डॉ. निसरीन एलवन साउथैम्पटन विश्वविद्यालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य में एसोसिएट प्रोफेसर और विश्वविद्यालय अस्पताल साउथैम्पटन एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट में सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक मानद सलाहकार हैं। वे कोविड संक्रमण के बाद भी अनेक पोस्ट कोविड साइड इफ़ेक्ट्स झेल रहीं हैं।
सितंबर महीने के बीएमजे में छपे लेख में वे कहती हैं कि कोविड 19 मे केवल मौत ही डरावना सच नहीं है, कई केसों में बड़े पीड़ादायक पोस्ट कोविड इफेक्ट मिलने की सूचनाएं आ रहीं हैं।
जबकि ज्यादातर लोग जल्दी और पूरी तरह से वायरस से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग लगातार परेशान करने वाले लक्षणों की कहानियां सुना रहे हैं। जिनमें वे खुद भी एक हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि कम से कम तीन लोग प्रारंभिक बीमारी के बाद कई हफ्तों से पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाएं हैं।
उनकी संख्या कम है, लेकिन अभी भी उनमें पर्याप्त अनुपात में लक्षण और कठिनाइयां महीनों से जारी हैं। ये वे लोग नहीं हैं जो अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार थे, बल्कि उनका इलाज या कोविड से बचने की यात्रा बेहतर रही थी।
ये अक्सर शारीरिक रूप से फिट युवा लोग हैं, जो अब व्यायाम नहीं कर पा रहे। व्यायाम करते हुए वे सांस फूलना और खांसी की रिपोर्ट करते हैं। चिंता, धड़कन और एकाग्रता में कमी महसूस करते हैं।
पॉल गार्नर का कहना है कि उनकी जल्द ठीक होने (कोविड निगेटिव आने) की खुशी ज्यादा दिन नहीं रह पाई। बल्कि खुशी का यह गुब्बारा बहुत जल्द फूट गया।
वे मानसिक अवसाद और शारीरिक थकावट से घिर गए। वे अब तीव्र थकान, मूड स्विंग, मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, सिर दर्द और मस्तिष्क के धुंधलेपन को झेल रहे हैं।
गार्नर कहते हैं, “कुछ डॉक्टर उनकी शिकायतों के प्रति ढुलमुल रवैया अपना रहें थे, लेकिन अनेक डाक्टरों ने जब ऐसा पाया जाने लगा, तो उनके विचार बदलने लगे हैं। अब यह देखना है कि कैसे डॉक्टर अपने रोगियों को इस जटिल और चिंताजनक मल्टीसिस्टम विकार को डील कर पाते हैं।
ट्रिश ग्रीन लेघ नामक चिकित्सक कहते हैं कि हमें बेवजह बहुत सारी जांच-पड़ताल में न पड़ कर लक्षण प्रबंधन हेतु व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।“
वे आगे जोड़ते हैं, “कोविड से लड़ाई लंबे समय व अनिश्चितता से भरी होने वाली है! जिसमें चिकित्सकों को महत्वपूर्ण भूमिका गवाह बनना तय है होना है, वे कहते हैं, “‘ रोगी के पूर्णतया लक्षण विहीन होने में अप्रत्याशित, लंबा समय लग सकता है , जो रोगी व चिकित्सकों दोनों के लिए चिंताजनक व चुनौती भरा हो सकता है।”
इसके लिए, हमें उचित जनसंख्या निगरानी के माध्यम से जोखिमों की मात्रा निर्धारित करने के लिए तेजी से परीक्षण, ट्रेसिंग, आइसोलेशन और इलाज संबंधी प्रभावी प्रणालियों को अपनाना होगा। पोस्ट कोविड परेशानियों को कम करने के सक्षम उपाय ढूंढने होंगे।
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