कोरोनावायरस के संदर्भ में इटली के शोधकर्ताओं ने एक गहन शोध किया है,जिसमें सामने आया है कि कोरोनावायरस के अब तक केवल 7 स्ट्रेन ही बदले हैं। किसी बीमारी या वायरस के स्ट्रेन का उसके उपचार से गहरा संबंध होता है। वैज्ञानिक इस बात से आश्वस्त है कि कोई वायरस जितना कम स्ट्रेन बदलेगा, उस का उपचार उतना ही आसान और प्रभावी होगा।
दुनियाभर में फैला कोविड- 19 का वायरस अब बहुत कम बदल रहा है। इटली के वैज्ञानिकों ने सभी महाद्वीपों में मौजूद वायरस के स्ट्रेन का अध्ययन करके यह खुलासा किया। इसे अब तक का सबसे गहन अध्ययन माना जा रहा है।
पत्रिका ‘फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में सार्स-सीओवी-2 वायरस के 48,635 जीनोम का विश्लेषण किया गया है। इन जीनोम को दुनियाभर में अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशालाओं से प्राप्त किया।
जिनोम किसी वायरस के अनुवांशिक तत्व होते हैं। इटली के बोलोना विश्ववविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने वायरस के सभी महाद्वीपों में फैलने के दौरान इसके फैलाव और उत्परिवर्तन की मैपिंग की।
अध्ययन के निष्कर्ष में सामने आया कि नोवेल कोरोना वायरस प्रति नमूने करीब सात उत्परिवर्तन प्रदर्शित करता है, जो कि बहुत कम परिवर्तनशीलता (वैरिएबिलबटी) हैं। शोधकर्ता ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस संभवत: पहले ही मानव जाति को प्रभावित करने के स्तर पर पहुंच चुका है और यह उसके विकास क्रम में बहुत कम बदलाव को इंगित करता है।
बोलोना विश्ववविद्यालय के अनुसंधानकर्ता फेडेरिको गियोर्जी ने कहा कि इसका आशय हुआ कि हम वायरस के खिलाफ कोई टीका समेत अन्य जो भी उपचार तरीके विकसित कर रहे हैं, वे सभी तरह के वायरस के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इस समय नोवेल कोरोना वायरस के छह प्रकार सामने आये हैं। उन्होंने कहा कि इनमें सबसे मौलिक ‘एल स्ट्रेन है जो दिसंबर 2019 में वुहान में सामने आया था। इसके पहले उत्परिवर्तन के बाद ‘एस स्ट्रेन सामने आया जिसका पता 2020 की शुरुआत में चला, वहीं जनवरी के मध्य में ‘वी और ‘जी स्ट्रेन सामने आये।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार आज की तारीख में सबसे ज्यादा प्रकोप स्ट्रेन ‘जी का है जो फरवरी के अंत तक ‘जीआर तथा ‘जीएस स्ट्रेन में उत्परिवर्तित हुआ।
(PTI के इनपुट के साथ)