डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए फाइबर सबसे जरूरी आहार है। यह गट हेल्थ और बोवेल मूवमेंट में मदद करता है। वेट लॉस की जब भी बात चलती है, तो फाइबर को जरूर वेट लॉस योजना में शामिल किया जाता है। पर हाल का एक शोध बताता है कि एक ख़ास प्रकार का आहार फाइबर इन्फ्लामेशन को बढ़ावा देता है। इनुलिन (inulin fibre increase inflammation) नाम का ख़ास फाइबर आंत, फेफडों तथा शरीर के अन्य हिस्सों में भी सूजन को प्रोत्साहित कर सकता है। इससे एलर्जी होने की संभावना बन सकती है। क्या है यह रिसर्च और इनुलिन डाइटरी फाइबर कैसे सूजन को बढ़ावा देता है, जानते हैं।
नेचर जर्नल में डाइटरी फाइबर पर आधारित एक शोध प्रकाशित हुआ। इसके अनुसार, शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि इनुलिन नामक डाइटरी फाइबर में सूजन बढाने वाले गुण (inulin fibre increase inflammation) होते हैं। अलग-अलग फलों और अनाज के माध्यम से यह फाइबर हमारे शरीर में जाता है। यह फाइबर आंत और फेफड़ों के साथ-साथ एलर्जी से संबंधित सूजन को बढ़ावा दे सकता हैं। .
यह शोध अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किये गये। उनके निष्कर्ष को नेचर जर्नल में भी प्रकाशित किया गया। डाइटरी फाइबर इनुलिन आंत के बैक्टीरिया के मेटाबोलिज्म को मॉडिफाई करता है। जो बदले में फेफड़ों और आंत में टाइप 2 इन्फ्लेमेशन का कारण बनता है। हालांकि यह सामान्य घाव भरने में भूमिका निभाता है। माना जाता है कि यह मुख्य रूप से पैरासाइट वर्म हेल्मिन्थ के इन्फेक्शन से बचाने के लिए स्तनधारियों में विकसित हुआ है। यह एलर्जी, अस्थमा और अन्य सूजन का मूल कारण भी माना जा रहा है।
केले, शतावरी और लहसुन ऐसे कई फल और सब्जियां हैं, जिनमें इनुलिन लेवल पाया जाता है। इसके अलावा, यह व्यापक रूप से सुलभ हाई फाइबर पोषक तत्वों की खुराक में भी होता है। पहले हुए शोध बताते हैं कि इनुलिन फायदेमंद गट बैकटीरिया प्रजातियों की आबादी को बढ़ाता है। इसके बदले में ट्रेग कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है। ये सेल एंटी इन्फ्लेमेट्री इम्यून सेल हैं।
हालिया अध्ययन में इनुलिन के प्रभावों का गहन अध्ययन किया गया। चूहों को दो सप्ताह के लिए इनुलिन पर आधारित हाई फाइबर फ़ूड खिलाया गया । इसके बाद चूहों और अन्य जानवरों के बीच भिन्नताओं की जांच की गई, जिन्हें इनुलिन में कमी वाले आहार को खिलाया गया था। इनुलिन आहार ने ट्रेग कोशिकाओं में वृद्धि की। यह आंत और फेफड़ों में बड़ी मात्रा में जमा होने वाले इओसिनोफिल, जो सफेद रक्त कोशिकाएं हैं, को बढाने वाला कारक बना। यह एक महत्वपूर्ण अंतर था। इओसिनोफिल टाइप 2 सूजन का एक क्लासिक इंडिकेटर है। यह अक्सर अस्थमा और मौसम के कारण होने वाली एलर्जी में बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि बाइल एसिड एक्टिव इम्यून सेल के ब्लड लेवल में भी इनुलिन फाइबर के कारण वृद्धि देखी गई। इसे ग्रुप 2 लिम्फोइड कोशिका के रूप में जाना जाता है। इनूलिन मौजूद होने पर बैक्टेरोएडेट्स के रूप में जानी जाने वाली जीवाणु प्रजातियां अधिक तेज़ी से बढ़ीं। इनमें मौजूद एंजाइम बाइल एसिड का मेटाबोलिज्म कर सकता है। यही कारण है कि बाइल एसिड का लेवल अधिक था।
शोधकर्ताओं के अनुसार, इनुलिन टाइप 2 सूजन को बढ़ावा देता है, पर इसका मतलब यह नहीं है कि इस प्रकार का फाइबर हमेशा खराब होता है। इनुलिन ने चूहों में एलर्जेन से प्रेरित टाइप 2 इन्फ्लेमेशन एयर वे को खराब कर दिया। लेकिन प्रयोग में एंटी-इंफ्लेमेटरी ट्रेग कोशिकाओं को बढ़ावा देने में इनुलिन के पहले बताए गए प्रभाव की भी पुष्टि की गई, जो कई मामलों में प्रो-इंफ्लेमेटरी प्रभाव से अधिक हो सकता है।
यदि आप इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम से पीड़ित हैं, तो आहार विशेषज्ञ इनुलिन से बचने की सलाह दे सकते हैं। इसमें फ्रुक्टेन होता है, जिसे फ्रुक्टूलिगोसेकेराइड कहा जाता है। इसके कारण इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम हो जाता है। इससे बचाव का एक मात्र उपाय है, ऐसे फलों का सेवन नहीं के बराबर करें, जिनमें इनुलिन मौजूद हो।
यह भी पढ़ें :-क्या वाकई हमारी सेहत के लिए फायदेमंद हैं फोर्टिफाइड फ़ूड? आइए जानते हैं इनके बारे में सब कुछ
हेल्थशॉट्स पीरियड ट्रैकर का उपयोग करके अपने
मासिक धर्म के स्वास्थ्य को ट्रैक करें