हमारा मस्तिष्क 24 घंटे लगातार काम करता रहता है। काम के दौरान कभी-कभी ब्रेन किसी ख़ास स्वास्थ्य समस्या से घिर जाता है। ब्रेन ट्यूमर भी इनमें से एक है। हालांकि जब ब्रेन ट्यूमर डेवलप होता रहता है, तो इसके संकेत शरीर को मिलने शुरू हो जाते हैं। व्यक्ति लक्षणों या संकेतों का अनुभव करने लगता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि समय रहते यदि उन संकेतों को पहचान लिया जाए, तो ब्रेन ट्यूमर का निदान करने में आसानी होती है। ब्रेन ट्यूमर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष 8 जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस के रूप में मनाया जाता है। ब्रेन ट्यूमर के बारे में विश्व स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल यह दिन मनाया जाता है। यह दिन पहली बार वर्ष 2000 में जर्मनी के एक गैर-लाभकारी संगठन जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन द्वारा मनाया गया था। इस वर्ष की थीम (World Brain Tumor Day 2023 Theme) बेहतर सुरक्षा देकर ट्यूमर से छुटकारा पाया जा सकता है (What is Better Safe Than Tumour) ।
ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में या उसके पास कोशिकाओं की वृद्धि है। ब्रेन ट्यूमर ब्रेन टिश्यू में हो सकता है। यह ब्रेन टिश्यू के पास भी हो सकता है। आस-पास के स्थानों में नर्व, पिट्यूटरी ग्लैंड, पीनियल ग्लैंड और ब्रेन की सतह को ढकने वाली झिल्लियों में भी हो सकता है।
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट (न्यूरोलॉजी) डॉ. रजनीश कुमार (Dr. Rajnish Kumar, Neurologist) कहते हैं, ‘ब्रेन ट्यूमर होने पर इसे महसूस किया जा सकता है। यह ब्लड प्रेशर मापने या प्रयोगशाला परीक्षण से पता चल सकता है। कभी-कभी ब्रेन ट्यूमर वाले लोगों में कुछ लक्षण संकेत दे सकते हैं। या किसी लक्षण या संकेत का कारण कोई दूसरी चिकित्सीय स्थिति भी हो सकती है। यह ब्रेन ट्यूमर नहीं भी हो सकता है। सामान्य लक्षण में मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी पर ट्यूमर का दबाव बन सकता है। जब ट्यूमर के कारण मस्तिष्क का एक विशिष्ट भाग अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा होता है, तो लक्षण गंभीर हो सकते हैं।‘
डॉ. रजनीश के अनुसार, गंभीर सिरदर्द हो सकता है। यह एक्टिविटी के साथ सुबह के समय बढ़ भी सकता है
लोग विभिन्न प्रकार के दौरे का अनुभव कर सकते हैं। कुछ दवाएं उन्हें रोकने या नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। बिना काम में लाये मांसपेशियों में अचानक अनैच्छिक गति हो सकती है।
इसके कारण व्यक्तित्व में परिवर्तन या मेमोरी प्रभावित हो सकती है
मतली या उलटी
थकान
नींद नहीं आना या नींद की समस्या
याददाश्त पर प्रभाव
चलने या दैनिक गतिविधियों की क्षमता में परिवर्तन
ट्यूमर के पास दबाव या सिरदर्द।
सेरिबैलम में ट्यूमर होने पर शरीर को बैलेंस बनाने में दिक्कत होती है और मोटर स्किल भी प्रभावित होती है।
सेरेब्रम के फ्रंटल लोब में ट्यूमर होने पर निर्णय लेने में बहुत अधिक दिक्कत होती है, सुस्ती छाई रहती है, मांसपेशियों की कमजोरी या पक्षाघात भी हो सकता है के साथ जुड़ा हुआ है।
ओसीसीपिटल लोब या सेरेब्रम के टेम्पोरल लोब में ट्यूमर के कारण विज़न का आंशिक या पूर्ण नुकसान होता है।
ब्रेन के टेम्पोरल लोब में ट्यूमर से भावनात्मक स्थिति में परिवर्तन, जैसे कि आक्रामकता और शब्दों को समझने या बोलने में समस्या हो सकती है।
डॉ. रजनीश कहते हैं, परिष्कृत इमेजिंग तकनीकें (imaging techniques) ब्रेन ट्यूमर का पता लगा सकती हैं। डायग्नोस्टिक उपकरणों में कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT or CAT scan) और मैग्नेटिक रेजोनेन्स इमेजिंग (Magnetic resonance imaging or MRI) भी शामिल हैं। टिश्यू की बायोप्सी और ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी के दौरान इंट्राऑपरेटिव एमआरआई का भी उपयोग किया जाता है।’
मैग्नेटिक रेजोनेन्स स्पेक्ट्रोस्कोपी ((Magnetic resonance spectroscopy or MRS) का उपयोग ट्यूमर के केमिकल प्रोफ़ाइल की जांच करने और एमआरआई पर देखे गए घावों की प्रकृति का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी स्कैन) बार-बार होने वाले ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने में मदद कर सकता है।
कभी-कभी ब्रेन ट्यूमर का निदान करने का एकमात्र तरीका बायोप्सी होता है। ब्रेन ट्यूमर की गंभीरता के आधार पर उसका उपचार किया जाता है। प्राइमरी या मेटास्टैटिक, बिनाइन या मेलिग़नेंट की जांच में आये निष्कर्ष के आधार पर सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जाता है।