जाड़ा हो या गर्मी मच्छर का प्रकोप कम नहीं होता। ये गंदे पानी के अलावा साफ जगहों पर भी पनपने लगते हैं। इनके शरीर में कई बीमारियों के वायरस रहते हैं। जब ये इंसानों को काटते हैं, तो वायरस का ट्रांसमिशन हो जाता है और कई अलग-अलग तरह की बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है। इन सभी बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि हम इन सभी बीमारियों के बारे में जानें, जो मच्छरों के काटने (diseases caused by mosquito) से हमें हो सकती हैं।
मच्छरों की 3000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही मानव रक्त का सेवन करती हैं और बीमारी फैलाती हैं। सबसे खतरनाक मच्छर एनोफेलीज, एडीज और क्यूलेक्स की कुछ प्रजातियां हैं। एडीज एजिप्टी अकेले लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) , जीका (Zika), डेंगू (Dengue) और पीला बुखार ( Yellow Fever) फैलाता है।
मलेरिया (Malaria) एक परजीवी संक्रमण है, जो एनोफिलीज मच्छरों (anopheles mosquito) द्वारा फैलता है। एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक स्तर पर मच्छरों के कारण 219 मिलियन लोग प्रभावित होते हैँ। इसके परिणामस्वरूप हर साल 4,00000 से अधिक मौतें होती हैं। सबसे ज्यादा मौत 5 साल से कम उम्र के बच्चों की होती है। 129 से अधिक देशों में 3.9 बिलियन से अधिक लोगों को डेंगू होने का खतरा है। इसके कारण अनुमानित 40,000 मौतें हर साल होती हैं।
यह रोग संक्रमित एनोफेलीज मच्छरों के काटने से फैलता है। इसमें परजीवी प्लाज्मोडियम मौजूद रहता है। ये लिवर में मल्टीप्लाई करते हैं और रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करते हैं। इसके कारण सिरदर्द, उल्टी और बुखार हो जाता है। इलाज नहीं करने पर मलेरिया जिंदगी के लिए जोखिम कारक भी हो सकता है।
एडीज एजिप्टी प्रजाति की मादा मच्छर डेंगू वायरस को फैलाते हैं। डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और हड्डियों में तेज़ दर्द, नाक और मसूड़ों से हल्का खून भी आ सकता है। प्लेटलेट्स की कमी के कारण यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
चिकनगुनिया भी वायरस से इन्फेक्टेड एडीज एजिप्टी और एडीस अल्बोपिक्टस मच्छर के कारण फैलता है।इससे तेज बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द हो सकता है। यहां तक की चलने-फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है।
वायरस से संक्रमित एडीज या हेमागोगस प्रजाति के मच्छरों के काटने से लोगों में येलो फीवर फैलता है। बुखार, सिर दर्द, उल्टी जैसा महसूस होना, भूख में कमी, चक्कर आना, चेहरे, जीभ और आंखों का लाल हो जाना, मांसपेशियों में दर्द, पीठ और घुटनों में तेज दर्द इसके लक्षण हैं।
यह फाइलेरिया बैनक्रॉफ्टी, ब्रुगिया मलाई और ब्रुगिया टिमोरी के कारण होता है। इन सभी परजीवियों के वाहक मच्छर ही होते हैं। इसके कारण तेज दर्द, बुखार और अंगों का बहुत अधिक सूज जाना है।
जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस दलदल और जमे हुए पानी में मौजूद मच्छर में परजीवी के रूप में मौजूद होता है। वायरस रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। बुखार और अंगों का सूज जाना इसके लक्षण हैं।
जीका वायरस से संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से जीका फीवर फैलता है। इसमें बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और शरीर पर दाने होना जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसका कोई टीका उपलब्ध नहीं है। टोमेटो फीवर और मंकी फीवर भी मच्छरों के काटने से फैल सकते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंघर या बाहर कहीं भी पानी जमने नहीं दें। एसी, कूलर और गमलों का पानी हर दूसरे दिन बदलें।
जालीदार खिड़की, दरवाजों के प्रयोग से मच्छर घर के अंदर नहीं आने पाते हैं। मच्छरों को भगाने के लिए मोस्कीटो रीपेलेंट का प्रयोग करें। घर को साफ़-सुथरा रखें।
जहां सूर्य की रोशनी जाती है, वहां मच्छरों का प्रकोप कम होता है।
मच्छर सुबह और शाम के समय अधिक आते हैं। इस समय घर के अंदर रहने का प्रयास करें।
घर से जब भी भाहर निकलें हल्के रंग के कपड़े पहनें। गाढ़े रंग के कपड़ों पर मच्छर अधिक आते हैं।
मच्छर को भगाने के लिए नेचुरल रीप्लेंट का प्रयोग करें। खासकर नीम से तैयार रीप्लेंट मच्छर को भगाने में कामयाब होते हैं। इससे आपके स्वास्थ्य पर खराब असर नहीं पड़ेगा।
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