कुछ ही दिन पहले चीन से कई रिपोर्ट्स आईं कि चीन में एक वायरस जिसे HMPV वायरस कहा जा रहा है, वो तेजी से फैल रहा है। बच्चे और बूढ़े ज्यादातर इसकी जद में हैं। फिर मलेशिया से भी कुछ ऐसी ही खबर आई। भारत में अधिकतर लोग मलेशिया को टूरिस्ट स्पॉट के जैसा मानते हैं। वहाँ रह रही भारतीय आबादी भी बड़ी है। ऐसे में वहाँ से आने वाले लोगों में HMPV वायरस के इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होगा। भारत में भी कुछ राज्यों में 6 HMPV वायरस के 6 केस (HMPV cases) मिल चुके हैं। लेकिन कुछ टेस्ट हैं जिनकी मदद से हम पहचान सकते हैं कि हम HMPV वायरस के शिकार तो नहीं हुए और फिर उसी अनुसार अपना ख्याल रख सकते हैं।
HMPV वायरस वायरस का ही प्रकार है जो सर्दी, जुकाम और सांस में दिक्कत जैसी तकलीफें देता है। इसके पनपने के मौके या फैलने की गुंजाइश ठंड में ज्यादा होती है। ये वायरस खांसने और छींकने से ज्यादा फैलता है। आम तौर पर इसके लक्षण सर्दी जुकाम जैसे ही होते हैं लेकिन बच्चों या बुजुर्गों में ये निमोनिया या ब्रोन्काइटिस जैसे लक्षण भी दिखा सकता है।
भारत में अब तक 4 राज्यों में HMPV वायरस के 6 मामले (HMPV cases) मिले हैं। ये सारे केस बच्चों में ही हैं और सभी बच्चों की उम्र 3 से 8 महीने के बीच में ही है। इस पर देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का भी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि HMPV वायरस कोई नया वायरस नहीं है। उनके अनुसार ये सभी एज ग्रुप के लोगों पर असर करता है। WHO अभी इसके असर को मॉनिटर कर रहा है। जैसे ही वह रिपोर्ट आएगी, भारत में उसी अनुसार एक्शन लिया जाएगा।
हमने इस सवाल का जवाब लिया, वायरलॉजिस्ट डॉक्टर ईश्वर पी गिलादा से। डॉक्टर गिलादा के अनुसार HMPV वायरस और कोरोना में कुछ समानताएं जरूर हैं।
लक्षण – कोरोना और HMPV वायरस के लक्षणों में बहुत सी समानताएं हैं। जैसे खांसी,सर्दी या जुकाम और सांस लेने में तकलीफ।
पीड़ित – कोरोना की ही तरह HMPV वायरस भी सबसे ज्यादा जिन पर असर करता है वो बच्चे और बुजुर्ग ही हैं।
बचाव – दोनों वायरसेस के बचाव के तरीकों में भी समानता ही है। साफ सफाई, इंफेक्टेड व्यक्ति से दूरी और मास्क पहनना, ये सब कोरोना के दौरान भी था और अब भी है।
लेकिन डॉक्टर गिलादा ने हमें यह भी बताया कि HMPV वायरस में कोरोना जैसी फैलने की क्षमता नहीं है। 2001 में खोजे गए इस वायरस के कोई भी वैरिएन्ट के अब तक कोरोना जितने घातक असर नहीं देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि ये कोई नया वायरस नहीं है जिससे हमें डरने की जरूरत है। पिछले साल भी इसके चीन में फैलने की खबर आई थी। ब्रिटेन,फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में पहले भी इसके केस (HMPV cases) मिल चुके हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की डायरेक्टर रह चुकीं सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार, HMPV के केसेस (HMPV cases) जरूर भारत में हैं लेकिन इस वायरस से बड़े खतरे जैसी कोई बात नहीं है। ये पुराना वायरस है जो आम तौर पर सांस से जुड़े हुए छोटे इंफेक्शन फैलाता है। बहुत आसानी से हम प्रीकॉशन्स लेकर इससे बच सकते हैं। वही प्रीकॉशन्स जो हम सर्दी जुकाम के दौरान लेते हैं। जैसे- मास्क पहनना, साफ-सफाई रखना और भीड़ से बचना। हां तकलीफ बढ़े तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं।
डॉक्टर गिलादा के अनुसार, अब तक इस वायरस को डिटेक्ट करने में सबसे सटीक टेस्ट साबित हुआ है आरटीपीसीआर। लेकिन इसके अलावा भी कुछ टेस्ट हैं जो काम आ सकते हैं, जैसे कोरोना के दौरान भी कई सारे टेस्ट प्रचलन में थे।
HMPV वायरस को डिटेक्ट करने का यह सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है। इसमें नाक या गले के स्वाब से सैंपल लिया जाता है और लैब में वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।
इस टेस्ट में भी नाक या गले से सैंपल लिया जाता है। यह टेस्ट जल्दी परिणाम देता है, लेकिन RT-PCR से कम सटीक हो सकता है।
कुछ मामलों में, खून या म्यूकस सैंपल के जरिए भी वायरस की पहचान की जा सकती है। हालांकि आम तौर पर डॉक्टर इसका कम ही इस्तेमाल करते हैं।
अगर किसी व्यक्ति को बुखार, खांसी, गले में खराश या सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और खुद को दूसरों से अलग रखें। यह वायरस हवा के जरिए फैल सकता है, इसलिए इसका जल्दी डायग्नोस किया जाना जरूरी है।
कोई भी जो ऐसी जगह से आया हो जहां उसके HMPV केसेस (HMPV cases) ज्यादा रहे हों या इस वायरस से इंफेक्टेड होने का खतरा हो तो ऐसे व्यक्ति को मास्क जरूर लगाना चाहिए। खासकर पब्लिक प्लेसेस पर और आप भी अगर ऐसे व्यक्ति के नजदीक जा रहे हों तो मास्क के बगैर ना जाएं।
सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना बहुत जरूरी है। यह वायरस के फैलने से बचाता है, खासकर तब जब व्यक्ति संक्रमित हो या लक्षण दिख रहे हों।
यात्रा के बाद और सार्वजनिक जगहों पर जाने के बाद हाथों को अच्छे से धोएं। यदि पानी और साबुन नहीं है तो हैंड सैनिटाइज़र जरूर अपने साथ रखिए और उसका इस्तेमाल करिए।
कोई भी व्यक्ति जिससे आपको संक्रमण का खतरा हो या वो ऐसी जगह से आया हो जहां संक्रमण फ़ाइल रहा हो, तो आप उससे कम से कम 6 फीट की दूरी बना कर रखिए। संक्रमित व्यक्ति से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें, ताकि वायरस से बचा जा सके।
एयरटाइट जगहों पर वायरस के रुकने और पनपने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में घर को हवादार रखें ताकि हवा पास होती रहे और आप वायरस के खतरे से बच सकें।
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