दुनिया के 29 देशों में फैल चुका है मंकी पॉक्स, विदेश यात्रा कर रहीं हैं, तो सावधान रहना है जरूरी 

अफ्रीकी देशों के अलावा मंकीपॉक्स के मामले दुनिया के कई देशों में सामने आ रहे हैं। हालांकि भारत में अभी तक इसका कोई मामला नहीं है, फिर भी विदेश यात्रा के दौरान आ
monkeypox ke mamalo me teji se ho rahi hai badhottari
मंकीपॉक्स और मंकीफीवर दोनों अलग-अलग हैं। चित्र : शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Published: 9 Jun 2022, 03:34 pm IST
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COVID-19 महामारी और इसके म्यूटेंट वायरस से अभी हम ठीक तरह से उबरे भी नहीं थे कि मंकी पॉक्स का खतरा तेजी से अपने पांव पसारता दिख रहा है। डियर लेडीज़ अगर इन गर्मी की छुट्टियों में आप भी अपने परिवार के साथ विदेश ट्रैवेल करने का सोच रही हैं, तो आपको भी डब्लूएचओ  द्वारा जारी किए गए इन निर्देशों को गौर से पढ़ना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार मंकी पॉक्स (Monkeypox) कई देशों में तेजी से पैर पसार रहा है और इसे प्लेग की तरह ही खतरनाक बताया जा रहा है। आइए जानें क्या है मंकी पॉक्स के मामलों में ताजा अपडेट।  

क्याें डरा रहा है मंकीपॉक्स  

मंकीपॉक्स का यह खतरा फिर से चर्चा में तब आया जब डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने ट्वीट करके बताया, “29 देशों से 1,000 से अधिक मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, जहां यह बीमारी स्थानिक नहीं है, इन देशों में अब तक कोई मौत नहीं हुई है।”  साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डब्ल्यूएचओ की तरफ से प्रभावित देशों से इस महामारी को नियंत्रित करने और फैलने से रोकने के लिए इससे जुड़े सभी मामलों की पहचान करने और प्रभावितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने के लिए कहा है।”

मंकीपॉक्स ट्वीट

इस बीमारी के लिए वैक्सीन के बारे में बोलते हुए टेड्रोस ने कहा, “एंटीवायरल और टीके मंकीपॉक्स के लिए भी कारगर हैं, लेकिन इनकी आपूर्ति सीमित है।” यह कहते हुए कि डब्ल्यूएचओ सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के आधार पर एक ऐसा सिस्टम तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है, जिसकी मदद से इस पर न सिर्फ नियंत्रण रखा जा सके, बल्कि इससे बचाव के लिए भी समुचित व्यवस्था रहे। 

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इन दिनों मंकीपॉक्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा है तो बैग पैक करने के पहले हो जाएं अपडेट । चित्र : शटरस्टॉक

इसके लिए डब्लूएचओ के अनुसार बड़े पैमाने पर टीकाकरण आवश्यक है, क्योंकि अब यह बीमारी 29 देशों तक फैल गई है। टेड्रोस ने आगे इससे बचने के बारे मे बात करते हुए कहा कि मंकीपॉक्स के लक्षण वाले लोगों को घर पर रहना चाहिए और अगर आप संक्रमित लोगों के साथ एक ही घर में हैं, तो उनके नज़दीक जाने से बचना चाहिए।”

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मई के महीने से इस बीमारी से जुड़ी खबरें आना शुरू हुई पर किसी भी केस में किसी के मरने की आशंका नहीं दिखाई दी। जिनेवा में एक मीडिया ब्रीफिंग में, टेड्रोस ने यह भी कहा कि अफ्रीका में इस साल बंदरों के 1,400 से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं और 66 मौतें हुई हैं।

मंकीपॉक्स पर डब्ल्यूएचओ के तकनीकी प्रमुख रोसमंड लुईस ने कहा कि “पारस्परिक निकट संपर्क” यानी इससे ग्रसित रोगी के नज़दीक जाना इसके फैलने की वजह था। उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स के मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को भी मास्क पहनना चाहिए।

तो क्या इस समय ट्रैवल करना ठीक होगा? 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी सूचना के अनुसार अब तक यह 29 देशों में फैल चुका है। इनमें अफ्रीका के देश शामिल हैं। इनके अलावा मंकीपॉक्‍स का सबसे ज्‍यादा कहर यूरोप में है। हालांकि, दूसरे देशों में भी यह बीमारी फैल रही है. 15 दिनों में 15 मुल्‍कों में इस बीमारी के पीड़ित पाए गए हैं। इन 15 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, स्वीडन, स्पेन, पुर्तगाल, ऑस्‍ट्रलिया, जर्मनी, इजरायल, कनाडा, नीदरलैंड्स, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। अगर आपको किन्हीं कारणों से इन देशों की यात्रा करनी पड़ रही है, तो यह जरूरी है कि आप विशेष सावधानी बरतें। 

क्यों फ़ैल रहा है इतनी तेजी से 

वायरस बहुत छोटे जीवित पार्टिकल होते हैं जिन्‍हें रोक पाना काफी मुश्किल होता हैमंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों और इंसानों के संपर्क से फैल सकता है. इसका ट्रांसमिशन रेट 3.3 फीसदी से 30 फीसदी तक माना गया है. लेकिन, हाल ही में कांगो में यह रेट 73 फीसदी था. वायरस कटी-फटी त्वचा, श्वास नली, आंख, नाक या मुंह के ज़रिए शरीर में एंट्री कर सकता है

प्लेग जितना ही खतरनाक माना जा रहा है मंकीपॉक्स को भी, चित्र: शटरस्टॉक

मंकी पॉक्स से बचने के लिए यात्रा के दौरान याद रखें ये जरूरी सावधानियां

मंकीपॉक्स की रोकथाम और उपचार के लिए एक बहु-राष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी पा चुकी वैक्सीन JYNNEOSTM भी उपलब्ध है, जिसे इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है इस वैक्सीन को डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नॉर्डिक बनाती हैअफ्रीका में इसके इस्तेमाल के पिछले आंकड़े बताते हैं कि यह मंकीपॉक्स को रोकने में 85% प्रभावी है

इसके अलावा एक चेचक का टीका है जिसका नाम ACAM2000 है. स्वास्थ्य अधिकारी मानते है कि ये वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी प्रभावी होती हैइस वैक्सीन का इस्तेमाल साल 2003 में अमेरिका में इस वायरस के फैलने के समय किया गया था

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चेचक के टीके लगवाने वाले लोग काफ़ी हद तक मंकीपॉक्स वायरस से भी सुरक्षित रहते हैं हालांकि, कई देशों में इस टीकाकरण को लगभग 40 साल पहले ही बंद कर दिया गया था क्योंकि इन देशों से चेचक की बीमारी खत्म हो चुकी थीअधिकांश देशों में टीके वर्तमान में केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए हैं, जिनपर इस बीमारी का जोखिम में बड़ा माना जा रहा है। 18 साल की आयु या ऊपर वाले व्यक्ति यह सुनिश्चित करें कि आपने यह टीका एहतियातन लगवा लिया है। 

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