पुणे के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि पुणे शहर में जीका वायरस संक्रमण के छह मामले सामने आए हैं। इनमें 2 गर्भवती महिलाएं भी शमिल हैं। एक अधिकारी ने बताया एरंडवाने इलाके की 28 वर्षीय गर्भवती महिला में जीका वायरस पाया गया है। शुक्रवार को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 12 सप्ताह की गर्भवती एक अन्य महिला में सोमवार को संक्रमण पाया गया (pregnant women infected with zika virus)। दोनों महिलाओं की हालत अच्छी है और उनमें कोई लक्षण नहीं हैं।
जीका वायरस बीमारी संक्रमित एडीज (Aedes) मच्छर के काटने से फैलती है, जो डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमण फैलाने के लिए भी जाना जाता है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में युगांडा में हुई थी।
जीका वायरस मच्छर जनित वायरस है जो मुख्य रूप से एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है। 1947 में युगांडा में पहली बार पहचाना गया। यह यौन संपर्क, खून के द्वारा और गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में भी फैल सकता है। लक्षण आम तौर पर हल्के होते हैं (Symptoms of zika virus) और इसमें बुखार, दाने, जोड़ों में दर्द हो सकता हैं। जो लगभग एक सप्ताह तक रहता है। 2015-2016 में अमेरिका में इस वायरस का प्रकोप काफी फैला था।
यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के अनुसार यह वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है। लेकिन ये कई और दुर्लभ तरीकों से भी फैल सकता है।
1 मच्छरों के काटने से– मच्छर उस व्यक्ति को काटता है जिसके खून में जीका वायरस होता है। अगले कई दिनों में मच्छर संक्रामक हो सकता है और स्वस्थ लोगों को काटकर जीका वायरस फैला सकता है।
2 सैक्सुएल ट्रंसमिशन– यौन संक्रमण तब हो सकता है जब जीका प्रभावित क्षेत्र से लौटने वाला यात्री अपने साथी को जीका वायरस देता है। मुख्य जोखिम गर्भवती महिलाओं में संक्रमण से संबंधित है।
3 मां से बच्चे में संक्रमण– गर्भावस्था के दौरान संक्रमण का संबंध भ्रूण में वायरस के संचरण से है, जिसके परिणामस्वरूप जन्म के समय से विकृतियां होती हैं और बाद में नवजात शिशुओं में माइक्रोसेफली हो सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस का संक्रमण शिशु में माइक्रोसेफली और अन्य जन्मजात विकृतियों का कारण बनता है। जिसमें अंग संकुचन, उच्च मांसपेशी टोन, आंखों की असामान्यताएं और सुनने की समस्या होना। इन चीडों को जन्मजात जीका सिंड्रोम कहा जाता है।
हालांकि गर्भावस्था में संक्रमण के बाद जन्मजात विकृतियों का जोखिम अज्ञात है। गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस से संक्रमित महिलाओं से पैदा होने वाले अनुमानित 5-15% शिशुओं में जीका से संबंधित जटिलताओं के प्रमाण हैं। गर्भावस्था में जीका संक्रमण भ्रूण की हानि, मृत जन्म और समय से पहले जन्म जैसी जटिलताओं का कारण भी बन सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान जीका वायरस के संक्रमण को रोकने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक उन क्षेत्रों की यात्रा से बचना है जहां जीका वायरस का संक्रमण बहुत ज्यादा है। यदि इन क्षेत्रों की यात्रा बहुत जरूरी है, तो मच्छरों के काटने से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।
मच्छरों के काटने से बचने के लिए लंबी बाजू वाली शर्ट और लंबी पैंट मच्छरों के काटने से आपकी रक्षा कर सकती है। हल्के रंग के कपड़े चुनें, क्योंकि गहरे रंगों की तरफ मच्छर तेजी से आते है। मच्छरों जब बहुत ज्यादा सक्रिय होते है तब घर के अंदर रहें।
एयर कंडीशनिंग और खिड़की और दरवाज़े पर जाली लगवाने से मच्छरों के काटने का जोखिम काफी हद तक कम हो सकता है। अगर ऐसी सुविधाएं उपलब्ध न हों, तो मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, खास तौर पर रात के समय जब मच्छर सबसे ज़्यादा सक्रिय होते हैं।
जीका वायरस सेक्स से भी हो सकता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित यौन संबंध बनाना बहुत ज़रूरी है। हर बार सेक्स करते समय कंडोम का लगातार और सही तरीके से इस्तेमाल करें। अगर आपका साथी जीका प्रभावित वाली जगह गया था तो सेक्स से दूर रहें।
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