रोज़मर्रा इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी कई चीज़ें हैं, जो सुविधाजनक होने के कारण सालों से उपयोग होती आई हैं। इन चीज़ों का इस्तेमाल करना न सिर्फ हमारी, बल्कि पर्यावरण की सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इस पर्यावरण दिवस (World Environment Day) चलिए ऐसी चीज़ों को विदा कहें जो हेल्थ (Health) और एनवायरमेंट (Environment) दोनों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और चुनें उनकी जगह बेहतर और हेल्दी एनवायरमेंट फ्रेंडली ऑप्शन (healthy environment friendly options)।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, फॉयल में रखा या रख के पकाया खाना आपके शरीर को कई खतरनाक रसायन पहुंचाता है। मसालेदार खाने के लिए तो यह और भी ज्यादा हानिकारक है। इस बारे में कुछ शोध कहते हैं, यदि हमारे शरीर में एल्युमिनियम की मात्रा बढ़ जाए, तो इसका गंभीर प्रभाव हमारे दिमाग पर पड़ता है।
इससे दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि रुक जाती है, जिसके कारण भूलने, सोचने-समझने की शक्ति का कमजोर होना जैसी परेशानी हो सकती है। शरीर में एल्युमिनियम की बढ़ती मात्रा से हड्डियों का कमजोर होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना जैसी परेशानी भी हो सकती हैं। अल्जाइमर रोग का बड़ा कारण भी एल्युमिनियम ही है। भोजन में इसकी बढ़ती मात्रा से किडनी की समस्या, ऑस्टियोपोरोसिस, डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। खट्टे खाद्य पदार्थ को एल्युमिनियम फॉयल में रखने से बचना चाहिए। खट्टे फल या खाद्य पदार्थ फॉइल में रखने से उनका केमिकल बैलेंस बिगड़ जाता है और ये चीज़ें और जहरीली हो सकती हैं।
एल्यूमिनियम फॉयल की जगह इस्तेमाल करें कपड़े के नैपकीन
आम घरों में इसका इस्तेमाल रोटियों को पैक करने या उन्हें गर्म रखने के लिए किया जाता है। अगर आप भी एल्यूमिनियम फॉयल का इस्तेमाल करती हैं, तो बेहतर है इनकी जगह कपड़े या क्लॉथ नेपकिन का इस्तेमाल करें।
सिंथेटिक कपड़े रिंकल फ्री होते हैं तथा उन पर जल्दी से दाग नहीं लगता और जल्दी ख़राब नहीं होते । कुछ कपड़े खिंच सकने वाले इलास्टिसिटी (Elasticity) वाले होते हैं, जो बहुत आरामदायक महसूस होते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि सिंथेटिक कपड़े बनाने के लिए बहुत से हानिकारक केमिकल उपयोग में लाए जाते हैं। ये विषैले केमिकल हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं।
सिंथेटिक कपड़ों में पोलिस्टर, नायलोन, एक्रिलिक, रेयोन, डेक्रोन जैसे फेब्रिक शामिल हैं। कई वर्षों की रिसर्च के बाद यह पाया गया है कि सिंथेटिक कपड़ों की डाई करने, ब्लीच करने या उन्हें बनाने की प्रक्रिया के लिए उपयोग में आने वाले खतरनाक केमिकल्स के कारण कैंसर, हार्मोन में बदलाव, प्रतिरोधक क्षमता की कमी तथा मानसिक समस्या जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
इनकी जगह पहनें कॉटन के कपड़े
अपनी त्वचा और ब्रेन दोनों के लिए जरूरी है कि आप सिंथेटिक कपड़ाें की बजाए कॉटन के कपड़े पहनना। ये न सिर्फ आपको एक केमिकल फ्री हेल्दी ऑप्शन देगा, बल्कि इसे बनाने में पर्यावरण को भी किसी तरह नुकसान नहीं होगा।
भारत में हर साल लगभग 12।3 अरब सैनिटरी नैपकिन का प्रोडक्शन होता है। मेंस्ट्रुअल हेल्थ अलायन्स इंडिया के मुताबिक एक सैनिटरी नैपकिन को डिस्पोज होने में 500 से 800 साल लगते हैं, क्योंकि इसमें नॉन बायोडिग्रेडेबल (Non–biodegradable) प्लास्टिक का प्रयोग होता है। इन सैनिटरी नैपकिन को ठीक तरह से डिस्पोज (Sanitary napkin disposal) न करने की वजह से पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
देर तक एक ही सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करने से स्किन रैश, वेजाइनल बर्निंग और इंफेक्शन जैसी समस्याएं दे सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंइनकी जगह मेन्स्ट्रूअल कप चुनें
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए एक्सपर्ट्स महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन की जगह मेंस्ट्रुअल कप (Menstrual cup) इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। मेंस्ट्रुअल कप को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी होने के कारण कई महिलाएं इसे इस्तेमाल करने से कतराती हैं। पर इसका इस्तेमाल न सिर्फ आपका बल्कि पर्यावरण के हेल्थ का भी खयाल रखेगा।
प्लास्टिक का इस्तेमाल कितना हानिकारक है, यह बात तो हम सब जानते हैं। खास तौर पर यदि आप इसमें गर्म पानी डालें, तो पानी के विषाक्त होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में प्लास्टिक की जगह ऐसे धातु का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा जो गुणों की खान है। ज्यादातर भोजन जो हम खाते हैं, वह हमारे पेट में एसिड बना देता है और विषाक्त पदार्थ भी उत्पन्न कर देता है।
प्लास्टिक की जगह कांच और धातु की बोतलों का इस्तेमाल करें
तांबा यानी कॉपर– इन्फ्यूज्ड पानी आपके पेट में पैदा होने वाले एसिड का संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। तांबा आपके शरीर को ठंडा रखने के लिए डिटॉक्सीफाई करता है। यह हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक है। शरीर में आयरन का निर्माण करने में सेल के निर्माण से लेकर इसमें सहायता करने तक, यह शरीर के सभी कामों के लिए महत्वपूर्ण खनिज है।
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर को लौह तत्व यानी आयरन का इस्तेमाल करने में मदद मिलती है, जो एनीमिया से लड़ने में मदद कर सकता है। तांबे के बर्तन में पानी पीने से एनीमिया से बचने में मदद मिलती है। कॉपर में मजबूत एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो शरीर ही नहीं पर्वरण को भी सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
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