दूध की बोतल के साथ हर रोज़ लाखों माइक्रोप्लास्टिक कण निगल जाते हैं छोटे बच्चे

एक नए शोध में मानव रक्त और फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए गए हैं। शोध में सामने आया कि यह कण शरीर में रह सकते हैं और अन्य अंगों तक खून के माध्यम से पहुंच सकते हैं।
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मानव शरीर में माइक्रोप्लास्टिक और उसके प्रभाव। चित्र : शटरस्टॉक

पर्यावरण में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा (Plastic Waste) फेंका जाता है। माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) अब माउंट एवरेस्ट से लेकर महासागरों तक पूरे ग्रह को दूषित कर रहा है। ऐसे में आपको जानकार हैरानी होगी कि इसके कण शरीर में भी पाए गए हैं। जी हां… हल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया कि मानव रक्त में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण (Microplastic pollution) हो सकता है।

इस शोध में वैज्ञानिकों ने लगभग 80% लोगों में छोटे कणों का पता लगाया। खोज से पता चलता है कि यह कण शरीर के चारों ओर यात्रा कर सकते हैं और अंगों में रह सकते हैं। स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव कैसा पड़ेगा, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है।

लेकिन शोधकर्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि माइक्रोप्लास्टिक्स मानव कोशिकाओं (Human Cells) को नुकसान पहुंचाते हैं। वायु प्रदूषण (Air Pollution) के कण शरीर में प्रवेश करने के लिए जाने जाते हैं और मृत्यु का कारण बनते हैं।

तो आखिर क्या है माइक्रोप्लास्टिक?

कई अध्ययनों के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक हवा में मौजूद प्लास्टिक के कण हैं, जो धूल मिट्टी में भी पाए जाते हैं। शोधकर्ता आमतौर पर उन्हें प्लास्टिक के किसी भी कण के रूप में वर्णित करते हैं जो आकार में 5 मिलीमीटर से कम है, लेकिन 1 माइक्रोमीटर से बड़ा है।

इस बारे में क्या कहता है अध्ययन

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 22 गुमनाम दाताओं, सभी स्वस्थ वयस्कों के रक्त के ब्लड सैंपल का विश्लेषण किया और 17 में प्लास्टिक के कण पाए। आधे नमूनों में पीईटी प्लास्टिक (PET Plastic) था, जो आमतौर पर कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में उपयोग किया जाता है। जबकि एक तिहाई में पॉलीस्टाइनिन (Polystyrene) पाया गया, जिसका उपयोग भोजन और अन्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिए किया जाता है। एक चौथाई रक्त के नमूनों में पॉलीइथाइलीन (Polyethylene) था, जिससे प्लास्टिक बैग बनाए जाते हैं।

Plastic waste cardiovascular disease ko badhata hai
प्लास्टिक वेस्ट बढ़ा सकता है कार्डियोवस्कुलर डिजीज। चित्र:शटरस्टॉक

देखा गया कि माइक्रोप्लास्टिक्स रोगियों के फेफड़ों के ऊतकों में गहराई तक पहुंच चुका है। ये कण सांस के दौरान या भोजन या पेय के सेवन के माध्यम से लोगों के शरीर में नियमित रूप से प्रवेश करते हैं। एक अन्य हालिया अध्ययन ने प्लेसेंटा में भी माइक्रोप्लास्टिक्स खोजने की सूचना दी।

नीदरलैंड में व्रीजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम के एक इकोटॉक्सिकोलॉजिस्ट प्रोफेसर डिक वेथाक के अनुसार, “पिछले अध्ययनों से पता चला है कि वयस्कों की तुलना में शिशुओं के मल में माइक्रोप्लास्टिक 10 गुना अधिक था और प्लास्टिक की बोतलों से दूध पीने वाले बच्चे एक दिन में लाखों माइक्रोप्लास्टिक कण निगल रहे हैं।

“हम सामान्य रूप से यह भी जानते हैं कि शिशु और छोटे बच्चे रासायनिक जोखिमों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, और यह मुझे बहुत चिंतित करता है।”

क्या शरीर में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक हमारे लिए चिंता का विषय हैं?

एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक लाल रक्त कोशिकाओं की बाहरी झिल्लियों से चिपक सकता है और ऑक्सीजन के परिवहन की क्षमता को सीमित कर सकता है। माइक्रोप्लास्टिक के कण गर्भवती महिलाओं में फेफड़ों से दिल, दिमाग और भ्रूण के अन्य अंगों को तेजी से नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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लेखक के बारे में

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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