मस्तिष्क के एक भाग में रक्त प्रवाह में आने वाली कमी मिनी स्ट्रोक का कारण साबित होती है। खानपान की गलत आदतें और अनियमित लाइफस्टाइल शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाने लगती है। इससे शरीर में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ने लगता है। रक्त वाहिकाओं के ज़रिए ब्रेन में बढ़ने वाली ब्लड की सप्लाई बाधित होने से ऑक्सीजन पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पाती। उस स्थिति को मिनी स्ट्रोक या ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक कहा जाता है। कुछ देर के अलिए शरीर को प्रभावित करने वाला स्ट्रोक जानलेवा भी साबित हो सकता है। जानते हैं मिनी स्ट्रोक क्या है और इसके लक्षण भी (mini stroke symptoms)।
बीएलके मैक्स अस्पताल में एसोसिएट डायरेक्टर ऑफ न्यूरोलाज़ी डॉ विनीत बांगा के अनुसार मिनी स्ट्रोक लकवे के लक्षण को कहा जाता है, जो थोड़ी देर के लिए होता है। इसमें व्यक्ति चलने फिरने में लड़खड़ाता, चेहरा टेढ़ा होना व हाथ पैर में कमज़ोरी या झंझनाहट महसूस करता है। इसके अलावा बोलने व समझने में दिक्कत व कुछ देर के लिए बेहोशी होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
अगर ये लक्षण कुछ देर के लिए आते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं, तो उसे मिनी स्ट्रोक कहा जाता है। मिनी स्ट्रोक आने वाले बड़े स्ट्रोक की चेतावनी मात्र होता है। अगर कोई व्यक्ति समय रहते अपना इलाज करवा लेता है, तो वो स्ट्रोक से खुद को बचा सकता है।
जब कोई व्यक्ति मिनी स्ट्रोक का शिकार होता है, तो चलने फिरने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति के कदम लड़चाढ़ाने लगते है, जिसके चलते वो अपने आप उठकर चलते फिरने में असमर्थ होता है।
दिमाग के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह नियमित तरीके से न हो पाने के कारण स्ट्रोक की समस्या बढ़ने लगती है। इसके चलते चेहरे में टेढ़ापन आने लगता है। इससे चेहरा हिलने में असमर्थ साबित होता है। अगर किसी व्यक्ति को चेहरे में असमानता दिखने लगे, तो उसका अपचार अवश्य करवाएं।
वो व्यक्ति जो स्ट्रोक का शिकार होता है, उसकी पकड़ कमज़ोर होने लगती है और वो चक्कर खाकर आसानी से गिर सकता है। हाथों और पैरों में बढ़ने वाली झंझनाहट से शरीर में कमज़ोरी महसूस होने लगती है। शरीर असंतुलित महसूस होने लगता है।
ऐसे लोग चाहकर भी बोल नहीं पाते हैं। उनकी आवाज़ में अस्पष्टता झलकने लगती है। वे धीमी आवाज़ में बोलते है और बोलने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। वाणी में बढ़ने वाली अस्पष्टता स्ट्रोक का कारण साबित होती है।
ओवरवेट होने से शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल की संभावना बढ़ जाती है, जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन नियमित तरीके से नहीं हो पाता है। ऐसे में वज़न को नियंत्रित करना बेहद ज़रूरी है। इससे शरीर फिट और हेल्दी बना रहता है।
देर रात तक जागना हृदय संबधी समस्याओं को बढ़ावा देता है। शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए भरपूर नींद लें, जिससे शरीर की थकान दूर होती है और शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं।
शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को नियमित बनाए रखने और हृदय संबधी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए रोज़ाना व्यायाम करें। इससे शरीर तनाव मुक्त रहता है और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है।
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कस्टमाइज़ करेंस्मोकिंग और अल्कोहल इनटेक बढ़ाने से ब्लड वेसल्स में फैट एकत्रित हो जाता है। इससे ब्लड वैसल्स संकुचित होने लगती है और उनमें कोलेस्ट्रॉल के जमने की संभावना रहती है। एचित तरीके से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन न होना इस समस्या के खतरे को बढ़ाने का काम करता है।
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