समय पर और स्वस्थ आहार न लेने से शरीर में धीरे धीरे विटामिन और मिनरल की कमी बढ़ने लगती है। इससे हर समय थकान, कमज़ोरी और आलस्य का सामना करना पड़ता है। दरअसल, शरीर में आयरन की कमी (Iron deficiency) से हीमोग्लोबिन का स्तर असंतुलित होने लगता है। इससे ब्ल्ड में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है और कमज़ोरी के लक्षण पैदा होने लगते हैं। ऐसे में हेल्दी न्यूट्रिशन शरीर को इस समस्या से बचा सकता है। न्यूट्रिशन वीक के मौके पर जानते हैं एनीमिया के कारण और उससे उबरने के उपाय भी (Anemia in Indian women) ।
हर साल 1 सितंबर से लेकर 7 सितंबर न्यूट्रिशन वीक के रूप में मनाया जाता है। इस साल मनाए जाने वाले न्यूट्रिशन वीक की थीम है इटिंग फॉर ए हेल्दी टूमॉरो (eating for a healthy tomorrow) यानि अपने स्वस्थ भविष्य के लिए सोच समझकर आहार लें।
भारत में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह सन् 1982 में आरंभ हुआ था। कुपोषण के मामलों की रोकथाम के लिए इस मुहिम की शुरूआत विश्व स्तर पर सन् 1973 में संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकन डायटेटिक्स एसोसिएशन ने की थी। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की इस पहल के चलते लोगों में पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में कैम्प, सेमिनार और प्ले करवाए जाते हैं।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने से एनीमिया का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, हीमाग्लोबिन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो बॉडी फंक्शनिंग मदद करता है। इससे शरीर में रेड ब्ल्ड सेल्स की मात्रा बढ़ती है। साथ ही ब्लड सेलस में ऑक्सीजन के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। शरीर में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों की कमी इस समस्या को बढ़ा देती है। ऐसे में आहार में ज्यादा कैफीन, सिगरेट और अल्कोहल से बचना चाहिए। इससे शरीर में आयरन का एब्जॉर्बशन बाधित होने लगता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एनीमिया (Causes of anemia) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो छोटे बच्चों, मासिक धर्म के बाद लड़कियों, महिलाओं, गर्भवती और पोस्टपार्टम महिलाओं को प्रभावित करती है। रिसर्च के अनुसार 6 से लेकर 59 माह के बच्चों में 40 फीसदी एनीमिया का खतरा पाया जाता है। वहीं 37 फीसदी गर्भवती महिलाओं और 15 से 49 साल की 30 फीसदी महिलाओं में खून की कमी पाई जाती है।
वे महिलाएं जो एनीमिया से ग्रस्त होती है उन्हें बार बार थकान और कमज़ोरी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा चलते वक्त सांस का फूलना और लो ब्लड प्रेशर की समस्या बनी रहती है। इसके अलावा आंखों में पीलापन और अनियमित पीरियड साइकल का भी सामना करना पड़ता है। खून की कमी के चलते हाथ पैर ठंडे रहते हैं और सिर व छाती का दर्द बना रहता है।
आहार में आयरन, फोलेट और विटामिन बी 12 को शामिल करने से शरीर में रेड ब्लड सेल्स और व्हाइट ब्लड सेल्स को उचित स्तर बना रहता है। एनीमिया से ग्रस्त लोगों को अक्सर थकान और सांस फूलने की समस्या बनी रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्क के अनुसार 50 फीसदी एनीमिया के शिकार लोगों में आयरन की कमी पाई जाती है। अमेरिकन अकेडमी और हेमाटोलॉजी के अनुसार आयरन की कमी से जूझ रहे लोगों को रोज़ाना 150 से 200 मिलीग्राम आयरन रिच डाइट का सेवन करना चाहिए।
गलत खान पान के चलते स्मॉल इंटेस्टाइन में बढ़ने वाला इंफेक्शन आयरन की कमी का कारण बनने लगता है। इससे शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण रूक जाता है। दरअसल, शरीर पाचन के अलावा पोषण के एब्जॉर्बशन के लिए स्मॉल इंटेस्टाइन पर निर्भर करता है। डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि न्यूट्रिशन का 80 फीसदी एब्जॉर्बशन स्मॉट इंटेस्टान की मदद से किया जाता है। ऐसे में सही अवशोषण न मिल पाने से पोषक तत्व निष्कासित हो जाते हैं और खून की कमी का सामना करना पड़ता है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में ब्लड का वॉल्यूम बढ़ने लगता है। ऐसे में रेड ब्ल्ड सेल्स को बनाने के लिए शरीर को आयरन और विटामिन की आवश्यकता होती है। दरअसल, बच्चे को ऑक्सीजन प्रदान करने के लिए खून की पर्याप्त मात्रा का होना आवश्यक है। दूसरी और तीसरी तिमाही में बच्चे की ग्रोथ होने के चलते मॉ में खून की कमी बढ़ने लगती है। इसके लिए संतुलित आहार लेना ज़रूरी है।
परिवार के अन्य सदस्यों जैसे माता पिता या भाई बहन में बढ़ने वाली खून की कमी इस समस्या का कारण बनने लगती है। अनुवांशिकता के चलते भी लोगों को एनीमिया की समस्या से दो चार होना पड़ता है। ऐसे में शरीर कमज़ोर और थकान महसूस करने लगता है।
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कस्टमाइज़ करेंशरीर में किसी दुर्घटना या फिर पीरियड साइकल के दौरान होने वाली एक्सेसिव ब्लीडिंग भी अनीमिया का कारण साबित होती है। अचानक होन वाला ब्लड लॉस शरीर में खून की कमी को बढ़ा देता है। इसके चलते कई तरह की समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
आयरन और प्रोटीन रिच आहार लें। इसके लिए अपनी डाइट में साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जिया, लोटस स्टेम, नट्स और मछली को शामिल करें। इसके अलावा लाल और पीले फलों का सेवन करे।
ब्रेक्फास्ट में ब्रेड को पोहे और सफेद चनों से रिप्लेस करें। शरीर में आयरन के एब्जॉर्बशन को बढ़ाने के लिए उसे विटामिन सी से कंबाइन कर लें। अन्यथा आयरन शरीर से निष्कासित हो जाता है।
विटामिन सी को बनाए रखने के लिए नींबू, संतरा और मौसमी समेत खट्टे फलों का सेवन करें।
शरीर में आयरन की मात्रा को बनाए रखने के लिए खाना खाने के बाद चाय, कॉफी और पान खाने से बचें।
चाय और कॉफी में कैफीन की मात्रा पाई जाती है। वहीं पान में इस्तेमाल किया जाने वाला चूना भी आयरन एब्जॉर्बशन को रोकता है।