हाल में दिल्ली और एनसीआर जैसे महत्वपूर्ण जगहों में यमुना का जलस्तर बढ़ने और वाटर लॉगिंग की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति हो गयी है। कई दिनों से पानी के घर और रास्ते में जमाव होने के कारण पानी के प्रदूषित होने की संभावना कई गुना बढ़ गई है। वाटर पाइप के जमीन के अंदर होने से घरों और सोसाइटी तक पहुंचने वाले पानी से इन्फेक्शन होने का डर एक महीने तक बना रहेगा। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन इस बात के लिए आगाह करता है कि बाढ़ और जलजमाव वाले क्षेत्र में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। हेल्थकेयर एक्सपर्ट मानते हैं कि बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों को बाढ़ के बाद भी कई बीमारियां होने की संभावना बढ़ (post flood diseases) जाती है।
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज कहते हैं, ‘ बाढ़ या जलजमाव के कारण गंदे पानी की सप्लाई की आशंका बढ़ जाती है। प्रदूषित और संक्रमित पानी में बहुत तेज़ी से बैक्टीरिया पनपते हैं, जो कई तरह की बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
डॉ. शुचिन कहते हैं, ‘बाढ़ आने पर मौसम में तेजी से बदलाव आते हैं। कभी गर्म, तो कभी सर्द या आद्रता का वातावरण रहता है। जमे हुए पानी में मच्छर और बैक्टीरिया-वाइरस अधिक तेजी से पनपते हैं। ये बीमारी फैलने के मुख्य कारण बन सकते हैं। इसके कारण मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इन बीमारियों के मौसम और पानी की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।’
बाढ़ के पानी में भीगने और गंदे पानी के सेवन से बच्चों में तेजी से पनपने वाली बीमारियां हो सकती हैं। बच्चों में दस्त, हैज़ा और टाइफाइड जैसी बीमारियां हो सकती हैं। बाढ़ की स्थिति खत्म होने के बावजूद सड़न और गंदगी से बीमारियां हो सकती हैं।
डॉ. शुचिन बजाज के अनुसार,गंदे पानी से खाद्य संक्रमण हो सकते हैं। यदि खराब खाद्य सामग्री का सेवन कर लिया जाता है, तो खाद्य संक्रमण और कई पेट की बीमारी हो सकती है। दस्त, उलटी, पेट दर्द मुख्य रूप से हो सकते हैं।
बाढ़ के कारण जमा हुआ पानी वेक्टर-जनित बीमारियों जैसे टाइफाइड बुखार, हैजा, मलेरिया और पीलिया बुखार आदि के संचरण को बढ़ा सकती है।
यदि लम्बे समय तक बाढ़ की स्थिति बनी रहती है, तो खाने-पीने के सामान की सप्लाई भी बाधित हो सकती है। भूखमरी की भी घटना हो सकती है।
यहां कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर खुद के स्वस्थ्य की रक्षा की जा सकती है।
यह जानने की कोशिश जरूर करें कि आपकी सोसाइटी या कम्युनिटी प्लेस का जल निकासी मार्ग कहां है। वाटर सप्लाई और उसके संक्रमित होने पर किस तरह के उपाय किये जा रहे हैं। सरकार या प्रशासन द्वारा जारी की जा रही चेतावनी, सावधानी पर ध्यान देना सबसे अधिक जरूरी है।
बाढ़ के दिनों में पानी के फिल्टर होने के बावजूद उबालकर पीना कई रोगों से बचाव करता है। पीने और भोजन तैयार करने के लिए सभी पानी का क्लोरीनीकरण करना या उबालना जरूरी है। बाढ़ के बाद जल-जनित बीमारियों के फैलने के जोखिम को कम करने के लिए सुरक्षित पेयजल की निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
साफ़-सफाई का विशेष ख्याल रखें। ताज़ा भोजन खाएं। भोजन को ढंक कर रखें। बर्तन धोने, दांत साफ करने, अनाज धोने और किसी भी काम के लिए बाढ़ के पानी का उपयोग न करें। यदि बाढ़ के पानी के संपर्क में रह रही हैं, तो हमेशा अपने हाथ साबुन और साफ़ पानी से धोएं। यदि आपका भोजन बाढ़ के पानी को छू गया है, तो इसे खाना सुरक्षित नहीं है। इससे जल-जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बाढ़ के पानी के संपर्क में आए किसी भी भोजन को फेंक दें।
यदि आपका घर बाढ़ के पानी के संपर्क में आया है, तो पानी सूख जाने पर उसे सुरक्षित रूप से साफ़ करें। ऐसी कोई भी वस्तु को हटा दें, जिसे ब्लीच से धोया और साफ नहीं किया जा सकता। जैसे बाढ़ के पानी सी गीले हुए तकिए और गद्दे। सभी दीवारों, फर्शों और अन्य सतहों को साबुन और पानी के साथ-साथ ब्लीच से साफ करें।
यदि आपका घर रुके हुए पानी वाले क्षेत्र में है, तो पानी हटने के बावजूद मच्छर निरोधक (Mosquito Repellent) का उपयोग करें। इसे कपड़े या त्वचा पर लगाएं। इसके अलावा पतलून और लंबी बाजू वाली शर्ट पहनें और सोते समय बिस्तर को मच्छरदानी से ढंक दें।
बाढ़ और गंदे पानी के कारण त्वचा संक्रमण का खतरा बढ़ (post flood diseases) जाता है। त्वचा संक्रमण जैसे छाले, दाद, खुजली, और फोड़े आमतौर पर दिखाई देते हैं। इसे ठीक करने के लिए संक्रमण को हवा लगने दें और जरूरी दवाएं भी लगायें।
बाढ़ वाले क्षेत्रों में पैदल चलने या गाड़ी चलाने से भी बचें। पानी में बिजली की लाइनें गिरी हो सकती हैं या खतरनाक रसायन भी मौजूद हो सकते हैं। आपने बाढ़ के दौरान कारें और लोगों के बहते हुए विजुअल्स देखे ही होंगे। इसलिए पानी के बढ़ने पर पानी में नहीं जाएं।
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