भारत का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) आज 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे के आसपास चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र (moon south pole) पर लैंडिंग करेगा। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन की सफलता के लिए देश भर में लोग प्रार्थनाएं कर रहे हैं। आज सभी का फोकस चांद और चंद्रयान ही है। यह अपने आप में अनोखा लगता है कि वैज्ञानिक प्रगति के बाद भी हम पूजा, प्रार्थनाओं और मान्यताओं में भरोसा करते हैं। ज्योतिषी तो चांद को महत्व देते ही आए हैं, पर क्या वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि चांद का वास्तव में हमारी सेहत पर कोई प्रभाव होता है? चलिए रिसर्च के हवाले से जानते हैं चांद और हमारी सेहत (moon’s effect on health) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।
आयुर्वेद चंद्रमा की रोशनी को स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक मानता आया है। चंद्रमा से मिलने वाले लाभ को देख कर ही दुनिया भर की पौराणिक कथाओं और लोककथाओं के केंद्र में यह रहा है। कुछ शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि चंद्रमा की रोशनी हमारे फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर प्रभाव डालती है।
विश्व के चर्चित मनोचिकित्सक अर्नोल्ड लिबर (अमेरिका) ने 1970 के दशक में एक सिद्धांत देकर सबको चकित कर दिया। इसके अनुसार, चंद्रमा यानी लयूनर शरीर के बायोलोजिकल टाइड को प्रभावित (Moon’s effect) कर मानव व्यवहार को बदल (Lunar Effect) देता है। पूर्णिमा का चांद (Full Lunar) लोगों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन बढ़ा सकता है। इससे हिंसा और हत्या की दर में वृद्धि हो सकती है। यह तथ्य प्रमाणित हो चुका है कि चंद्रमा के घटते-बढ़ते आकार (Moon Cycle or Lunar cycle) के अनुसार, सी टाइड बढ़ते और घटते हैं। कई समुद्री जीव रीफ कोरल, समुद्र में रहने वाले कीड़े, कुछ मछलियां का प्रजनन चक्र (reproductive cycle) मोटे तौर पर चंद्र चक्र (moon cycle) के अनुसार होता है।
एडवांसेज इन हायजीन एंड पोस्ट मेडिसिन जर्नल के अध्ययन बताते हैं कि फुल मून नींद को प्रभावित कर सकता है। फुल मून में लोग देर से सोए और पहले की रातों के मुकाबले पूर्णिमा में कुल मिलाकर कम सोए। पूर्णिमा कम गहरी नींद और बढ़ी हुई आरईएम (Rapid Eye Movement) में देरी से जुड़ी हो सकती है। यानी आरईएम नींद प्राप्त करने में अधिक समय लगा।
पबमेड सेंट्रल में शामिल शोध आलेख के अनुसार, 2015 में 205 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पूर्णिमा पुरुषों और महिलाओं की नींद को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकती है। जब पूर्णिमा चरण करीब होता है, तो कई महिलाएं कम सोती हैं और कम आरईएम (REM) नींद लेती हैं। पुरुषों को पूर्णिमा के करीब अधिक आरईएम नींद आती है।
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. नीतू के अनुसार, ‘जिस तरह से सूर्य की रोशनी शरीर के लिए फायदेमंद है, भारत में मून बाथ का प्रयोग पुराना है। आयुर्वेद में चंद्रमा की रोशनी को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है। आयुर्वेद मानता है कि जिस व्यक्ति का स्वभाव उग्र होता है, उनका पित्त दोष बढ़ा हुआ होता है। पित्त दोष को शांत करने के लिए निर्धारित समय के लिए व्यक्ति को मून लाइट में बैठाया जा सकता है। इस प्रक्रिया को मून बाथ (moon bath) कहा जाता है। यह सनबाथ (Sun Bath) के समान है। इसमें सूर्य की किरणों की बजाय मून एनर्जी को लिया जाता है।’
जर्नल ऑफ़ रिसर्च इन आयुर्वेद के अनुसार, यदि आप आधे घंटे के लिए चंद्रमा की रोशनी में बैठती हैं या उसे निहारती हैं, तो तनाव दूर हो सकता है। यह तनाव दूर कर सर्कडियन रिद्म को संतुलित करता है। सोने से ठीक पहले आजमाने पर लाभ मिल सकता है। इस दौरान किसी भी प्रकार के कृत्रिम प्रकाश से खुद को दूर रखें। इससे शरीर को यह संकेत मिलने लगता है कि आराम करने का समय आ गया है। अध्ययन बताते हैं कि चांदनी के प्राकृतिक वातावरण के संपर्क में आने से तनाव की भावनाओं को शांत कर ओवरआल हेल्थ को ठीक करने में मदद मिलती है।
मून बाथ के लिए आपको सिर्फ एक शांत स्थान की तलाश करनी होती है, जहां मून लाइट पर्याप्त मात्रा में आ रही हो। कम से कम 30 मिनट के लिए चंद्रमा की रोशनी में बैठना जरूरी है। त्वचा को पोषण देने के लिए नारियल के तेल या बादाम के तेल लगाया जा सकता है। शरीर पर लेमन बाम और कैमोमाइल आयल लगाया जा सकता है। इस दौरान हर्बल टी और जड़ी-बूटियों का सेवन किया जा सकता है।
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