हाल में खबर आई है कि मंकी फीवर के कारण कर्नाटक में एक लड़की की मौत हो गई है। पिछले कुछ महीनों से कर्नाटक क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) के प्रकोप से जूझ रहा है। इस रोग को आमतौर पर मंकी फीवर (Monkey Fever) के रूप में जाना जाता है। मंकी फीवर इन्फेक्टेड टिक से फैलता है। इस वायरल रक्तस्रावी बुखार (viral hemorrhagic fever) ने अब तक कई लोगों की जान ले ली है। अब तक राज्य में मंकी फीवर के 50 से भी अधिक पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। इस बीमारी के कारण कर्नाटक के साथ-साथ केरल के कुछ जिलों में भी हेल्थ डिपार्टमेंट ने अलर्ट जारी किया जा चुका है। जानते हैं मंकी फीवर क्यों और कैसे फैलता (monkey fever) है? यह जानलेवा है या नहीं?
मंकी फीवर (monkey fever) या क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) मुख्य रूप से हेमाफिसैलिस जीन्स, विशेष रूप से संक्रमित टिक्स के काटने (tick bites) से फैलता है। हेमाफिसैलिस स्पिनिगेरा जीनस वाले टिक मुख्य रूप से बंदरों को काटते हैं। यह क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज वायरस (KFDV) के लिए मेजबान (host) के रूप में काम करते हैं। जब संक्रमित बंदर जंगली इलाकों से गुजरते हैं, तो वे वायरस को नई टिक आबादी तक ले आते हैं। टिक के काटने या संक्रमित जानवरों के ब्लड या टिश्यू के संपर्क से मनुष्य भी संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमण दूषित पदार्थों को खाने या संक्रमित जानवरों के बिना पाश्चुरीकृत दूध के सेवन से भी हो सकता है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि मंकी फीवर पर्सन टू पर्सन ट्रांसमिशन (Person to person) दुर्लभ है। मंकी फीवर (Monkey fever) या क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और ब्लड का बहुत अधिक सीक्रेट होना भी हो सकता है। गंभीर मामलों में बहुत अधिक रक्तस्राव और नर्वस सिस्टम की जटिलता भी विकसित हो सकती है। केएफडी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। वैक्सीनेशन और टिक से बचाव के साथ-साथ कवर्ड कपड़े पहनने जैसे निवारक उपाय संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं।
मंकी फीवर से सुरक्षित रहने के लिए जंगली इलाकों में जाने पर सावधानी बरतना जरूरी है, जहां यह बीमारी स्थानीय रूप से ट्रांसमिट हो चुकी है। स्किन पर टिक का प्रभाव कम करने के लिए लंबी बाजू वाले कपड़े, पैंट और बंद जूते पहनना जरूरी है। त्वचा और कपड़ों पर एंटी टीक रेपेलेंट का उपयोग किया जा सकता है। बंदरों और उनके आवासों के सीधे संपर्क से बचना चाहिए, क्योंकि वे संक्रमित टिक अपने साथ ले जा सकते हैं।
बाहरी गतिविधियों के अलावा खुद की, परिवार के सदस्यों और पेट्स की गहन जांच करवाना जरूरी है। यदि आप किसी स्थान पर जाने के बाद बुखार, सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव करती हैं, तो तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट लें। मंकी फीवर वायरस के संपर्क में आने के 5 से 21 दिन बाद लोगों में आमतौर पर लक्षण विकसित होते हैं। लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं।
केएफडी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं (Monkey fever vaccine) है। रोग के प्रबंधन में जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती होना और जरूरी इलाज कराना जरूरी है। इसमें रक्तस्राव विकारों वाले रोगियों (bleeding disorders) के लिए हाइड्रेशन बनाए रखना और सावधानी बरतना शामिल है। यदि मरीज को समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो मंकी फीवर जानलेवा हो सकता है।
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