दोपहर की छोटी सी नींद के बारे में काफी कुछ कहा गया है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिन को ली गयी पॉवर नैप आपको पूरे दिन फ़्रेश रखती है और आपको चुस्त-दुरुस्त बनाए रखती है, तो वही कुछ मानतें हैं कि ये आपको ज़्यादा सुस्त बनाती है।
दिन के समय ली गयी झपकी आपको मानसिक रूप से तेज़ बनाती है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह – ऑनलाइन जर्नल ऑफ जनरल साइकियाट्री ( online journal General Psychiatry) में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया है।
शोध के अनुसार, दोपहर की नींद- बेहतर लोकल अवेयरनेस, वर्बल फ्लुएन्सी और वर्किंग मेमोरी से जुड़ी हुई है।
जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, उनकी नींद का पैटर्न बदलने लगता है। जिसमें दोपहर की झपकी अक्सर कम होती जाती है। लेकिन आज तक किसी भी शोध में यह पुष्टि नहीं हुई है कि दोपहर में सोने से सुस्ती आती है या संज्ञानात्मक शक्ति कम हो जाती है।
शोधकर्ताओं ने बीजिंग, शंघाई, और जियान सहित चीन के आसपास के कई बड़े शहरों में कम से कम 60 वर्ष की आयु के लोगों का अध्ययन किया।
अध्ययन में शामिल 2214 में से तकरीबन 1534 लोगों ने ही हर रोज़ दोपहर को झपकी ली। जबकि 680 लोगों में ऐसा देखने को नहीं मिला। सभी प्रतिभागियों को मानसिक भ्रम यानि डिमेंशिया की जांच के लिए मिनी मेंटल स्टेट एग्जाम (Mini Mental State Exam MMSE) से गुजरना पड़ा।
यह परीक्षण दोपहर के खाने के बाद किया गया था, जिसमें प्रतिभागियों से पूछा गया कि उन्होंने एक हफ्ते में कितनी बार दोपहर को झपकी ली- और जवाब में पता चला कि यह हफ्ते में एक बार से लेकर हर रोज़ है।
डिमेंशिया स्क्रीनिंग परीक्षणों में 30 आइटम शामिल थे जो संज्ञानात्मक क्षमता के कई पहलुओं को मापते थे। साथ ही इसमें विज़ुओ-स्थानिक कौशल (visuo-spatial skills), कार्यशील मेमोरी (working memory) , ध्यान अवधि (attention span), समस्या-समाधान (problem-solving), स्थानीय जागरूकता (locational awareness) और मौखिक प्रवाह (verbal fluency) जैसे टेस्ट शामिल थे।
दोपहर को झपकी लेने वाले लोगों के स्कोर्स न सोने वालों की तुलना में ज़्यादा अच्छे थे| साथ ही उनकी स्थानीय जागरूकता, मौखिक प्रवाह और स्मृति में काफी अंतर देखने को मिला।
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एक सिद्धांत के अनुसार दोपहर में झपकी लेने के कुछ दुष्परिणाम है पर अभी तक इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया है| पर ऐसा देखा गया है कि इंफ्लमैशन की वजह से लोग दोपहर को ज़्यादा सोते हैं|
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