Earth Day 2023 : धरती की सेहत के लिए जरूरी है कार्बन फुटप्रिंट कम करना, जानिए आप इसके लिए क्या कर सकती हैं

धरती की सेहत से हमारी सेहत सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। जैसे-जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, दुनिया भर में त्वचा और श्वसन संबंधी समस्याएं भी बढ़ रहीं हैं। इसलिए सामुहिक सेहत के लिए जरूरी है धरती की सेहत का ख्याल रखना।
Carbon footprint ke nuksaan
रोज़ाना धरती को किसी न किसी कारण से नुकसान पहुंच रहा है और इसका नुकसान समस्त मानव जीवन और पर्यावरण को उठाना पड़ रहा है। चित्र: अडोबी स्टॉक
Published On: 21 Apr 2023, 07:39 pm IST
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दिन भर में हम न जाने कितनी चीजों का प्रयोग करके उन्हें डिस्पोज़ कर देते हैं। कुछ खाने वाली, कुछ लगाने वाली और कुछ पहनने वाली। वो हर चीज़ जो कहीं से उत्पाद के रूप में तैयार होकर हम तक पहुंची है, वो कार्बन फुटप्रिंट (Carbon footprints) कहलाती है। पृथ्वी पर पानी, रोशनी और प्रकृति सब कुछ है। मगर इंसान की इच्छाएं इससे भी ज्यादा हैं। जिसके चलते हर रोज़ धरती की सेहत का हनन हो रहा है। इसका खामियाजा सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को उठाना पड़ेगा। पृथ्वी दिवस (Earth Day 2023) पर आइए जानते हैं कार्बन फुटप्रिंट्स के नुकसान और इन्हें कंट्रोल (Tips to reduce carbon footprints) करने के कुछ आसान उपाय।

ब्रिटेनिका के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट दुनिया भर में सबसे अधिक है। कार्बन डाइऑक्साइड सूचना विश्लेषण केंद्र और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार, 2004 में संयुक्त राज्य अमेरिका के औसत निवासी के पास प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट 20.6 मीट्रिक टन रहा। जो वैश्विक औसत से पांच से सात गुना अधिक था।

समझिए क्या है कार्बन फुटप्रिंट (Carbon Footprints)

कार्बन फुटप्रिंट यानि वो इकोलॉजिकल फुटप्रिंट, जो किसी व्यक्ति या संस्था की ओर से किए गए कुल कार्बन उत्सर्जन की मात्रा है। अगर आप ये समझ रहे हैं कि आप साइकिल चला रहे हैं, तो आप कार्बन फुटप्रिंट को बचा रहे हैं, तो आप भले ही ईधन को बचा पा रहे हैं। मगर साइकिल भी कार्बन फुटप्रिंट का ही हिस्सा है।

वहीं अगर आप किसी गैजेट की जगह किताब पढ़ रहे हैं, तो वो किताब भी कार्बन फुटप्रिंट का पार्ट समझी जाएगी। कार्बन फुटप्रिंट का असर हमारी जलवायु पर भी नज़र आता है। पर्यावरण में आने वाला बदलाव इसका मुख्य कारण है।

Carbon footprint
जैसे-जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, दुनिया भर में त्वचा और श्वसन संबंधी समस्याएं भी बढ़ रहीं हैं। चित्र: अडोबी स्टॉक

क्यों जरूरी है कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी लाना

कार्बन फुटप्रिंट को रिडयूज़ करके हम मानव स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा खतरा खेती पर मंडरा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से भूख से पीड़ित लोगों की संख्या 34 प्रतिशत से बढ़कर अब से 40 साल बाद कम से कम 64 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। दरअसल, जलवायु परिवर्तन के चलते फसलों और अन्य खाद्यों में कुपोषण में वृद्धि होने की संभावना बनी हुई है। फसलों के पकने के मौसम में सूखा पड़ना भी एक खतरे का कारण है।

वहीं दूसरी ओर नेचर कंजरवेंसी के मुताबिक अगर जलवायु परिवर्तन अपनी वर्तमान दर से यूं ही बढ़ता रहा, तो पृथ्वी की एक चौथाई प्रजातियां 40 वर्षों में विलुप्त होने की ओर बढ़ जाएंगी।

यहां हैं वे उपाय जो आपको कार्बन फुट प्रिंट्स में कमी लाने में मदद कर सकते हैं (How to reduce carbon footprints)

1.समझदारी से करें वाहनों का इस्तेमाल

कहीं भी आने जाने के लिए निजी ट्रांसपोर्ट की जगह सार्वजनिक परिवहन की ही मदद लें। इससे सड़कों पर जाम की समस्या से राहत मिलेगी। साथ ही ईधन की बचत होगी। इससे कार्बन का उत्सर्जन कम होगा और ध्वनि प्रदूषण से भी धीरे धीरे निजात मिलने लगेगा। इसके अलावा गाड़ी खरीदने से पहले उसके लुक्स के अलावा फीचर्स पर भी गौर करें। नई गाड़ी के तौर पर इलेक्ट्रिक कार के विकल्प को चुनें। इसके अलावा गाड़ी में पूरा वक्त एयर कंडीशनर को ऑन न रखें।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

2. प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें

जब हम बाज़ार के लिए निकलते हैं, तो जगह जगह खरीददारी के दौरान प्लास्टिक बैग इकट्ठा करने की जगह एक कपड़े से तैयार बैग कैरी करे। इससे न केवल आपका सामान एक जगह इकट्ठा हो पाएगा। साथ ही पर्यावरण और जानवरों को भी इससे नुकसान नहीं होगा।

पॉलीबैग्स के अलावा प्लास्टिक की बोतलें समेत इससे तैयार अन्य सामान के इस्तेमाल को कम से कम करना चाहिए। प्लास्टिक को आप कांच, कागज़ या कपड़े की चीजों से रिप्लेस कर सकते हैं। इसके अलावा पैकिंग के लिए भी प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकना होगा। हमारा एक स्टैप कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में कारगर साबित होगा।

3. पानी को बचाएं

कम से कम मात्रा में पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। जब तक ज्यादा कपड़े जमा न हो वॉशिंग मशीन का उपयोग न करें। इससे ज्यादा मात्रा में पानी वेस्ट होता है। इस बारे में क्लाइमेट कोलंबिया की एक रिसर्च में पाया गया है कि डिटर्जेंट में मौजूद एंजाइम ठंडे पानी से कपड़ों को धोने में बेहतर तरीके से उनकी सफाई करते हैं।

कार्बन फुटप्रिंट को बचाने के लिए गर्म पानी के बजाय ठंडे पानी में सप्ताह में दो बार कपड़ें धोएं। इससे हर साल 500 पाउंड कार्बन डाइऑक्साइड की बचत हो सकती है।

4. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कम इस्तेमाल करें

आप जिस स्थान पर बैठे हैं, केवल वहीं के उपकरणों को ऑन करें। कमरे से बाहर निकलते वक्त बिजली को बंद करना न भूलें। कोई भी उपकरण खरीदते वक्त एनर्जी स्टार का खास ख्याल रखें। दरअसल, उन उपकरणों को बिजली सेविंग के हिसाब से ही तैयार किया जाता है। इसके अलावा एलईडी बल्बस का प्रयोग करें। ये न केवल ज्यादा चलते हैं बल्कि बिजली की खपत भी कम होती है।

5. आर्गेनिक और लोकल फूड का सेवन करें

डिब्बाबंद चीजों का प्रयोग कम से कम करें। इन्हें पैक करने में इस्तेमाल होने वाली चीजें कार्बन फुटप्रिंट बढ़ाने का काम करती है। अपनी मील में ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियों का प्रयोग करें। मांस खाने से बचें और डेयरी प्रोडक्टस का कम प्रयोग करें। वहीं सब्जियों और फलों के छिलकों को डीकम्पोस्ट करके खाद का रूप दें और गमलों में प्रयोग करें। इसके अलावा खाने को वेस्ट करने से भी बचें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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