अभी तक कैंसर एक लंबी और जटिलतम बीमारियों में से एक है। मगर कैंसर से ठीक हुए मरीज़ इसके गंभीर प्रभावों से सालों तक जूझते हैं। यह बीमारी सिर्फ रोगी को ही पीड़ित नहीं करती है, बल्कि उसके पारिवार के लिए भी मानसिक और आर्थिक तनाव का कारण बनती है। कोरोना के समय में गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों में कैंसर मरीज और सर्वाइवर को सबसे ज्यादा खतरा है।
कई कैंसर सर्वाइवर्स का कहना है कि, अगर आप सही दिशा में इलाज करें और अपनी इच्छा शक्ति प्रबल रखें तो आप कैंसर को हरा सकते हैं। कैंसर सर्वाइवर्स की इसी इच्छाशक्ति और जिंदादिली को सलाम करता है – ‘नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डे’।
यह दिवस कैंसर, पीड़ितों और बचे लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम इस वर्ष रविवार 6 जून और हर साल जून के पहले रविवार को आयोजित किया जाता है।
यूके में यह कार्यक्रम नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डे फाउंडेशन (National cancer survivors day foundation) द्वारा चलाया जाता है। यह फाउंडेशन अस्पतालों, चिकित्सा प्रतिष्ठानों, कैंसर सहायता समूहों और अन्य कैंसर सहायता संगठनों के बीच काम करता हैै। जिसका उद्देश्य सलाह, सूचना और शिक्षा प्रदान करके जीवित बचे लोगों का समर्थन करने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
यह दिन सभी कैंसर से बचे लोगों और उनके दोस्तों और परिवारों के लिए उत्सव का दिन है और कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है।
कोरोनाकाल के इस दौर में कैंसर सर्वाइवर्स को अपना ख़ास ख्याल रखने की ज़रूरत है क्योंकि उनकी इम्युनिटी लो होती है। साथ ही, शरीर पहले ही एक गंभीर बीमारी से उबर रहा होता है।
कैंसर होने से आपको कोविड-19 जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। एक बार जब कैंसर मरीज उपचार से ठीक हो जाते हैं, तो वे सक्रिय रूप से कैंसर के उपचार से गुजरने वाले रोगियों की तरह इम्यून नहीं हो सकते हैं।
जबकि कैंसर से बचे लोगों को कोविड-19 के लिए अधिक जोखिम नहीं हो सकता है। मगर हाल ही में एक शोध से पता चलता है कि यदि कैंसर सर्वाइवर्स इस बीमारी को विकसित करते हैं, तो उन्हें जटिलताएं होने की अधिक संभावना होती है। उन लोगों की तुलना में जिन्हें कभी कैंसर नहीं हुआ है।
यदि कैंसर से ठीक हुए लोगों को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसी चिकित्सीय स्थितियां हैं या अन्य चिकित्सीय स्थितियों के लिए इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी पर हैं, तो इससे उन्हें वायरस की चपेट में आने का खतरा ज्यादा है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार (Centers for Disease Control and Prevention) सभी को कोरोना का टीका लगाया जा सकता है, उन्हें भी जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है। हालांकि जो लोग अभी कैंसर से ठीक हुए हैं या और अन्य जो इम्यूनोसप्रेस्ड हैं, उनमें टीकों के प्रति कमजोर प्रतिक्रिया हो सकती है।
कैंसर से पीड़ित लोगों को कोविड-19 से बचाने में मदद करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि परिवार के सदस्यों, प्रियजनों और देखभाल करने वालों का टीकाकरण हो।
आम तौर पर, हम जानते हैं कि कैंसर रोगियों में प्रतिरक्षा प्रणाली को इलाज के बाद ठीक होने में समय लगता है। मगर सामान्य स्तर तक पहुंचने के लिए प्रतिरक्षा समारोह के लिए कीमोथेरेपी लेने में एक साल तक का समय लग सकता है।
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