मास्क पहन कर बाहर तो बस बेवकूफ लोग निकल रहे हैं। हम यही मानते हैं ना? आपका यह सोचना बनता तो है, आखिर कोरोना वायरस के अत्यधिक मामले घरों में बन्द रहने के ही आ रहे हैं। लेकिन मास्क आज हमारी जरूरत बन गया है, खासकर जब आप घर से बाहर कदम रख रहीं हैं।
कोरोना वायरस परिवार में आसानी से फैलता है, इसका यह मतलब नहीं कि आप बाहर निकलते वक्त मास्क ही ना लगाएं। एक्सपर्ट कहते हैं कि बाहर निकलते वक्त मास्क पहनना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि जोखिम अभी भी है।
भीड़ वाली जगहों या कार्यक्रमों में जहां लोग आपस मे बात कर रहे हों, वहां कोविड-19 फैलने का जोखिम सबसे ज्यादा है। कार्यक्रम जैसे पार्टी, इलेक्शन की रैली इत्यादि सबसे खतरनाक हैं।
इस महामारी की शुरुआत से ही स्टडीज में यह बताया जा रहा था कि रेस्टोरेंट, ट्रेन, प्लेन, घर और ऑफिस जैसी इनडोर और बन्द जगहों पर संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है।
हाल ही में 25,000 से अधिक केसेस का आकलन करने पर पाया गया कि महज 6 प्रतिशत केस ही किसी बाहर हो रहे कार्यक्रम जैसे स्पोर्ट्स से हुए हैं।
बन्द जगह जहां लोग गा या बोल रहे थे, सबसे खतरनाक हैं। जहां लोग कुछ समय के लिए रुक रहें हैं, भले ही आपस में बातचीत न करें मगर सोशल डिस्टेंसिंग न बनाएं, वहां भी संक्रमण का बहुत खतरा होता है।
“देखा जाए तो बाहर निकलने और उससे जुड़े जीवन के कारण न के बराबर ही केसेस सामने आए हैं”,बताते हैं अध्ययन के लेखक, शोधकर्ता और कैंटरबरी क्राइस्ट चर्च यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइक वीड।
जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और इंजीनियर के साथ-साथ प्रोफेसर के समूह के डेटा के आंकलन से यह सामने आया है कि बाहर रहना, घरों के अंदर से ज्यादा सुरक्षित है।
“संक्रमण का जोखिम अंदर के मुकाबले बाहर बहुत कम है, क्योंकि हवा के साथ मिलकर वायरस हल्का रह जाता है। यह थ्योरी सिगरेट के धुएं और अन्य वायरस के लिए भी सच है”, कहते हैं शोधार्थी।
फरवरी से ही बहुत सी स्टडी और हेल्थ ऑथोरिटी ने कोविड-19 के एयर बॉर्न होने का शक जताया था।
जब हम छींकते या खांसते हैं, हमारे नाक और मुंह से ड्रॉपलेट निकलती हैं, जो किसी वस्तु पर गिरकर उसे संक्रमित करती हैं। लेकिन यही ड्रॉपलेट बहुत छोटे-छोटे रूप में बोलते, हंसते और गाते वक्त भी निकलती हैं, जो कहीं गिरने के बजाय हवा में ही मौजूद रहती हैं।
सबसे छोटे आकार की ड्रॉपलेट हवा में कई घण्टों तक रह सकती हैं। अगर हवा का बहाव न हो, तो यह ड्रॉपलेट किसी भी व्यक्ति के अंदर सांस के माध्यम से जा सकती हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जेनेटिक्स एंड वायरस एक्सपर्ट स्टीव एलज कहते हैं, “यह पता नहीं लगाया जा सका है कि कितनी मात्रा में वायरस होना चाहिये एक सफल संक्रमण के लिए, मगर यह जरूर कहा जा सकता है कि जितने ज्यादा वायरस उतना अधिक जोखिम।”
संक्रमित हवा या संक्रमित व्यक्ति के साथ बिताए गए समय पर निर्भर करता है कि संक्रमण की कितनी सम्भावना है। एक सेकंड के लिए ऐसे रास्ते से गुजरना जहां की हवा में वायरस है, बहुत खतरनाक नहीं है। लेकिन कुछ मिनट ऐसी जगह रुकना बहुत खतरनाक हो सकता है।
वैज्ञानिक कहते हैं,”यह असंभव नहीं है कि किसी व्यक्ति को बाहर संक्रमण ही नहीं हो सकता। लेकिन इसकी संभावना कम है”।
वर्जिनिया टेक की एयरबोर्न वायरस की एक्सपर्ट लिनसे मार के अनुसार बाहर मास्क पहनना बहुत जरूरी है, खासकर अगर जगह भीड़ भाड़ वाली हो।
वह बताती हैं,”जब आप भीड़ वाली जगह में होते हैं, चाहें आप किसी से बात न करें, लेकिन आप दूसरे की छोड़ी हुई सांस को खुद अंदर ले रहे होते हैं। यह बहुत खतरनाक है।”
बाहर कितना जोखिम है यह केवल भीड़ की संख्या और हवा के बहाव पर ही नहीं, सूरज पर भी निर्भर करता है।
सूरज की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें वायरस को डिएक्टिवेट कर सकती हैं। हालांकि यह सूरज की तेजी पर निर्भर करता है।
जानकारी बहुत सीमित है क्योंकि बाहर वायरस का डेटा एकत्र करना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल है।
“पब्लिक हेल्थ के लिए तो सभी एक्सपर्ट का यही मानना है कि मास्क का इस्तेमाल ही इस वक्त सबसे महत्वपूर्ण प्रीकॉशन है”, कहती हैं येल यूनिवर्सिटी की एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर क्रिस्टल पॉलिट।
बाहर निकलते वक्त खुद को सुरक्षित रखने का एक मात्र तरीका मास्क पहनना ही है।
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