डायबिटीज पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ती खतरनाक स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के अलावा डायबिटीज का एक तीसरा प्रकार भी है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है। गर्भकालीन मधुमेह या जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में देखने में आती है। मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। तो क्या है इससे बचाव का उपाय? यह नया शोध इसी के बारे में कुछ बता रहा है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) हो सकती है। जिसके कारण प्रेगनेंसी में भी कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। इसका गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज के होने का मुख्य कारण हार्मोन्स में बदलाव है। जब प्रेगनेंसी में हार्मोन में बदलाव होते हैं, तो ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है। हालांकि एक नए शोध में इसे रोकने के लिए एक बेहतरीन समाधान सामने आया है।
शिशु को पोषण खून के जरिए मिलता है। जब माता के शरीर में शुगर लेवल ज्यादा होता है, तो शिशु एक्स्ट्रा शुगर को फैट के रूप में स्टोर करता है। इससे उसका साइज सामान्य से काफी बड़ा हो सकता है। जिसके कारण बच्चे में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। जैसे मिनरल की कमी, पीलिया, 9 महीने से पहले ही डिलीवरी हो जाना, जन्म के बाद सांस लेने में समस्याएं। इसके अलावा मोटापे और डायबिटीज की समस्या सबसे आम है।
यह शोध तुर्कू विश्वविद्यालय और तुर्कू विश्वविद्यालय अस्पताल में किए गया। जिसे यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन’ में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में पाया गया के कि आहार संबंधित आदतों का मोटापे और गर्भवती महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह यानी जेस्टेशनल डायबिटीज की शुरुआत दोनों पर प्रभाव पड़ता है।
मां-बच्चों पर किए गए अध्ययन ने 351 अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में आहार सेवन और जेस्टेशनल डायबिटीज की शुरुआत के बीच संबंध की जांच की। शोधकर्ताओं ने महिलाओं के पोषक तत्वों के सेवन की गणना उनकी फूड डायरी से की, जिसके आधार पर दो आहार पैटर्न, एक स्वस्थ और एक अस्वास्थ्यकर आहार पैटर्न को मान्यता दी गई।
जिसके बाद नतीजे सामने आए कि यदि गर्भावस्था के शुरुआती दौर में पौष्टिक आहार का सेवन किया जाए तो डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है।
तुर्कू विश्वविद्यालय में बायोमेडिसिन संस्थान से डॉक्ट्रेट उम्मीदवार लोट्टा पाजुनेन ने कहा,”हमारे शोध के परिणाम बताते हैं कि प्रारंभिक गर्भावस्था में एक स्वस्थ आहार का पालन करने से गर्भकालीन मधुमेह का खतरा कम हो जाता है।”
सब्जियां, फल, बैरी और साबुत अनाज साथ-साथ असंतृप्त फैट का सेवन करना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ये पोषक तत्व और सुपरफूड आपके शरीर में सूजन को कम करते हैं। इसलिए गर्भकालीन मधुमेह के खतरे को भी कम करते हैं। सिर्फ गर्भावस्था से पहले ही नहीं, बल्कि अपनी जीवन शैली में हमें स्वस्थ आहार को शामिल करना चाहिए। हम क्या खाते हैं पर हमें क्या सूट करता है इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करें और अपने डायटीशियन से इस पर चर्चा करें।
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