महामारी के इस दौर में कई बीमारियों को फिर से कहर बरपाते हुए देखा जा सकता है। बच्चों पर कोविड- 19, डेंगु, मलेरिया का प्रकोप अभी कम नहीं हुआ था कि रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (Respiratory Syncytial Virus) नामक बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है। बदलते मौसम में इस वायरस से बचाने के लिए बच्चों का विशेष तौर पर ख्याल रखने की जरूरत है।
आजकल सामान्य वायरस में “बड़े पैमाने पर वृद्धि” देखी जा रही है। विशेष रूप से बच्चों में देखे जाने वाले इस वायरस के लक्षण लगभग, कोविड-19 जैसे ही हैं। मगर रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (Respiratory Syncytial Virus) कोविड की तुलना में अधिक संक्रामक है।
पेन स्टेट हेल्थ चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बाल रोग चिकित्सक पैट्रिक गैविगन का कहना है कि ”इसके लक्षण वायरल निमोनिया या ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण के समान हैं। जिसमें फेफड़ों में छोटे वायुमार्ग की सूजन शामिल है।”
इसके अलावा एक टॉक शो में डॉ इलोना मैरी मजेला डफी, जो कि मेडिकल डायरेक्टर, और आयरलैंड यूनिवर्सिटी से पढ़ी एक जानी-मानी डॉक्टर हैं, से जब पूछे गया कि आरएसवी कितना संक्रामक है, डॉ डफी ने जवाब दिया: “बहुत संक्रामक। उन्होनें कहा कि मैंने कई बच्चों को इससे बीमार पड़ते हुए देखा है। मैं इसे अपने परिवार में देख रही हूं, जहां मेरे सभी बच्चे इससे बीमार हैं।”
“निश्चित रूप से, हम इसे कोविड की तुलना में कहीं अधिक संक्रामक के रूप में देख रहे हैं। यदि आपके घर में एक बच्चा है जो बीमार है और अचानक हर कोई बीमार पड़ रहा है तो आप जानते हैं कि इसके वायरल होने की अधिक संभावना है। अर्थात बैक्टीरिया बहुत जल्दी फैल रहा है।
इस बीमारी से आपको सावधान रहने की ज़रूरत है, इसलिए अपने बच्चों की खास देखभाल करें। उनके टेंपरेचर की जांच करें, तरल आहार दें। अकसर बीमारी के दौरान बच्चों की भूख मर जाती हैं और वे कुछ भी खा नहीं पाते। चिंता न करें, इस दौरान उन्हें लिक्विड डाइट देती रहें। इस समय खाने से ज्यादा उनके शरीर में तरल पदार्थ की आपश्यकता है।
डफी ने कहा कि यह वायरस बहुत तेजी से फैलेगा और आपको काफी बच्चे इसकी चपेट में आते हुए दिख सकते हैं। फिर चाहे वह स्कूल में हो या घर में।
”अगर उनका बुखार तीन दिन से उतर नहीं रहा है तो, यह चिंताजनक बात है। तब इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। अगर उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ है, तो यह इस बात का संकेत है कि वे सैकेंडरी जीवाणु संक्रमण (secondary bacterial infection) विकसित कर रहे हैं।”
डफी ने यह भी नोट किया कि इस समय रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। इसलिए मानना चाहिए कि बचाव ही एकमात्र उपाय है।
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