जाड़े के दिनों में वायरस का प्रकोप बढ़ जाता है। इसके कारण कई तरह की बीमारियां हमें घेरने लगती है। कई वायरस से हुए रोग के लिए तो ट्रीटमेंट भी अब तक उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। कुछ वायरस को तो डायगनूज करना भी कठिन है। खतरनाक वायरस से फैलने वाली गंभीर बीमारियों से संबंधित सूचनाओं के बीच एक अच्छी खबर आई है। भारत में निपाह वायरस परीक्षण किट विकसित हो गया(nipah virus diagnostic kit developed) है। इससे कुछ घंटों में ही वायरस इन्फेक्शन का पता लग सकेगा।
पुणे में मौजूद इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ विरोलोजी ने यह किट डेवलप किया है। यह ब्लड में मौजूद निपाह वायरस के एक मुख्य एंटी बॉडी आई जी एम(IGM) और आई जी जी(IGG) की पहचान कर लेता है। इस किट के सहारे कुछ घंटों में ब्लड में मौजूद निपाह वायरस की एंटीबॉडी का पता लगाया जा सकता है। आईजीएम एंटीबॉडी हाल के संक्रमण को इंगित करती है। आईजीजी एंटीबॉडी वायरस के पिछले संपर्क के बारे में संकेत देती है। यह परीक्षण किट रोग से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, निपाह वायरस (NIV) एक जूनोटिक वायरस है। यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। दूषित भोजन या सीधे संक्रमण से भी यह लोगों के बीच प्रेषित किया जा सकता है। यह सांस की बीमारी और घातक एन्सेफलाइटिस जैसी बीमारियों का कारण भी बन सकता है। यह वायरस सूअर जैसे पशुओं में भी गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, संक्रमित लोगों में शुरू में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इनके अलावा, चक्कर आना, नींद नहीं आना, और न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी हो सकते हैं। एन्सेफलाइटिस, सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत सहित असामान्य निमोनिया भी हो सकता है। जिन्हें तीव्र एन्सेफलाइटिस होता है, उनमें नर्वस सिस्टम संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए विशिष्ट कोई दवा या टीका नहीं है। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने डब्ल्यूएचओ अनुसंधान और विकास ब्लूप्रिंट के लिए निपाह को प्राथमिक बीमारी के रूप में पहचाना है।
गंभीर श्वसन और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं के इलाज के लिए गहन देखभाल की सिफारिश की जाती है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, निपाह वायरस से बचाव ही एकमात्र उपचार है।
1यदि किसी तरह के संक्रमण का संदेह होता है, तो पशु परिसर को तुरंत क्वारंटाइन किया जाना चाहिए। लोगों में संचरण के जोखिम को कम करने के लिए संक्रमित जानवरों को मारना, शवों को दफनाने या जलाने में भी कड़ी निगरानी जरूरी है।
2 निपाह वायरस सूअर या फल पर रहने वाले चमगादड़ से फ़ैल सकता है। इसलिए इनसे बचाव करना जरूरी है।
3 टीके के अभाव में लोगों में संक्रमण से बचाव का एकमात्र तरीका जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। लोगों को निपाह वायरस के जोखिम को कम करने के उपायों के बारे में शिक्षित करना है।
4 संचरण को रोकने के प्रयासों में सबसे पहले खजूर के रस और अन्य ताजे खाद्य उत्पादों तक चमगादड़ की पहुंच को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। फलों को सेवन करने से पहले अच्छी तरह से धोकर और छीलकर लेना चाहिए। चमगादड़ के काटने के निशान वाले फलों को फेंक देना चाहिए।
5 पशु-से-मानव संचरण के जोखिम को कम करना। संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
6 निपाह वायरस से संक्रमित लोगों के साथ असुरक्षित शारीरिक संपर्क से बचना चाहिए। बीमार लोगों की देखभाल करने या उनसे मिलने के बाद नियमित रूप से हाथ धोना चाहिए।
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