एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल शहद को धरती पर मौजूद स्वास्थ्य के लिए अमृत समान कहा जाता है। जाड़े के दिनों में शहद का प्रयोग आमतौर पर बढ़ जाता है। ब्रेड पर शहद स्प्रेड कर खाना पौष्टिक, स्वादिष्ट और कुछ सेकंड्स में तैयार होने वाला ब्रेकफास्ट है। लेकिन डायबिटिक और प्री डायबिटिक पर्सन इस नाश्ते को लेने से डरते हैं। कारण हनी में मौजूद शुगर। इसमें शुगर 80 प्रतिशत से भी अधिक हो सकता है। ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाने की आशंका के कारण डायबिटिक इसे अवॉयड करते हैं। पर हालिया स्टडी बताती है कि रॉ या कच्चा मधु या शहद (Raw Honey) न केवल ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) घटाता(is raw honey good for diabetes) है, बल्कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर (Cholesterol Level) को कम करने में भी मदद कर सकता है।
शहद में मैंगनीज, मैग्नीशियम, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, जिंक जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। इनके अलावा, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं, जो स्किन और शरीर के सिस्टम को स्वस्थ रखते हैं। ग्लूकोज और फ्रुक्टोज शुगर के कारण शहद का स्वाद मीठा होता है।
टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि शहद ब्लड शुगर घटाने (is raw honey good for diabetes) और कोलेस्ट्रॉल लेवल सहित कार्डियो मेटाबोलिक स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि परीक्षण के दौरान सिंगल फूल से तैयार रॉ शहद ही लिया गया। शोधकर्ताओं ने शहद पर क्लिनिकल ट्रायल की एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण किया। इसके आधार पर पाया गया कि यह फास्टिंग में ब्लड ग्लूकोज, एलडीएल, या बैड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और फैटी लिवर डिजीज के मार्कर को कम करता है। शहद से एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रॉल बढने में मदद मिली और इन्फ्लेमेशन को घटाया। शोधकर्ताओं को ये परिणाम आश्चर्यजनक लगे, क्योंकि शहद लगभग 80 प्रतिशत चीनी है।
शहद आम और रेयर शुगर का काम्प्लेक्स कम्पोजीशन है। इसके अलावा प्रोटीन, कार्बनिक अम्ल और अन्य बायोएक्टिव कंपाउंड की मौजूदगी इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बनाता है।
वर्तमान अध्ययन नैदानिक परीक्षणों की अब तक की सबसे व्यापक समीक्षा है। इसमें प्रोसेसिंग और फूल के स्रोत पर विस्तृत डेटा शामिल किया गया है। पहले किये गये रिसर्च भी शहद को कार्डियो मेटाबोलिक स्वास्थ्य में सुधार करने वाला बताते रहे हैं। इसके अलावा एंटीसेप्टिक होने के कारण यह घावों को ठीक करने में कम समय लेता है। स्टडी के इस निष्कर्ष को जर्नल न्यूट्रिशन रिव्यूज में भी प्रकाशित किया गया।
शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में 1,100 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया। कुल 18 नियंत्रित परीक्षण किये गये। परीक्षणों की गुणवत्ता का आकलन भी किया गया। लाभकारी प्रभाव के लिए प्रोसेसिंग और फूल के स्रोत और मात्रा पर भी ध्यान रखा गया। प्रतिभागियों को परीक्षण के दौरान शहद की औसत दैनिक खुराक 40 ग्राम या लगभग दो बड़े चम्मच दी गई। परीक्षण की औसत लंबाई आठ सप्ताह थी। इसमें सिर्फ रॉबिनिया के फूल (robinia acacia) यानी मोनोफ्लोरल को ही शामिल किया गया। रॉबिनिया को अमेरिका में बबूल का शहद कहा जाता है।
शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति वर्तमान में चीनी से परहेज करता है, तो उसे शहद खाना तुरंत नहीं शुरू कर देना चाहिए। वह इसे पूरक के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
यदि टेबल शुगर, शुगर सिरप या अन्य स्वीटनर का उपयोग किया जा रहा है, तो उन शुगर को शहद से बदला जा सकता है, इससे कार्डियोमेटाबोलिक जोखिम भी कम हो सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, शहद को कभी गर्म कर नहीं खाना चाहिए। अधिक टेम्प्रेचर पर रॉ शहद के सभी लाभकारी गुण नष्ट हो जाते हैं। दही, स्प्रेड या सलाद ड्रेसिंग के रूप में रॉ शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस रिसर्च को कनाडा इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ रिसर्च से भी सहयोग मिला।
यह भी पढ़ें :-Fatty liver : डायबिटीज या गठिया से भी ज्यादा खतरनाक है फैटी लिवर डिजीज, जानिए इस बारे में सब कुछ
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करें