देश में कोरोना वायरस संक्रमण के नए वेरिएंट ओमिक्रोन ( Omicron) के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ संगठन ( WHO ) लगातार बढ़ते मामलों को लेकर चिंता व्यक्त कर रहा है। वहीं वैज्ञानिक भी इस संक्रमण के बारे में नई जानकारियां हासिल करने में लगे हुए हैं। कई देशों में यह संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है।
भारत की बात करें तो अब तक 38 नए मामले सामने आए हैं। जब राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण ( Covid-19) के इस नए वेरिएंट का मामला सामने आया था, तो कहा जा रहा था कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी है उन पर गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिलेंगे।
अब विश्व स्वास्थ्य संगठन( WHO) द्वारा एक नई जानकारी सामने रखी गई है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ओमिक्रोन वेरिएंट कोरोना की वैक्सीन के प्रभाव को कम कर सकता है। यूएन एजेंसी ( UN Agency ) के तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रोन (Omicron) जल्द ही डेल्टा वैरिएंट ( Delta variant) को पीछे छोड़ सकता है। यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission) को काफी तेजी से बढ़ावा दे सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ओमिक्रोन वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ (Variant of concern) के सूची में शामिल करने के बाद से ही लगातार विश्व को सचेत रहने के लिए कह रहा है। संगठन ने एक बार फिर से दुनिया को आगाह करते हुए कहा कि वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन की प्रभावशीलता को यह नया वेरिएंट कम कर सकता है।
जबकि ओमिक्रोन डेल्टा वेरिएंट को पीछे छोड़ते हुए तेजी से अपने पैर पसार सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रविवार को कहा कि मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, ओमिक्रॉन डेल्टा स्ट्रेन के मुकाबले ज्यादा संक्रामक है।
ओमिक्रोन वेरिएंट बहुत कम समय में कई देशों तक पहुंच चुका है। जिसके आंकड़ों और रफ्तार को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि यह नया वेरिएंट काफी कम समय में 63 देशों तक फैल चुका है। साउथ अफ्रीका (South Africa) में जहां डेल्टा स्ट्रेन के सबसे कम मामले थे, वहां से ओमिक्रोन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट के सबसे ज्यादा मामले वाले देश ‘ब्रिटेन’ में पहुंच चुका है।
ब्रिटेन में फिलहाल 99 % संक्रमित डेल्टा वेरिएंट की चपेट में हैं। हालांकि पर्याप्त डेटा की कमी को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ओमिक्राेन इम्यूनिटी के लिए भले ही डेल्टा वेरिएंट जितना खतरनाक न हो, लेकिन इन दोनों ( Delta and omicron) का एक जगह पहुंचना नए खतरे को जन्म दे सकता है।
इस सब के बीच राहत भरी खबर यह है कि कोरियाई शोधकर्ताओं ने मॉलिक्यूलर डायग्नोसिस टेस्ट (molecular diagnosis test) की तकनीक विकसित की है। जिसकी सहायता से ओमिक्रोन वेरिएंट का काफी कम वक्त में पता लगाया जा सकता है।
POSTECH ने 10 तारीख को घोषणा की है कि केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ( chemical engineering department ) के प्रोफेसर ली जंग-वूक ( Lee Jung-wook ) के नेतृत्व में एक शोध दल ने नई तकनीक विकसित की है जो केवल 20 मिनट में ओमिक्रोन वेरिएंट का पता लगा सकती है।
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