भारत सहित कई देश कोविड-19 की वैक्सीनन तैयार करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। कुछ वैक्सीन इसके ह्यूमन ट्रायल तक पहुंच गईं हैं। सब कुछ ठीक रहा तो जल्दी ही हम इस खतरनाक वायरस का इलाज ढूंढने में कामयाब होंगे।
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से किए गए ट्वीट में यह जानकारी दी गई कि भारत का रिकवरी रेट बढ़ रहा है। कोरोना संक्रमितों में अब 63.33% लोग अब ठीक हो रहे हैं। इसका श्रेय निश्चित रूप से स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों को जाता है। साथ ही उन्हें भी जो वैक्सीन के लिए लगातार शोध और अनुसंधान कर रहे हैं।
बहरहाल वैक्सीन की यात्रा में हम कहां तक पहुंचे, इसके बारे में कुछ अपडेट हैं जो आपको जानने चाहिए।
दवा कंपनी जायडस कैडिला को उम्मीद है कि वह अपने कोविड-19 के संभावित टीके ‘जायकोव-डी’ का क्लिनिकल परीक्षण सात महीने में पूरा कर लेगी। कंपनी के चेयरमैन पंकज आर. पटेल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने बुधवार को अपने कोविड-19 टीके का क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया है।
पटेल ने कहा, ‘कंपनी अगले तीन माह में चरण एक और चरण-दो का क्लिनिकल परीक्षण पूरा करने की तैयारी कर रही है। उसके बाद इसका डेटा नियामक को सौंपा जाएगा।’
उन्होंने कहा कि अध्ययन के नतीजों के बाद यदि डेटा उत्साहवर्धक रहता है और परीक्षण के दौरान टीका प्रभावी पाया जाता है, तो परीक्षण पूरा करने और टीका पेश करने में सात माह का समय लगेगा। पटेल ने कहा कि हमारा मकसद सबसे पहले भारतीय बाजार की मांग पूरा करने का है।
उन्होंने कहा कि हम इस बारे में विभिन्न देशों की दवा कंपनियों से भागीदारी की संभावना तलाश सकते हैं, लेकिन अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इससे पहले जायडस को इसी महीने राष्ट्रीय दवा नियामक से कोविड-19 टीके का मानव परीक्षण शुरू करने की अनुमति मिली थी।
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर जानकारी दी कि भारत बायोटेक ने अपने कोविड-19 रोधी टीका कोवेक्सिन का मनुष्य पर परीक्षण शुक्रवार को रोहतक के पीजीआईएमएस में शुरू कर दिया है। असल में कोवेक्सिन का ह्यूमन ट्रायल देश भर में 375 लोगों पर शुरू किया गया है।
”भारत के पहले स्वदेश निर्मित कोविड-19 रोकथाम के टीके कोवेक्सिन का पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरे देश में 15 जुलाई 2020 को शुरू हुआ था। यह भारत में 375 लोगों पर हो रहा बिना क्रम वाला (रैंडमाइज्ड), पूरी तरह गोपनीय (डबल ब्लाइंड) और प्रायोगिक औषधि नियंत्रित क्लीनिकल परीक्षण है।
जहां तक क्लीनिकल परीक्षण की बात है तो ‘डबल ब्लाइंड से आशय है कि न तो मरीज को और न ही अनुसंधानकर्ता को पता होता है कि किसे प्रायोगिक दवा दी जा रही है और किसका सामान्य इलाज किया जा रहा है।
रोहतक पीजीआईएमएस के डॉक्टरों ने बताया कि क्लीनिक ट्रायल के पहले चरण के तहत तीन लोगों को टीका दिया गया। इस प्रक्रिया में छह महीने लगते हैं, लेकिन अगले दो-तीन महीने में पैदा होने वाले एंटीबॉडी से टीके के असर और अगर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो उसके बारे में पता लगेगा ।
परीक्षण में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों की उम्र 30 से 40 साल के बीच है। अब 10 लोगों को यह टीका दिया जाएगा, जिनकी नियमित आधार पर निगरानी की जाएगी।
दूसरे चरण में और लोगों का पंजीकरण होगा तथा वैक्सी़न की डोज भी बढ़ाई जाएगी। भारत बायोटेक को पिछले दिनों ही उसके कोरोना वायरस रोधी टीके कोवेक्सिन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए देश के दवा नियामक की मंजूरी मिली थी।
देश में इस समय कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सात टीके विकास के विभिन्न स्तर पर हैं, जिनमें से दो को मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मिल चुकी है।
भारत बायोटेक को पिछले दिनों ही उसके कोरोना वायरस रोधी टीके कोवेक्सिन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए देश के दवा नियामक की मंजूरी मिली थी।
देश में इस समय कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सात टीके विकास के विभिन्न स्तर पर हैं जिनमें से दो को मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मिल चुकी है।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने पिछले दिनों कहा कि उसने स्वयंसेवकों के समूह पर नैदानिक परीक्षणों के बाद कोरोना वायरस का एक सुरक्षित टीका विकसित किया है। मंत्रालय ने कहा कि 18 लोगों ने परीक्षण अनुसंधान में भाग लिया और गंभीर प्रतिकूल घटनाओं, स्वास्थ्य शिकायतों, जटिलताओं या दुष्प्रभावों के बिना उन्हें छुट्टी दे दी गई।
बयान में कहा गया कि परीक्षणों के परिणामों ने हमें वैक्सीन की सुरक्षा और अच्छी सहनशीलता के बारे में विश्वास के साथ बोलने की अनुमति दी है। परीक्षण पर काम कर रहे एक डॉक्टर ने कहा कि स्वयंसेवकों को अब कोरोना के खिलाफ संरक्षित किया गया था। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक वीडियो में कहा, उनकी प्रतिरक्षा अच्छी तरह से काम कर रही है, एंटीबॉडी बनाई जा रही हैं, वे कोरोना से सुरक्षित हैं।
चीन की कम्पनी ने अपने कर्मचारियों पर कोरोना वायरस के टीके का परीक्षण करने का किया दावा है। कोरोना वायरस टीका बनाने की वैश्विक दौड़ के बीच चीन की एक सरकारी कम्पनी ने दावा किया है कि सरकार के मनुष्य पर टीके के परीक्षण की अनुमति देने से पहले ही उसने शीर्ष अधिकारियों सहित अपने कर्मचारियों को इसकी प्रयोग्ताम्क खुराक दी है।
‘साइनोफार्म कम्पनी की ओर से ऑनलाइन ”जीतने के लिए मदद करने वाले लोग के शीर्षक वाली पोस्ट में उसके कर्मचारियों की एक तस्वीर है और लिखा था, टीका बनाने के ”पूर्व परीक्षण में मदद की।
चाहे इसे वीरतापूर्ण बलिदान के रूप में देखा जाए या अंतरराष्ट्रीय नैतिक मानदंडों का उल्लंघन, लेकिन यह दावा एक विशाल दांव को रेखांकित करता है। क्योंकि महामारी खत्म करने के लिए टीका बनाने की दौड़ में अमेरिका और ब्रिटिश कम्पनियों के साथ चीन की प्रतिस्पर्धा है।
जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एक वैश्विक जन स्वास्थ्य कानून विशेषज्ञ लॉरेंस गोस्टिन ने कहा कि कोविड-19 का टीका सभी को चाहिए लेकिन इसे पाना बेहद कठिन है। दुनियाभर में दो दर्जन टीके मानव परीक्षण के विभिन्न स्तर पर हैं। उनमें से सबसे अधिक आठ चीन के हैं। वहीं ‘साइनोफार्म ने भी परीक्षण के अंतिम चरण में होने की घोषणा कर दी है।