कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही हमारे मन में दहशत आ जाती है। कैंसर का इलाज यूं तो सम्भव है लेकिन फिर भी यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रीवेंशन के अनुसार हर साल भारत में 2.25 मिलियन लोग कैंसर पीड़ित होते हैं और हर साल 10 लाख से अधिक नए केसेस आते हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने बना लिया है मैग्नेटिक प्रॉपर्टी से काम करने वाला एक नैनो फाइबर का बना बैंडेज, जो स्किन कैंसर के ट्यूमर को गर्मी से खत्म करता है।
यह तो आप जानती ही होंगी कि सूरज की खतरनाक अल्ट्रा वॉयलेट किरणें ही मुख्यत: स्किन कैंसर का कारण होती हैं।
मेलानोमा- इसमें मेलानोसाइट्स नामक कैंसर के सेल्स त्वचा में बनने लगते हैं जो त्वचा की रंगत में परिवर्तन लाते हैं। इससे त्वचा पर काले या सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं।
नॉन-मेलानोमा– इस कैंसर में त्वचा की रंगत में कोई असर नहीं आता।
शोधकर्ताओं का कहना है कि हालांकि भारत में नॉन-मेलानोमा स्किन कैंसर ज्यादा लोगों में होता है, मगर मेलानोमा ज्यादा खतरनाक है। मेलानोमा कैंसर पूरे शरीर में फैल सकता है और यह जानलेवा है।
“अब तक स्किन कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी या रेडियो थेरेपी ही थी। लेकिन इन ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट भी होते हैं। यही कारण है कि हमनें एक नए तरीके से स्किन कैंसर का इलाज खोजा है”, बताते हैं IISC बंगलुरू के शोधकर्ता।
दरअसल कैंसर के इलाज के किये एक नया तरीका सामने आया है – हाइपर थेर्मिया यानी बहुत अधिक गर्मी से कैंसर के सेल्स को मार देना।
इस गर्मी को सिर्फ ट्यूमर के सेल्स तक पहुंचाने के लिए दुनिया भर में अलग-अलग शोध हो रहे थे।
कैंसर के सेल्स को हाइपर थेर्मिया इलाज करने का ही एक तरीका है ‘मैग्नेटिक हाइपरथेर्मिया’। इस टेक्नोलॉजी में मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल्स की मदद से कैंसर के सेल्स को गर्मी दी जाती है। यह तरीका कैंसर खत्म करने के लिए तो बहुत कारगर था, लेकिन इसे कंट्रोल नहीं किया जा पा रहा था। कैंसर के सेल्स तक इस मैग्नेटिक गर्मी को पहुंचाने का तरीका नहीं मिल पा रहा था।
भारत के वैज्ञानिकों ने मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल्स के इस्तेमाल का तरीका निकाल लिया है। इसके लिए IISC यानी भारतीय विज्ञान संस्थान के बायोसिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग और डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स ने मिलकर एक तरीका खोजा है। ‘इलेक्ट्रोस्पिनिंग’ के तरीके से मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल्स को बैंडेज का रूप दिया गया है।
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इन बैंडेज का टेस्ट दो स्तर पर हुआ है। पहला जहां टेस्ट ट्यूब में मानव सेल्स जिनमे कैंसर था, उन पर इसे टेस्ट किया गया।
सफल होने के बाद इस बैंडेज को चूहों पर टेस्ट किया गया जिनमें स्किन कैंसर के सेल्स डाले गए।
दोनों ही टेस्ट में यह बैंडेज असरदार साबित हुआ है।
हालांकि अभी इस नए तरीके ने सिर्फ लैब में ही खुद को असरदार साबित किया है। अभी कुछ अन्य अध्ययन और टेस्ट बाकी हैं। जिनके बाद ही इसे प्री-क्लीनिकल ट्रायल के लिए भेजा जाएगा।
लेकिन अगर यह असरदार साबित होता है तो यह न केवल मेडिकल साइंस, बल्कि पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ी खोज होगी।