हम सब ने कभी न कभी मुश्किल हालात का सामना किया होगा। शायद इसी तरह से मुश्किलों का सामना करके ही हम अपनी भावनाओं पर विजय पा सकते हैं। जितनी मज़बूती से हम अपने मुश्किल हालातों का सामना करते हैं उतने ही मजबूत हम सोसाइटी में कहलाते हैं। पर क्या हम वाकई में अंदर से भी उतने ही मज़बूत होते हैं?
हम में से बहुत से लोग अपने गुस्से के कारण ही पहचाने जाते हैं। यही वजह है कि हम अपने प्रियजनों से भी दूर हो जाते हैं। कई दफा हम गुस्सा नहीं करना चाहते पर क्या करें ! अब तो यह हमारे स्वभाव का हिस्सा ही हो गया है। जिंदगी की इस आपाधापी में शांत कैसे रहा जाए ?
अपने दिमाग को इसके लिए ट्रेन करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि शांत रहने से आप अपने बहुत सारे मसलों का हल आसानी से निकाल सकती हैं। बजाए इसके कि हर छोटी-छोटी बात पर अपना दिमाग गरम करके उस पर फालतू का प्रेशर डाला जाए। उसी एनर्जी का इस्तेमाल यदि हम समस्यायों का हल निकालने में लगा दे तो समय और ताकत दोनों ही बच जाएगी।
डॉ. पारीख, फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक और प्रमुख हैं। हमने डॉ. समीर पारीख से जानने की कोशिश कि हम हर परिस्थिति में शांत कैसे रह सकते हैं?
यदि हम डॉ. के सुझावों को असल जिंदगी में अमल में लाएंगे तभी इन्हेंस जानने का फायदा भी है। वह यकीन के साथ कहते है, हमारा दिमाग शांत हो जायेगा और हम हर परिस्थिति का मुकाबला आसानी से कर सकतें हैं।
जिंदगी वास्तव में संतुलन का नाम में है। अपने काम और सोशल लाइफ में सही बैलेंस बनाना बहुत ज़रूरी है और ऐसा भी संभव है की दोनों में से किसी एक को आपकी अधिक ज़रूरत हो। आपको समय समय पर अपने काम से ब्रेक लेकर अपने परिवार वालों और दोस्तों के साथ समय बिताना चाहिए, ताकि आप काम के बोझ के तले दब न जाएं।
साथ ही आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कहीं आप अपनी एन्जॉयमेंट में इतना न डूब जाएं कि आपकी प्रोफेशनल लाइफ डिस्टर्ब हो जाए। अगर आप इस स्टेज पर बैलेंस नहीं बना पाते तो आप अपने दिमाग की शान्ति खोते चले जाते हैं।
जिंदगी में यह काबिलियत होनी ही चाहिए, के किसी मुश्किल परिस्थिति में थोड़ा पीछे जाकर सोच सके और फिर पूरे एफर्ट के साथ आगे बड़े। जब आगे बड़े तब इफेक्टिव प्लान के साथ पूरी एनर्जी हो। याद रखिये कभी भी सब कुछ ख़तम नहीं हो जाता, बस ज़रा सी प्लानिंग करने के बाद आप आसानी से अपने हालातों से मुकाबला करने को हो जाएंगे तैयार।
हम अक्सर किसी से मदद नही मांगते, हम शायद ज़रूरी ही नहीं समझते। पर क्या आप जानते है किसी के मार्गदर्शन से आपकी ज़िन्दगी और भी ज़्यादा आसान हो जाएगी। अगर आप बहुत तनाव हैं आपको सच में नहीं मालूम आपको क्या करना है, चीज़ें आपके हाथ से फिसलती जा रही हैं और आप अपनी शांति खोते जा रहे हैं, तो किसी से भी मदद मांगने में बिलकुल भी घबराइए नही।
आप किसी ऑफिस के साथी से, किसी विश्वासपात्र दोस्त से या फिर किसी अच्छे मनोचिकित्सक से मदद मांग कर अपनी समस्या का हल निकाल सकते हैं।
डॉ. पारिख का निष्कर्ष है, “यह सब अभ्यास करने से आपको जीवन के सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के दौरान कठिन समय से गुजरने में मदद और ताकत मिलती है।”
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शांत रहिए, तब भी जब आप अपनी ज़िंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हों। ऐसा कुछ नही है कि रातों रात आप सबकुछ सीख जायेंगे, बस धीरे-धीरे अपनी ज़िंदगी को अपने अनुसार अकार दीजिए और अपने सपने सकार कीजिए।