समोसे, तले हुए पकौड़े, गोलगप्पे, चाट, केक, पेस्ट्री, पैटीज… । इन स्ट्रीट फ़ूड (Indian Street foods) और जंक फ़ूड (Junk Food) की लिस्ट में और न जाने कितने नाम जुड़ जाएं। मुंह में पानी लाने वाले, लेकिन अनहेल्दी फ़ूड लड़कियों और महिलाओं को ज्यादा पसंद आते हैं। भारत में तो ख़ास मौसम भी हैं, जिनमें कुछ ख़ास जंक फ़ूड शौक से खाए जाते हैं। बारिश की कुछ बूंदें गिरने पर तो हमारे हाथ अपने-आप पकौड़े बनाने और खाने की तरफ चले जाते हैं। अब तो यह शोध में भी साबित हो चुका है कि पुरुषों से अधिक महिलाओं को जंक फ़ूड की एडिक्शन (junk food addiction) होती है। शोध से पहले जानते हैं क्यों होती है जंक फ़ूड क्रेविंग।
माइंड कुछ ख़ास खाद्य पदार्थों के लिए कॉल करना शुरू करता है। इससे लोगों को फ़ूड क्रेविंग होने लगती है। अक्सर प्रोसेस्ड फ़ूड या जंक फ़ूड जिन्हें स्वस्थ या पौष्टिक नहीं माना जाता है। इसकी मांग ब्रेन अधिक करता है। हमारा मन जानता है कि ये हानिकारक हैं। माइंड का कुछ भाग इससे असहमत हो सकता है। कुछ लोग इसका अनुभव नहीं करते हैं। वे आसानी से अपने द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों को नियंत्रित कर सकते हैं। दूसरी ओर, अन्य लोग नहीं कर पाते। यह बहुत जटिल स्थिति है। इसके बारे में निश्चित कारणों के बारे में बता पाना संभव नहीं है। जंक फूड मस्तिष्क को कोकीन जैसी नशीली दवाओं की तरह उत्तेजित करता है।
अमेरिका की मिशिगन विश्वविद्यालय ने जंक फ़ूड क्रेविंग पर एक साल तक बड़े पैमाने पर महिलाओं पर एक सर्वेक्षण किया। इसके निष्कर्ष में पाया गया कि पांच में से एक महिला पिछले एक साल में हाई प्रोसेस्ड फ़ूड और ड्रिंक का नशे की तरह सेवन किया। यह पुरुषों की तुलना में अधिक था। इस सर्वे में 2500 से अधिक लोग शामिल हुए। निष्कर्ष को हार्वर्ड हेल्थ जर्नल में भी प्रकाशित किया गया।
महिलाओं ने पिछले एक साल में पुरुषों की तुलना में अत्यधिक प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे- मिठाई, नमकीन, स्नैक्स, एडेड शुगर ड्रिंक और फास्ट फूड खाया। उनमें इन फ़ूड को खाने की क्रेविंग बहुत अधिक थी। वे अपनी तीव्र लालसा को रोकने में असमर्थ पाई गईँ।
एपेटाइट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि पुरुषों और महिलाओं की खाने की पसंद में अंतर होता है। यह अंतर उनके पोषण को भी प्रभावित कर देता है। उम्र बढ़ने पर महिलाएं जंक फ़ूड की अधिक प्रेमी हो जाती हैं। युवा होने पर महिलाओं ने अधिक साबुत अनाज और पकी हुई सब्जियां अधिक खाईं। उन्होंने कम अंडे और कम रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट खाई।
यूरोपियन ईटिंग डिसऑर्डर जर्नल के अनुसार, भारत में फ़ूड एडिक्शन पर स्टडी की गई। इसके निष्कर्ष में पाया गया कि सामान्य वजन वाले लोगों में जंक फ़ूड की एडिक्शन 2 प्रतिशत ही देखा गया। अधिक वजन या मोटे लोगों में यह 8% से भी अधिक देखा गया। भारत में भी जंक फ़ूड क्रेविंग महिलाओं में अधिक देखी गई। 45-64 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं में प्रसार दर 8.4% है। 62-88 वर्ष की आयु के लोगों में यह प्रसार दर घटकर 2.7% हो जाता है।हालांकि इसका कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है। लेकिन भारत में महिलाएं जंक फ़ूड के रूप में सबसे अधिक पानी पूरी खाती हैं।
यूरोपियन ईटिंग डिसऑर्डर जर्नल के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में घ्रेलिन और लेप्टिन हार्मोन का स्तर अधिक होता है। ये हार्मोन एनर्जी होमियोस्टेसिस प्रक्रिया से जुड़े होते हैं। ये भूख के साथ-साथ तृप्ति संवेदनाओं को भी ट्रिगर करता है। भारत में सदियों से महिलाएं खानपान से जुड़ी रही हैं। इसलिए वे जानती हैं कि किस तरह पकाने से फ़ूड स्वादिष्ट होगा।
द साइकोलॉजी ऑफ़ फ़ूड क्रेविंग के अनुसार जंक फ़ूड एडिक्शन कुछ उपाय अपनाकर दूर किये जा सकते हैं।
समय पर और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें, ताकि ज्यादा भूख न लगे।
खूब पानी पीने से भी क्रेविंग खत्म होती है। एडेड शुगर ड्रिंक लेना छोड़ दें।
एकाएक छोड़ने की बजाय ऐसे स्नैक्स का सेवन करें, जो पौष्टिक और कम कैलोरी वाले हों।
कभी भी तनाव को खत्म करने का जरिया जंक फ़ूड को नहीं बनाएं।
भरपूर नींद लें।
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