का लक्ष्य है ऐसे वायरस को ढूंढना जो भविष्य में कोरोनावायरस जैसी महामारी का कारण बनने की क्षमता रखते हैं।

इस तरह की रिसर्च सिर्फ ब्राज़ील में ही नही हो रही है,बल्कि विश्व भर में इस तरह की कई स्टडी की जा रही हैं।

भारत में भी हो रही हैं रिसर्च

भारत भी इन अध्ययनों में पीछे नहीं है। दक्षिण भारत के वेल्लोर में भी चमगादड़ों और वायरस पर शोध कार्य चल रहा है। वेल्लोर के क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज की संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ गंगादीप कांग बताती हैं,”जिस तरह कुछ ही दिनों में कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया था, हमें ये एहसास हुआ है कि दोबारा ऐसा होने से रोकना है तो अभी कदम उठाने होंगे। भारत में आबादी बहुत है जिसके कारण माहामारी को नियंत्रित करना असंभव है। ऐसे में पहले से तैयार रहना ही एकमात्र उपाय है।

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लेकिन सवाल ये है कि चमगादड़ ही क्यों? बीमारी तो किसी भी जीव से फैल सकती है

इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि वैज्ञानिक चमगादड़ों पर फोकस कर रहे हैं। कोविड-19 के साथ साथ SARS, MERS, EBOLA, निपाह वायरस, हैंडरा वायरस और मारबर्ग वायरस बड़ी महामारियों की वजह बने, जिनका स्रोत चमगादड़ ही थे।

विश्व को कोविड-19 जैसी माहामारी से बचाने के लिए वैज्ञानिक चमगादड़ों पर कर रहे हैं रिसर्च। चित्र: शटरस्‍टॉक

मोंटाना स्टेट यूनिवर्सिटी की एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. रैना प्लोराइट बताती हैं, “चमगादड़ों का इम्यून सिस्टम बहुत मजबूत और अलग होता है। यही कारण है चमगादड़ कई बीमारी फैलाने वाले वायरस को घर कर सकते हैं। इसके पीछे उनके उड़ने की क्षमता भी काफी हद तक जिम्मेदार है।”

कनाडा की मेकमास्टर यूनिवर्सिटी के विरोलॉजिस्ट डॉ अरिंजय बैनर्जी कहते हैं,”चमगादड़ विज्ञान में ज्ञात कुछ सबसे खतरनाक वायरस का स्रोत रहे हैं, क्योंकि ये जीव खुद उस वायरस से इम्यून होता है। इनमें एक DNA रिपेयर मैकेनिज्म होता है जो चमगादड़ को रिसर्च का पात्र बनाता है। यही कारण है दुनिया भर के वैज्ञानिक चमगादड़ पर अध्ययन करने के लिए आगे आ रहे हैं।

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लेखक के बारे में
विदुषी शुक्‍ला
विदुषी शुक्‍ला

पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।

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