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Obesity and blood donation : क्या रक्तदान करने से वेट लॉस हो सकता है? एक्सपर्ट बता रही हैं ऐसे ही कुछ मिथ्स की सच्चाई

रक्तदान को महादान कहा गया है। यह किसी का जीवन बचा सकता है। इसके बावजूद अब भी लोगों में ब्लड डोनेशन के बारे में बहुत सारे मिथ्स प्रचलित हैं। इन्हें दूर किया जाना जरूरी है ताकि अधिक से अधिक लोग रक्तदान कर सकें।
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रक्तदान किसी का जीवन बचा सकता है पर यह वेट लॉस नहीं कर सकता। चित्र: शटरस्टॉक
Updated On: 13 Jun 2024, 02:59 pm IST
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मोटापा दुनियाभर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। जब बात रक्तदान की हो तो मोटापे को लेकर कई गलतफहमियां भी जुड़ जाती हैं। हालांकि कइयों का मानना है कि मोटापे के शिकार लोग ब्लड डोनेट नहीं कर सकते, लेकिन सच्चाई जानकर आप खुद भी हैरान रह जाएंगे। आइये जानें कि इस विषय में प्रचलित कुछ प्रमुख गलतफहमियां (Obesity and blood donation) क्या हैं और वास्तव में, सच क्या है।

यहां हैं रक्तदान से जुड़े कुछ मिथ्स और उनके बारे में सही फैक्ट्स (Myths and facts about obesity and blood donation)

मिथ : मोटे लोग रक्तदान नहीं कर सकते।

तथ्य : मोटापा होने का मतलब यह नहीं होता कि आप ब्लड डोनेट करने के काबिल नहीं रहे हैं। ब्लड डोनेशन कौन कर सकता है इस संबंध में कई कसौटियां हैं और केवल अधिक वज़न होने पर किसी व्यक्ति को रक्तदान के अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। डोनेशन के लिए कई हेल्थ फैक्टर महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें ब्लड प्रेशर, हिमोग्लोबिन, और डोनर का स्वास्थ्य काफी मायने रखता है। यदि ये सभी शर्तें पूरी हो रही हों, तो मोटा व्यक्ति भी रक्तदान कर सकता है।

मिथ : मोटापाग्रस्त लोगों का ब्लड सही क्वालिटी का नहीं होता।

तथ्य : ब्लड क्वालिटी केवल वज़न से ही तय नहीं होती। इसके लिए और भी कई बातें जिम्मेदार हैं, जैसे डायट, लाइफस्टाइल और अन्य हेल्थ कंडीशंस महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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ब्लड की क्वालिटी पर वजन का कोई असर नहीं पड़ता। चित्र- अडोबी स्टॉक

यदि कोई व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है लेकिन वह संतुलित आहार और हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करता है तो उसकी ब्लड क्वालिटी अपने से अधिक सेहतमंद व्यक्ति के जैसी ही होती है।

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मिथ : ब्लड डोनेट करना मोटापाग्रस्त लोगों के लिए सेफ नहीं है।

तथ्य : मेडिकल देखरेख में रक्तदान की प्रक्रिया आमतौर पर सुरक्षित होती है, चाहे वह मोटापाग्रस्त व्यक्ति द्वारा ही क्यों न हो। रक्तदान करने वाले डोनर की सावधानीपूर्वक जांच की जाती है। ताकि पहले से ही यह सुनिश्चित हो सके कि वे स्वस्थ हैं, और साथ ही, रक्तदान के दौरान तथा बाद में भी उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जा सके।

डोनर को यह ध्यान में रखना चाहिए, भले ही उनका वज़न कुछ भी क्यों न हो, कि वह खुद को हाइड्रेटेड रखें, डोनेशन के बाद डॉक्टरों द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें ताकि किसी किस्म का विपरीत प्रभाव न पड़े।

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मिथ : मोटापाग्रस्त डोनर का ब्लड मेडिकल उपचार में कम उपयोगी/प्रभावी साबित होता है।

तथ्य : मेडिकल उपचार के लिए ब्लड की उपयोगिता डोनर के वज़न से नहीं, बल्कि ब्लड की क्वालिटी से तय होती है। यह इस बात से भी कि क्या यह उस व्यक्ति से मेल खाता है जिसे ब्लड चढ़ाया (रेसीपिएंट) जा रहा है। ब्लड को काफी जांचा-परखा जाता है और उसकी प्रोसेसिंग की जाती है। ताकि सुरक्षा और उपयोगिता की दृष्टि से यह सही हो, और ये प्रक्रियाएं इस बात से पूरी तरह से मुक्त होती हैं कि डोनर का वज़न क्या है।

मिथ : मोटापाग्रस्त लोगों को ब्लड डोनेशन के दौरान जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

तथ्य : सभी प्रकार के डोनेशन पर कड़ी मेडिकल निगरानी से गुजरना होता है। ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया में जटिलताएं किसी को भी हो सकती हैं, इनका वजन से कोई ताल्लुक नहीं है। हाइड्रेशन, वेन हेल्थ और डोनर की ओवरऑल हेल्थ काफी महत्वपूर्ण होती है। डोनेशन में डोनर की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है और पूरी प्रक्रिया के दौरान उन्हें पूरा सपोर्ट दिया जाता है तथा पूरी मॉनीटरिंग की जाती है ताकि जटिलताओं का रिस्क कम से कम रहे।

मिथ : मोटापा के कारण पैदा होने वाली हेल्थ कंडीशंस से ब्लड डोनेशन बिगड़ सकता है।

तथ्य : ब्लड डोनेशन, यदि पूरी जिम्मेदारी के साथ किया जाए तो यह मोटापा-जनित हेल्थ कंडीशंस को बिगड़ने नहीं देता। सच्चाई तो यह है कि मोटापे के शिकार कुछ लोगों को रक्तदान से हेल्थ मैनेजमेंट प्लान में मदद मिलती है। यह भी सच है कि अधिक सेहतमंद लाइफस्टाइल के लिए रेग्युलर डोनेशन को प्रोत्साहित भी किया जाता है, क्योंकि डोनर को अपनी न्यूट्रिशन और हाइड्रेशन संबंधी आदतों को सही तरीके से मेंटेन रखने की सलाह दी जाती है।

मिथ : मोटे लोगों को ब्लड डोनर के तौर पर अस्वीकार किए जाने की संभावना ज्यादा होती है।

तथ्य : बेशक, किसी तरह की मेडिकल कंडीशन होने पर मोटापाग्रस्त लोगों की ब्लड डोनर संबंधी योग्यता पर असर पड़ सकता है, लेकिन बहुत से मोटे लोग आमतौर पर ब्लड डोनर हो सकते हैं। डोनेशन सेंटर पर प्रत्येक डोनर की जांच की जाती है और केवल वज़न ही नहीं बल्कि अन्य कई हेल्थ फैक्टर्स के आधार पर उन्हें ब्लड डोनर के तौर पर चुना या अस्वीकार किया जाता है।

मिथ : ब्लड डोनेशन से मोटे लोगों का वजन घटता है।

तथ्य : ब्लड डोनेशन अपने आप में कोई वेट लॉस फार्मूला नहीं है। हालांकि इसकी वजह से अस्थायी रूप से शरीर में तरल पदार्थों की मात्रा घटती है, लेकिन यह कोई खास वेट लॉस का कारण नहीं होता। हेल्दी वेट मैनेजमेंट के लिए संतुलित आहार, नियमित शारीरिक व्यायाम, और मेडिकल गाइडेंस जरूरी होता है। वजन कम करने के लिए आप ब्लड डोनेशन को अपनी मुख्य गतिविधि नहीं बना सकते।

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ब्लड डोनेशन एक स्वस्थ प्रक्रिया है, मगर यह वेट लाॅस का फॉर्मूला नहीं है। चित्र : अडोबीस्टॉक

संक्षेप में,

मोटापे के शिकार लोग भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं। यहां हमने इससे जुड़ी भ्रामक बातों और ब्लड डोनर की काबिलियत तथा सुरक्षा संबंधी पहलुओं की जानकारी दी है। डोनेशन के लिए डोनर की सेहत और अन्य कई हेल्थ संबंधी फैक्टर महत्वपूर्ण होते हैं ताकि यह एक सुरक्षित और कारगर प्रक्रिया हो और इसमें वजन से कोई फर्क नहीं पड़े।

यदि आप भी ब्लड डोनेशन के बारे में विचार कर रहे हैं लेकिन अपनी योग्यता को लेकर चिंता में हैं, तो किसी हेल्थकेयर प्रोफेशनल से इस बारे में बातचीत करें या पर्सनल मार्गदर्शन के लिए लोकल डोनेशन सेंटर से संपर्क करें।

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लेखक के बारे में
डॉ अमिता महाजन
डॉ अमिता महाजन

सीनियर कंसल्टेंट, पिडियाट्रिक हेमेटोलॉजी एंड ओंकोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल

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