किसी भी बिमारी से ग्रस्त होना अपने आप में बुरी खबर होती है। परन्तु उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां हमेशा से सर्वाधिक डराने वाली बीमारियां हैं। इसका कारण यह है कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां अपने साथ कई अन्य बीमारियों को निमंत्रण देती हैं। वे केवल हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करती, बल्कि हमारे शरीर पर से हमारा नियंत्रण भी छीन लेती हैं।
इन बीमारियों में जकड़े जाने के पश्चात हम अपनी पसंद का खा नहीं सकते और ऐसे कई अन्य कार्य भी नहीं कर सकते हैं, जो हमें ख़ुशी देते हो। इनके रहते हमें कठोर प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है।
स्थिति सबसे खराब तब हो जाती है कि जब आप या आपके परिवार में कोई भी व्यक्ति Covid-19 महामारी के दौरान (metabolic) चयापचय सिंड्रोम से निपट रहा हो, तो समझ लीजिए कि उनके लिए काफी सारी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को मेटाबॉलिक सिंड्रोम और Covid-19 के साथ में पाया जाता है ऐसे लोगो की रिकवरी में अधिक समय लगता है ।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम ऐसी स्थितियों का एक समूह है जो एक साथ होती हैं। जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, पेट के आसपास वसा का होना और कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आदि।
चयापचय सिंड्रोम वाले मरीज़ हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप-2 मधुमेह के बढ़ते हुए जोखिम पर रहते हैं। परन्तु आजकल कई ऐसे विकल्प हैं, जिनकी मदद से आप संतुलित आहार, वजन घटाने और नियमित शारीरिक गतिविधि को अपना कर अपनी जीवनशैली में बदलाव ला सकते हैं। आप इस सिंड्रोम के कारण होने वाले गंभीर दर्द के जोखिम को भी कम कर सकती हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम कोविड-19 को और भी घातक बना देता है, आइए जानते हैं क्यों –
डॉ. रवि दोशी, जो इंदौर स्थित श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SAIMS) के चेस्ट डिपार्टमेंट के प्रमुख हैं, उनका कहना है कि इंदौर में अब तक उनके पास आने वाले हजार से अधिक Covid-19 मरीजों में से कम से कम 150 को मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्ते हैं।
डॉ. दोशी के अनुसार, इसमें ऐसी कई जटिलताएं हैं जो कोरोनावायरस के कारण होती हैं और वे जटिलताएं कई गुना अधिक तब बढ़ जाती हैं यदि किसी को मेटाबॉलिक सिंड्रोम हो।
इंदौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM-I) ने Covid-19 और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच संबंधों पर मिशिगन विश्वविद्यालय और अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एक विस्तृत अध्ययन किया है।
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कस्टमाइज़ करेंसहायक प्रोफेसर और बायोस्टैटिस्टिक्स विशेषज्ञ साइंतन बनर्जी जोकि टीम के ही एक सदस्य है, उनका कहना है कि “चयापचय सिंड्रोम वाले लोग कोरोनावायरस महामारी की चपेट में अधिक हैं।”
वह आगे कहते हैं, “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के चौथे दौर के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद, हमें पता चला है कि चयापचय सिंड्रोम वाले लोग महामारी की चपेट में थे।”
बनर्जी ने आगे कहा कि “रैड और ऑरेंज जोन में उच्च रक्त, मधुमेह व चयापचय सिंड्रोम के रोगियों की संख्या अधिक है।”
स्वस्थ जीवनशैली एकमात्र रास्ता:-
एक्सपर्ट कहते हैं ऐसी स्थिति से निपटने का एकमात्र तरीका है उचित सावधानी बरतते हुए सोशल डिस्टैन्सिंग बनाए रखना और नियमित रूप से अपनी स्वास्थ्य की स्थिति पर नज़र रखना, ।
अंत में:-
व्यायाम करना, सेहतमंद भोजन करना, और अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना कुछ आवश्यक शर्तें हैं, जिनका पालन हर किसी को करना चाहिए, खासकर यदि वे चयापचय सिंड्रोम से जूझ रहे हों।
समय आ गया है कुछ अधिक सावधान होने का क्योंकि यदि आप या आपके प्रिय जन मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जूझ रहे हैं और कोविद-19 से बचना चाहतें हैं। तो कुछ अधिक सावधानियों को अपनाकर आप असमय आने वाली गंभीर बिमारियों से दूर रह सकते हैं।