कोविड-19 से मुकाबला करते हुए अब ज्यादातर लोग समझ गए हैं कि किसी भी संक्रमण का मुकाबला करने में सबसे बड़ा कवच रोग प्रतिरोधक क्षमता ही है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सिर्फ विटामिन सी ही नहीं, बल्कि विटामिन ए और डी भी महत्वपूर्ण है। भारतीयों में इन जरूरी विटामिनों की कमी दूर करने के लिए एफएसएसएआई (Food Safety and Standards Authority of India) खाद्य तेलों में विटामिन ए और डी के सम्मिश्रण को अनिवार्य बनाने की तैयारी कर रही है।
खाद्य नियामक एफएसएसएआई (Food Safety and Standards Authority of India) खाद्य तेल निर्माताओं को विटामिन ए और डी का खाद्यतेल में सम्मिश्रण अनिवार्य करने के बारे में विचार कर रहा है, जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में मददगार होते हैं।
एफएसएसएआई के सीईओ अरुण सिंघल ने कहा, ”एफएसएसएआई खाद्य तेलों को विटामिन ए और डी से संवर्धित करना अनिवार्य बनाने के बारे में विचार कर रहा है। ताकि भारत के लोग बेहतर प्रतिरक्षा तंत्र का लाभ ले सकें।
शनिवार को एक बयान में कहा गया कि वह भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तहत आने वाले खाद्य संवर्धन संसाधन केंद्र (एफएफआरसी) के ‘ग्लोबल अलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन (जीएआईएन) के साथ मिलकर आयोजित खाद्य तेल संवर्धन पर एक राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
सिंघल ने कहा कि खाद्य तेल के पौष्टिक तत्वों के साथ सम्मिश्रण किये जाने से यह सुनिश्चित होगा कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों की देश भर में खाद्य तेलों तक पहुंच आसान हो।
बयान में कहा गया है, ”भारत में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी सहित कुपोषण की बहुत अधिक समस्या है। हमारे देश में एक बड़ी आबादी विटामिन ए और डी की कमी से पीड़ित है। हमारे शरीर में इन विटामिनों की कमी रुग्णता, मृत्यु दर, उत्पादकता और आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।”
इसमें कहा गया है कि विटामिन ए और डी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, जो कोविड -19 महामारी के समय में महत्वपूर्ण है।
सिंघल ने कहा कि उद्योग की सुविधा के लिए, एफएफआरसी खाद्य तेल के पौष्टिक तत्वों से सम्मिश्रण करने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
राजस्थान के उदाहरण का हवाला देते हुए, विज ने कहा कि राजस्थान में वर्ष 2011 से खाद्य तेल का पौष्टिक तत्वों से सम्मिश्रण का काम किया जा रहा है, जिससे राज्य में 10 से 19 साल के बच्चों में विटामिन ए की कमी में पर्याप्त कमी हुई है।