अगर दिवाली की तैयारियों में आप भी लापरवाह हो गई हैं, तो सावधान हो जाएं। कोरोनावायरस का प्रकाेप अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। महामारी का प्रकोप कम जरूर हुआ है, मगर यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। मंकीपॉक्स (Monkeypox), डेंगू फीवर (Dengue fever) के लिए एहतियात बरतने के साथ-साथ हमें कोरोना के प्रति भी सावधान रहना होगा। पुणे में कोरोना के नये वैरिएंट बीक्यू1 (new omicron variant BQ.1) के पाए जाने की सूचना मिल रही है।
यह नया वैरिएंट कैसा है और यह कितना खतरनाक हो सकता है, इसके लिए हमने बात की, गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल इंस्टिट्यूट में इन्फेक्शियस डिजीज कंसलटेंट डॉ. नेहा रस्तोगी पांडा से।
पुणे के एक मरीज के सैंपल में ओमिक्रोन का सब वैरिएंट बीक्यू 1 पाया गया है। डॉ. नेहा बताती हैं, ‘बीक्यू 1 कोविड (सार्स कोव-2) के ही ओमिक्रोन का वैरिएंट है। हमारे शरीर की तरह ही वायरस के स्ट्रक्चर में भी बहुत सारे बदलाव आते हैं। ये बदलाव वायरस को अधिक शक्तिशाली और संक्रामक बनाने के लिए आते हैं। यह वैरिएंट पुराने वैरिएंट की अपेक्षा ज्यादा तेजी से फैलता है।”
अमेरिका के 60 % कोरोना पॉजिटिव लोगों में यही वैरिएंट पाया जा रहा है। पुणे में बीक्यू 1 का डिटेक्शन होने के कुछ दिन पहले ही बी एफ 7 वैरिएंट पाया गया था। बी एफ 7 वैरिएंट सबसे पहले चीन के मंगोलिया क्षेत्र में रिपोर्ट किया गया था। वैज्ञानिकों ने बताया कि दोनों बीक्यू 1 और बीएफ 7 वैरिएंट म्युटेशन के कारण ही उत्पन्न हुए हैं और दोनों संक्रामक हैं।
हालांकि बीए 5 भारत में 5 % से भी कम कोरोना मरीजों में पाया गया है। यहां 80 % से अधिक कोरोना के मामलों में बीए 2 वैरिएंट देखा जा रहा है।
बीक्यू 1 वैरिएंट यूएस के अलावा यूके और जर्मनी में भी पाया जा रहा है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार बीक्यू 1 के मामले 1 महीने के अंदर 1-11 % तक बढ़ गये हैं।
भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलोजी के वैज्ञानिकों के अनुसार, ये सभी वैरिएंट ओमिक्रोन के नेक्स्ट जेनरेशन हैं। जो सार्स कोव 2 के ही अलग-अलग वैरिएंट हैं। जनवरी में जब भारत में ओमिक्रोन का पहला मामला देखा गया था, तब से लेकर अब तक इसके वैरिएंट नहीं देखे गए थे। हालांकि इन सभी वैरिएंट में संक्रमण और इसके फैलने की संभावना देखी जा रही है।
डॉ. नेहा कहती हैं, इस वैरिएंट को कम नहीं समझा जाना चाहिए। इनके दुष्प्रभावों को कम कर नहीं आंकना चाहिए। हमें इस ओर पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।’
ओमिक्रोन के इस नए वैरिएंट को वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न में डाला है। इससे री इंफेक्शन का खतरा अधिक है। हालांकि अब तक ओमिक्रोन के वैरिएंट को डेल्टा के बाद सबसे अधिक संक्रामक माना गया। वैज्ञानिक इस नए वैरिएंट को भी संक्रामक मान रहे हैं। लेकिन इससे बहुत अधिक जोखिम होने की संभावना नहीं है। यह तेजी से फैल सकता है, लेकिन जान माल के नुकसान होने की कम सम्भावना है।
डॉ नेहा चेताती हैं, “इस सीजन में यदि किसी को सर्दी, खांसी, बुखार, नाक बहना या सांस की तकलीफ है, तो कोविड टेस्टिंग को प्रेफर करें। यदि व्यक्ति कोविड पोजिटिव होता है, तो आगे टेस्टिंग के लिए वे तैयार हो सकते हैं।
यह वैरिएंट यदि अधिक शक्तिशाली हो जाता है, तो कोरोना वैक्सीन इस पर कितना कारगर होगा, कहना मुश्किल है। इसलिए स्ट्रांग इम्युनिटी वाले लोग भी इसके चपेट में आ सकते हैं। ”
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