एक महिला के जीवन में तेज़ी से एक के बाद एक कई बदलाव आते और जाते है। उन्हीं बदवालों में से एक है मातृत्व। मां बनना हर महिला का सपना होता है। मगर बच्चे के जन्म के बाद जच्चा और बच्चा को समय पर न मिलने वाली देखभाल मातृ एवं नवजात शिशुओं की मृत्युदर के बढ़ने का कारण साबित हो रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 300 000 महिलाएँ गर्भावस्था या प्रसव के कारण अपनी जान गँवा देती हैं, जबकि 2 मिलियन से अधिक शिशुओं की जन्म के पहले महीने में ही मृत्यु हो जाती हैं और लगभग 2 मिलियन बच्चे मृत पैदा होते हैं। इसी के तहत 7 अप्रैल 2025 विश्व स्वास्थ्य दिवस (World health day) पर मातृ एवं नवजात शिशु के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने पर एक साल तक चलने वाले अभियान की शुरुआत की जारी है।
हर साल मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस (World health day) का मकसद लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य की थीम पर आधारित इस अभियान का मकसद मातृ एवं नवजात शिशुओं की मृत्यु को रोकने के प्रयासों को तेज़ करना है और महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देना है।
जब बात महिला आबादी की आती है, तो उस वक्त परिवार और काम के बीच बेहतर संतुलन बनाए रखने के लिए अपने शरीर को दोगुना मज़बूत बनाए रखने की आवश्यकता होती है। ऐसे में महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता होती है। सकारात्मक स्वास्थ्य के लिए मन, शरीर और आत्मा को बेहतर बनाने वाली दैनिक दिनचर्या बनाना सबसे ज़रूरी है। इसके लिए स्वस्थ खाने की आदतों को अपनाने के अलावा व्यायाम, योग, ध्यान के लिए समय निकालें और मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए माइंडफुलनेस और आध्यात्मिकता का अभ्यास करें।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार प्लांट बेस्ड फूड, व्यायाम, वजन नियंत्रित करना, धूम्रपान व शराब का सेवन सीमित करना और पर्याप्त नींद हेल्दी लाइफस्टाइल की ओर इशारा करती है। हैं। इससे क्रॉनिक डिज़ीज़ का जोखिम कम होने लगता है।
बात जब स्वास्थ्य की आती है, तो केवल न्यूट्रिशन से ही नहीं बल्कि उसका संबंध व्यक्ति के व्यायाम, व्यवहार, अनुशासन और मेंटल हेल्थ से भी होता है। हांलाकि बदल रहे समय के साथ खानपान की आदतों से लेकर जीवनशैली में कई बदलाव देखने को मिलते है, जिसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव होने लगता है। इसके चलते वेटगेन, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में शरीर को एक्टिव और हेल्दी बनाए रखने के लिए कुछ साधारण से बदलाव लाकर शरीर को एक्टिव और हेल्दी बनाया जा सकता है।
बीएमआई यानि बॉडी मास इंडैक्स ये फिटनेस चेक करन का एक ऐसी मीटर है, जो न केवल आपके वज़न को दर्शाता है बल्कि ऊंचाई के अनुसार बॉडी मास इंडेक्स यानि बीएमआई की जानकारी देता है। इसकी सहायता से इस बात की जानकारी मिलती है कि आपका वज़न अपनी हाइट के अनुसार कितना बढ़ा हुआ है। इसे मेंटेन करने से शरीर में हाई बीपी, हृदय रोगों और स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है। इसके अलावा गॉल ब्लैडर से संबधित रोग और डायबिटीज के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तन और मन में संतुलन को बनाए रखना आवश्यक है। समय समय पर लगने वाले वैक्सीन से लेकर दिनों दिन बढ़ने वाली बीमारियों से खुद को प्रोटेक्ट करने के लिए अलर्ट रहें। महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाएं और हेल्थ प्रोटोकॉल्स को समझें। महिलाओं के शरीर में एडोलेसेंस, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज के दौरान कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसे में हार्मोनल बदलाव का आना स्वाभाविक है। शरीर को हर पड़ाव के लिए तैयार करने के लिए जानकारी एकत्रित करें और शरीर को एक्टिव और हेल्दी भी रखें।
स्वस्थ रहने के लिए ऊर्जावान होना बेहद ज़रूरी है और उसके लिए वर्कआउट को नज़रअदाज़ करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाने के लिए व्यायाम करना आवश्यक है। इसके लिए जिम में घंटों पसीना बहाने की जगह वर्कआउट प्लान तैयार कर लें। इससे हर दिन मॉडारेट ढंग से अपने रूटीन को डिज़ाइन करें। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज़ के अनुसार सप्ताह में सिर्फ़ 150 मिनट की मध्यम.तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि या सप्ताह में 75 मिनट की जोरदार एरोबिक गतिविधि स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
जीवन में स्वास्थ्य लक्ष्यों की पूर्ति के लिए व्यक्ति को दृढ़ता के साथ जीवन में आगे बढ़ने की आवश्यकता होती है और टॉक्सिक पदार्थों से दूरी बनाकर रखना आवश्यक होता है। इसके लिए अल्कोहल इनटेक, स्मोकिंग और ड्रग्स जैसे विषाक्त पदार्थों से दूरी बनाकर रखें। ये शरीर में कैंसर, अस्थमा और हृदय रोगों का कारण साबित हो सकते हैं। इसके अलावा अत्यधिक चीनी और जंक फूड भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता हैं।
अधिकतर महिलाओं में नींद की कमी बढ़ने लगती है। यूएस नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट के अनुसार वे लोग जिन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, उन्हें ध्यान केंद्रित करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा चोट लगने की संभावना भी बढ़ सकती है। जामा नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार अपर्याप्त नींद लेने से टाइप 2 मधुमेह सहित पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं का भी जोखिम बढ़ सकता हैं। रिसर्च में पाया गया कि जो प्रतिभागी प्रतिदिन 6 घंटे से कम सोते थे, उनमें 7 घंटे सोने वालों की तुलना में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम अधिक पाया गया।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार छोटी और फ्रिक्वेंट मील्स शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में मदद करती है। ऐसे में सुबह के नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच एक छोटा नाश्ता लेने की सलाह दी जाती हैं। उसके बाद दोपहर के भोजन और रात के खाने के बीच भी एक और नाश्ता लेना शरीर को पोषण प्रदान करने में मदद करता है। इसमें विटामिन और मिनरल के अलावा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट भी शामिल करें। नाश्ते में मुट्ठी भर नट्स, सेब, केला, पीनट बटर और दही लिया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।