देश में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार किसी से छुपी नहीं है। तेजी से फैल रहे संक्रमण के आंकड़े और बढ़ रहे डेथ रेट एक बार फिर से चिंता का विषय बन गए हैं। भले ही ओमिक्रोन को को “End Of pandemic” बताया जा रहा हो, लेकिन भारत में तीसरी लहर का चरम कभी भी आ सकता है। एक तरफ जहां तीसरी लहर को शुरुआत में बच्चों पर काफी खतरनाक बताया जा रहा था, वहीं हाल ही में जारी नई गाइडलाइंस में छोटे बच्चों के लिए मास्क की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। क्या सच में बच्चों को मास्क की जरूरत नहीं है? आइए इसका विश्लेषण करते हैं।
बीते 24 घंटे में देश में 3 लाख 47 हजार नए मामले दर्ज किए गए हैं। जिसके बाद देश में एक्टिव मामलों की संख्या 20,18,825 पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नए आंकड़े जारी करते हुए बताया गया कि 24 घंटे के दरमियान 2,51,777 लोगों की संक्रमण से रिकवरी हुए। वहीं 703 लोगों की संक्रमण के कारण मौत हो गई।
पॉजिटिविटी रेट 17.94 बनी हुई है, जो जल्द ही तीसरी लहर की पीक आने का इशारा कर रही है। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी कोरोना की नई गाइडलाइंस में अहम दिशानिर्देश दिए गए हैं। जिसमें नई एंटीवायरल ड्रग का भी जिक्र किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नई गाइडलाइंस के अनुसार 5 साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क लगाने की सलाह नहीं दी जाती है। हालांकि 6 से 11 वर्ष के बच्चे अपनी मास्क पहनने की क्षमता और अपने माता-पिता की देखरेख में मास्क का उपयोग संक्रमण से बचने के लिए कर सकते हैं। वहीं 12 साल से अधिक उम्र वाले बच्चों को मास्क हर स्थिति में पहनने के लिए कहा गया है।
कोरोना वायरस संक्रमण की दवा यानी नई एंटीवायरल ड्रग मोनोक्लोनल को हाल ही में भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए इजाजत दी गई थी। जिसके बाद इस दवा को लेकर कई सवाल उठ रहे थे।
जारी नई गाइडलाइंस में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कहा गया कि 18 साल से कम आयु के लोगों को यह दवा देने का सुझाव नहीं है। हालांकि यदि स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है, तो उन्हें नैदानिक सुधार के अधीन 10 से 14 दिन के गैप में इसे देना चाहिए।
कोरोना वायरस संक्रमण के कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें पॉजिटिव होने के बाद भी शरीर में एक भी लक्षण नहीं है या फिर हल्के लक्षण हैं। गाइडलाइंस में हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा कहा गया कि ऐसे लोगों को थेरेपी के लिए एंटीमाइक्रोबियल की सलाह नहीं दी जाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मध्यम और गंभीर मामलों में एंटीमाइक्रोबियल दवाएं केवल तभी दी जानी चाहिए, जब Superadded infection ‘ की संभावनाएं महसूस हो रही हो।
सुझाव के तौर पर मंत्रालय द्वारा कहा गया कि यदि कोई बच्चा संक्रमित होता है, तो उसे प्रॉपर चाइल्ड केयर की आवश्यकता है। यदि वह पात्र है तो उसका टीकाकरण अवश्य कराएं। इसके बाद भी बच्चे को अच्छी डाइट और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है।
जिस बच्चे को मध्यम संक्रमण हो उनके माता-पिता को बच्चों के लक्षण पर निगरानी बनाए रखनी चाहिए। खासकर सांस से संबंधित परेशानियों के लिए डॉक्टर से फौरन संपर्क करना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस के बाद सभी के मन में यह सवाल उत्पन्न हो रहा है कि आखिर छोटे बच्चों को मास्क जरूरी क्यों नहीं है? दरअसल सिर्फ भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ही ऐसा नहीं है, जिसने बच्चों को मास्क न लगाने की सलाह दी है। इससे पहले यूनिसेफ भी बच्चों को मास्क न लगाने की सलाह दे चुका है।
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कस्टमाइज़ करेंइसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि बच्चे मास्क को संभाल नहीं पाते हैं। छोटे बच्चों को इससे सांस लेने में भी असुविधा होती है। जबकि कुछ बच्चे फेस मास्क को चाटने लगते हैं। जिसके कारण उन्हें फायदे से ज्यादा नुकसान झेलने पड़ सकते हैं।
छोटे बच्चे अक्सर तमाम चीजें छूते हैं और ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता कि वह अपने चेहरे पर हाथ लगाए बिना रह सकें। यही वजह है कि उन्हें किसी भी तरह का मौसमी या वायरल संक्रमण बहुत जल्दी लगता है। जरूरी है कि बच्चों को बेवजह बाहर न लेकर जाएं। घर में भी बच्चों के आसपास प्रवेश नियंत्रित रखें।