अमेरिका समेत पूरी दुनिया में ओमिक्रोन ने दहशत फैला रखी है। वहीं, ज्यादातर विशेषज्ञों ने भारत में फरवरी के पहले सप्ताह में कोरोना के इस नए वैरिएंट के पीक पर होने की आशंका जताई है। वैसे तो देश की एक बड़ी आबादी वैक्सीनेटेड हो चुकी है, लेकिन छोटे बच्चों और किशोरों का टीकाकरण पूरी तरह नहीं हो पाया है। ऐसे में बच्चों और किशोरों को कोरोना के इस नए वैरिएंट से बचाने के लिए विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि डेल्टा वैरिएंट के लक्षण अलग-अलग देशों और लोगों में अलग-अलग पाए गए थे। लेकिन ओमिक्रोन के लक्षण ज्यादातर लोगों में एक जैसे ही नज़र आ रहे हैं। इससे इसका पता लगाना काफी आसान हो जाता है। इसके कारण शुरू में गले में खराश और जलन होती है। इसके बाद नाक बंद होने, सर्दी-जुकाम, सिर दर्द और बुखार आने की समस्या आती है।
छोटे बच्चों और किशोरों में भी इसी तरह की दिक्कतें आती हैं। वहीं किशोरों में इस वायरस के कारण सर्दी जुकाम के बाद तेज बुखार की परेशानी आती है। ऐसे में एहतियातन पेरेंट्स को बच्चों के बदलते बिहेव पर ध्यान देना चाहिए।
इंदौर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल ओझा का मानना है कि वैसे तो दुनियाभर में इस नए वैरिएंट का छोटे बच्चों पर कोई खास असर नहीं देखा गया है। लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर छोटे बच्चों का ध्यान रखना जरूरी है।
उनका कहना हैं कि ज्यादातर बड़े लोग वैक्सीनेटेड हो चुके हैं। लेकिन छोटे बच्चों और किशोरों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है। इस वजह से कोरोना के इस नए वैरिएंट के पीक समय पर छोटे बच्चों और किशोरों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
डॉ. ओझा ने आगे बताया कि बच्चों को बाहर भीड़ भरे इलाके में ले जाने से बचना चाहिए। वहीं मास्क का सख्ती से उपयोग करें। अगर घर में किसी को खांसी, सर्दी-जुकाम या बुखार है तो बच्चों को उनसे दूर रखना चाहिए।
पिछले वैरिएंट डेल्टा के काफी अलग-अलग लक्षण थे, जिसके कारण उसे पहचानना काफी मुश्किल था। वहीं ओमिक्रोन के लक्षण सभी मरीजों में एक जैसे ही नजर आते है, ऐसे में इसकी पहचान आसान है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ओमिक्रोन के सामान्य लक्षण सर्दी, खांसी और बुखार है।
इसके प्रभाव के कारण सामान्य सर्दी, खांसी और बुखार जैसे ही लक्षण नज़र आते हैं। एक आकलन है कि भारत में फरवरी के पहले हफ्ते में ओमिक्रोन का सबसे अधिक प्रभाव दिखाई पड़ सकता है। हालांकि टेस्टिंग में गिरावट के कारण ओमिक्राेन के मामलों में अभी से गिरावट देखी जाने लगी है। पर इस पर अभी पूरी तरह से यकीन नहीं किया जा सकता।
डॉक्टर ओझा कहते हैं, “साउथ अफ्रीका में सबसे पहले ओमिक्रोन ने दस्तक दी थी। अब वहां केस धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि फरवरी के दूसरे हफ्ते के बाद भारत में इसके केस कम होने की संभावना है।”
गौरतलब हैं कि आईसीएमआर के एडिशनल डायरेक्टर जनरल डॉ सिमरन पांडा ने अपने एक बयान में कहा था कि कोरोना के इस नए वैरिएंट के ज्यादातर केस बड़े शहरों में आ रहे हैं। मार्च-अप्रैल तक यह बढ़ता ग्राफ स्थिर हो जाएगा।
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कस्टमाइज़ करेंइधर, आईआईटी (IIT) मद्रास के मुताबिक, ओमिक्रोन वैरिएंट 1 से 15 फरवरी के बीच पीक पर हो सकता है। यही वजह है कि देश के सभी राज्यों में कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है और लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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