हम में से बहुत से लोग अक्सर डायटरी सप्लीमेंट खरीदने पर विचार करते हैं, फिर भी ऐसा करते हुए झिझकने लगते हैं। जबकि कोविड -19 से लड़ते हुए हमें अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करना होगा और इसमें डायटरी सप्लीमेंट हमारी मदद कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन सी और डी और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त सप्लीमेंट्स आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कोविड -19 और अन्य श्वसन संबंधी रोगों से लड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं।
जर्नल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित अध्ययन यह सलाह देता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को संक्रमणों के प्रसार को रोकने में हाथ धोने और टीकाकरण की भूमिका के बारे में संदेशों के साथ ही फूड सप्लीमेंट के साथ अपनी इम्यूनिटी को मजबूत रखने के संदेश भी देने चाहिए।
अमेरिका के ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एड्रियन गोमार्ट का कहना है कि अच्छा पोषण इम्यूनिटी बढ़ाने में एक अहम भूमिका अदा करता है। एक समाज के रूप में हमें इससे संबंधित संदेशों का अधिक से अधिक प्रसार करना चाहिए।
गोमार्ट कहते हैं कि कुछ खास विटामिन, खनिज और फैटी एसिड आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मददगार हो सकते हैं। विशेष रूप से विटामिन सी, विटामिन डी, जिंक, और मछली में पाया जाने वाला एक ओमेगा -3 फैटी एसिड, डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड, जिसे डीएचए भी कहा जाता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रतिरक्षा और प्रतिरक्षा कोशिकाओं के विकास और कार्य सहित प्रतिरक्षा के कई पहलुओं में विटामिन सी की भूमिका होती है। प्रतिरक्षा कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को विटामिन डी रिसेप्टर्स भी प्रभावित करते हैं। इसका मतलब है कि विटामिन डी संक्रमण के प्रति आपकी प्रतिक्रिया को गहराई से प्रभावित करता है।
वे कहते हैं, “असल में समस्या यह है कि लोग पोषक आहारों का पर्याप्तर मात्रा में सेवन नहीं करते। जिसकी वजह से इम्यू निटी कमजोर होने लगती है और संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। नतीजतन, इससे बीमारी के आंकड़े बढ़ते हैं और बीमारी के साथ और भी कई तरह के बोझ अनावश्यदक रूप से पड़ सकते हैं।”
इसलिए शोधकर्ता न केवल एक दैनिक मल्टीविटामिन लेने की सलाह दे रहे हैं, बल्कि 200 मिलीग्राम या उससे अधिक विटामिन सी की खुराक और विटामिन डी की 2,000 अंतरराष्ट्रीय इकाइयों के बजाय उम्र के आधार पर 400 से 800 की सिफारिश करते हैं।
शोधकर्ता कहते हैं कि “इसमें कोई संदेह नहीं है कि वैक्सीन आ जाने के बाद रोग का उपचार आसान हो जाएगा। फिर भी इसे फुल प्रूफ नहीं माना जा सकता। अध्ययन के अन्य सहयोगियों में साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय (यूनाइटेड किंगडम), यूनिवर्सिटी ऑफ ओटागो (न्यूजीलैंड) और यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर (नीदरलैंड) भी शामिल थे।
भले ही आप डायटरी सप्लीमेंट लेने में अब भी सावधानी बरत रहे हैं। पर यह जरूरी है कि कोविड- 19 का मुकाबला करने के लिए हम सभी अपनी इम्यूनिटी को दुरुस्त रखें। तब और भी जब इसके उपचार को लेकर अब भी बहुत संतोषजनक परिणाम नहीं आ रहे हैं।
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